उत्तर प्रदेश पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने की आयोग के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने मचाया बवाल

उत्तर प्रदेश PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा और RO/ ARO 2023 की प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने के UPPSC के फैसले को लेकर मचे बवाल के बीच प्रतियोगी छात्रों ने कई सवाल उठाए हैं। प्रतियोगी छात्रों का तर्क है कि जिस आयोग की भर्तियों की जांच CBI कर रही हो और जिसके ऊपर High Court में PCS-J जैसी प्रारंभिक परीक्षा की कॉपी बदलने और हेरफेर के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके मानकीकरण (Normalization) पर भरोसा क्यों और कैसे करें।



PCS 2024 के विज्ञापन में दो पालियों में पेपर आयोजित करने तथा मानकीकरण का कोई उल्लेख नहीं है। यह तब है जबकि Supreme Court की संवैधानिक पीठ का निर्णय है कि खेल का नियम बीच में नहीं बदला जा सकता है, यहां तो पूरा खेल ही बदल जा रहा है। पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक सी-सैट का पेपर होता है, जो क्वालीफाइंग प्रकृति का होता है। इस पेपर में नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) कैसे होगा, इस पर आयोग मौन है। प्रारम्भिक परीक्षा में अभ्यर्थियों को न तो उनका स्कोरकार्ड दिया जाता है और न ही आयोग की तरफ से फाइनल उत्तरकुंजी जारी की जाती है।

ऐसे में अभ्यर्थियों को न तो उनका अनुमानित अंक (रॉ स्कोर) पता होगा, न ही विवादित या हटाए गए प्रश्नों की संख्या। लोक सेवा आयोग को पहले से ही रिकॉर्ड न रखने, गलत प्रश्न बनाने, उत्तर कुंजी जारी न करने, समय पर अंकपत्र जारी न करने इत्यादि को लेकर अनेक मामलों में उच्च न्यायालय फटकार लगा चुका है। आयोग की सत्यनिष्ठा खुद ही कठघरे में है। ऐसे में आयोग नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से कैसे लागू करेगा, इसको लेकर अभ्यर्थी चिंतित हैं। छात्रों का तर्क है कि संघ लोकसेवा आयोग या अन्य कोई राज्य लोक सेवा आयोग जब इतने बड़े स्तर पर प्रक्रिया में बदलाव करते हैं तो उसकी सूचना एकाध वर्ष पहले ही दे देते हैं। यहां न किसी विशेषज्ञ से राय ली गई और न ही अभ्यर्थियों को इसकी पूर्व सूचना थी।

UPPSC अपना स्तर UPSC के बराबर करें

अभ्यर्थियों का तर्क है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को अपना स्तर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के बराबर करना चाहिए न कि खुद को Bank, SSC, Railway, Police जैसी परीक्षा की नकल करनी चाहिए। दो शिफ्ट में परीक्षा कराना सरकार की नीतियों के खिलाफ है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी आदेश में पीसीएस जैसी विशिष्ट श्रेणी की परीक्षा को एक ही शिफ्ट में कराने पर सैद्धांतिक सहमति लिखित रूप में व्यक्त की गई थी। सरकार ने 19 जून 2024 के शासनादेश से पीसीएस की परीक्षा को मुक्त रखा है जिसमें परीक्षा केंद्रों के लिए कुछ मानक (जैसे परीक्षा केंद्रों की दूरी कलेक्ट्रेट से 10 किमी के भीतर हो) तय किए गए हैं। आखिर प्रदेश के केवल 41 जिलों में ही प्रारंभिक परीक्षा क्यों कराई जा रही है सभी जिलों में क्यों नहीं। लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, प्रयागराज, मेरठ, झांसी जैसे शहर दूर तक फैले हुए हैं, यहां परीक्षा केंद्रों के लिए दस किलोमीटर की सीमा बेमानी है।

प्रणाली में पारदर्शिता और स्पष्टता का अभाव

प्रतियोगी छात्रों का तर्क है कि आयोग की ओर से प्रस्तुत प्रणाली में पारदर्शिता और स्पष्टता का अभाव है। मानकीकरण का फॉर्मूला यूपीपीएससी ने किसी दूसरी परीक्षा से कॉपी किया है, स्वयं तैयार नहीं किया है। यूपीपीएससी की परीक्षा तीन चरणों में होती है। अक्सर मानकीकरण की प्रक्रिया वहां अपनाई जाती है जहां परीक्षा में प्राप्त अंकों से अंतिम मेरिट सूची तैयार की जाती है, जबकि यूपीपीएससी की यह परीक्षा एक स्क्रीनिंग परीक्षा है। यदि मानकीकरण कारगर होता तो संघ लोक सेवा आयोग बहुत पहले इसे लागू कर चुका होता। पीसीएस/आरओ/एआरओ में 150-600 के बीच पद होते हैं। मानकीकरण के कारण अनेक योग्य अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे।

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ऑनलाइन कपड़े बेचने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन करना होगा। यहाँ एक विस्तृत गाइड है:



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प्रतियोगिता: अन्य ऑनलाइन स्टोर्स और उनके उत्पादों का विश्लेषण करें।


बिजनेस प्लान

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ब्रांडिंग: आपके ब्रांड का नाम, लोगो, और ब्रांड की पहचान बनाएं।


प्रोडक्ट सोर्सिंग

 निर्माताओं और सप्लायर्स: विश्वसनीय निर्माताओं और सप्लायर्स से जुड़ें।

इन्वेंटरी मैनेजमेंट: स्टॉक को व्यवस्थित और प्रबंधित करने की योजना बनाएं।


ऑनलाइन स्टोर सेटअप

ई-कॉमर्स प्लेटफार्म: Shopify, WooCommerce, या BigCommerce जैसे प्लेटफार्म का चयन करें।

वेबसाइट डिजाइन: एक आकर्षक और उपयोगकर्ता-अनुकूल वेबसाइट डिजाइन करें।

प्रोडक्ट लिस्टिंग: उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरों और विस्तृत विवरणों के साथ उत्पादों को लिस्ट करें।


मार्केटिंग और प्रमोशन

सोशल मीडिया: Instagram, Facebook, Pinterest आदि पर अपनी उपस्थिति बनाएं।

SEO: अपनी वेबसाइट को सर्च इंजन के लिए ऑप्टिमाइज़ करें।

ईमेल मार्केटिंग: संभावित ग्राहकों को ईमेल के माध्यम से प्रमोशन्स और नए उत्पादों की जानकारी दें।


ऑर्डर फुलफिलमेंट

लॉजिस्टिक्स और शिपिंग: एक भरोसेमंद शिपिंग पार्टनर का चयन करें।

कस्टमर सर्विस: ग्राहकों की शिकायतों और प्रश्नों का समय पर और प्रभावी उत्तर दें।


वित्तीय प्रबंधन

 पेमेंट गेटवे: विभिन्न भुगतान विकल्प जैसे क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, और वॉलेट्स को एकीकृत करें।

बुककीपिंग: अपने वित्तीय रिकॉर्ड को व्यवस्थित रखें और नियमित रूप से अपडेट करें।


निरंतर सुधार

फीडबैक: ग्राहकों से फीडबैक लें और उसके अनुसार अपने उत्पादों और सेवाओं में सुधार करें।

डेटा एनालिटिक्स: बिक्री, ट्रैफिक, और अन्य महत्वपूर्ण डेटा का विश्लेषण करें ताकि आप अपने बिजनेस को बेहतर बना सकें।


इन सभी चरणों का पालन करके, आप अपने ऑनलाइन कपड़ों के बिजनेस को सफलतापूर्वक स्थापित और प्रबंधित कर सकते हैं।

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत

हाल ही में, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उनके विदेश मंत्री की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई है। इस दुर्घटना में राष्ट्रपति समेत कुल 9 लोगों की मौत हुई है।



यह घटना तब घटी जब रविवार को अज़रबैजान में किज कलासी और खोदाफरिन बांध का उद्घाटन करके तबरेज (पूर्वी अज़रबैजान प्रांत की राजधानी) लौट रहे थे। हालांकि उनके मौत की पुष्टि सोमवार को मलबा मिलने के बाद हुई।

बताया जाता है कि जहां पर हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था वहां मौसम काफी खराब था।


साजिश की आशंका

हालाँकि ईरानी सोशल मीडिया पर हेलीकॉप्टर क्रैश के पीछे साजिश होने की आशंका जताई जा रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह कैसे संभव है कि काफिले के दो हेलीकॉप्टर सुरक्षित पहुंच गए जबकि केवल रईसी का हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ है। 

अमेरिका के एक सीनेटर का कहना है कि मेरी अमेरिकी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से बातचीत हुई है, लेकिन उनके अनुसार साजिश के किसी सबूत की जानकारी नहीं है।


ईरान का खराब एविएशन सुरक्षा

अभी तक हेलीकॉप्टर क्रैश होने की वजह के बारे में पता नहीं चला है। लेकिन ईरान का एयर ट्रांसपोर्ट की सुरक्षा का रिकॉर्ड काफी खराब है। इसकी एक वजह कई दशकों से लगाए जा रहे अमेरिकी प्रतिबंधों को माना जा रहा है। इन प्रतिबंधों के कारण ईरान का एविएशन सेक्टर कमजोर हुआ है।

आपको बता दें कि रईसी 'बेल 212' हेलीकॉप्टर पर सवार थे जो अमेरिका में बना था।

अतीत में ईरान के कई बड़े मंत्रियों और अधिकारियों की मौत प्लेन या हेलीकाप्टर दुर्घटना से हुई है। इसमें शामिल है- रक्षा और यातायात मंत्री, थल और वायु सेना के कमांडर।


क्या सच में अगला विश्वयुद्ध जल के मुद्दे पर होंगे?

हाल ही, में संयुक्त राष्ट्र ने 'विश्व जल विकास रिपोर्ट, 2024' जारी की है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि, "इस बात का कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि अगला युद्ध जल के मुद्दे पर होंगे।"

इस वर्ष की रिपोर्ट 'समृद्धि और शांति के लिए जल' विषय पर केंद्रित है।


रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

जल संसाधनों की वर्तमान स्थिति

  • कृषि क्षेत्रक लगभग 70% ताजे जल की खपत के लिए जिम्मेदार है। पिछले 60 वर्षों में चाड झील 90% तक सिकुड़ गई है। हालांकि, साझा सतही जल पर सहयोग बढ़ रहा है, लेकिन भूजल संसाधन संरक्षण की अभी भी गंभीर उपेक्षा की जा रही है।


2030 तक "सभी के लिए जल" से संबंधित सतत विकास लक्ष्य (SDG)-6 हासिल करना चुनौतीपूर्ण है। दुनिया की 50% आबादी साल के किसी न किसी समय गंभीर जल संकट का सामना करती है। उत्तर-पश्चिम भारत और उत्तरी चीन खाद्य उत्पादन के लिए पानी की उपलब्धता से संबंधित जोखिमों के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन हॉटस्पॉट्स में शामिल हैं।

जल और समृद्धि के बीच विरोधाभास के मौजूद होने से सभी के लिए जल उपलब्ध करा पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। हम सभी जानते हैं कि विकसित जल संसाधन अवसंरचना से संवृद्धि और समृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, ऐसी अवसंरचना केवल सबसे अमीर देश ही वहन कर सकते हैं।

रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशेंः 

जल संसाधनों का संधारणीय प्रबंधन निम्नलिखित उपायों द्वारा सुनिश्चित किया जा सकता है:

  • सीमा-पार जल समझौते किए जाने चाहिए।
  • जल अवसंरचना में निजी निवेश बढ़ाया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार जल तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए 2030 तक लगभग 114 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक निवेश की आवश्यकता होगी।
  • उद्योगों में वस्तु उत्पादन को जल संसाधन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, टाटा केमिकल्स ने पुनर्चक्रण और बेहतर जल प्रबंधन के माध्यम से एक वर्ष के भीतर भूजल के उपयोग में 99.4% की कटौती की।

जल का "शांति और समृद्धि" से संबंध

जल और शांतिः 

जल संकट के निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं-

  • स्थानीय विवादों में वृद्धि जैसा कि अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में देखा जा रहा है।
  • अधिक प्रवासन से बसाहट वाले क्षेत्रों में तनाव बढ़ सकता है।
  • खाद्य असुरक्षा बढ़ सकती है।

जल और समृद्धिः

  • जल पर्यावरण को प्राकृतिक रूप में बनाए रखने में मदद करता है।
  • निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों में लगभग 70-80% रोजगार जल पर निर्भर हैं।
  • पानी समावेशी विकास के लिए महत्वपूर्ण है। लड़कियां और महिलाएं जल संकट का सामना सबसे पहले करती हैं, क्योंकि यह उनकी शिक्षा, आर्थिक भागीदारी और सुरक्षा को प्रभावित करता है।

UPSC सफलता की कहानी: चीनी मिल से सफलता तक, IAS अंकिता चौधरी की प्रेरक यात्रा, UPSC में AIR-14

'सफलता की कहानी' सीरीज के अंतर्गत आज मैं आप लोगों के लिए एक ऐसी लड़की की कहानी सुनाने जा रही हूँ जो हार और निराशा के बीच अदम्य साहस के साथ IAS बनी। उनका नाम है अंकिता चौधरी। वह एक चीनी मिल मजदूर की बेटी है। उन्होंने ने अपने दूसरे प्रयास में UPSC में AIR-14 हासिल की।

अपने पिता के अटूट समर्थन से, अंकिता ने यूपीएससी के लिए लगन से तैयारी की और 2017 में अपने पहले प्रयास में उपस्थित हुईं। हालांकि, वह असफल रहीं, जिससे उनके पास दो विकल्प बचे- या तो पढ़ाई छोड़ दें या अपनी गलती से सीखें और वापस आएं।

अंकिता चौधरी का एक चीनी मिल मजदूर की बेटी के रूप में साधारण शुरुआत से लेकर आईएएस अधिकारी के रूप में रैंक हासिल करने तक का सफर प्रेरणा की किरण के रूप में खड़ा है, जो कई महत्वाकांक्षी आत्माओं के लिए मार्ग को रोशन करता है। उनकी कहानी सिर्फ़ जीत की कहानी नहीं है, बल्कि मानवीय भावना के लचीलेपन का प्रमाण है, जो दिखाती है कि कैसे धैर्य और दृढ़ता से विपरीत परिस्थितियों में भी महानता का मार्ग बनाया जा सकता है।

हरियाणा के रोहतक के मेहम जिले में एक साधारण, निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंकिता का प्रारंभिक जीवन शैक्षणिक प्रतिभा से भरा हुआ था। एक दर्दनाक कार दुर्घटना में अपनी माँ की असामयिक मृत्यु के बाद त्रासदी के साये के बावजूद, अंकिता का हौसला अडिग रहा, जिसे उसके पिता के अटूट समर्थन से बल मिला। एक चीनी मिल में अकाउंटेंट के रूप में काम करते हुए, उन्होंने अंकिता में शिक्षा, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के मूल्यों को स्थापित किया, और सबसे बुरे दिनों में भी उसके सपनों को संजोया।

अंकिता की शैक्षणिक यात्रा उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के गलियारों से होते हुए ले गई, जहाँ उन्होंने रसायन विज्ञान में डिग्री हासिल की, इस दौरान उनके मन में भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रतिष्ठित रैंक में शामिल होने की उत्कट महत्वाकांक्षा थी। हालाँकि उन्होंने IIT दिल्ली में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू की, लेकिन उनका दिल IAS बनने के सपने को पूरा करने में दृढ़ रहा, और चुनौतियों के बीच भी उनकी एक लौ जलती रही।

अपनी माँ के निधन के बाद, अंकिता ने अपनी आकांक्षाओं के माध्यम से उनकी याद को सम्मान देने में सांत्वना और दृढ़ संकल्प पाया। अपने पिता के मार्गदर्शन और अपनी क्षमता में अटूट विश्वास के साथ, उन्होंने यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी की कठोर यात्रा शुरू की। यह रास्ता बिना किसी बाधा के नहीं था, क्योंकि 2017 में उनका पहला प्रयास निराशा में समाप्त हो गया था। फिर भी, प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए, अंकिता ने हार मानने के बजाय लचीलापन चुना, अपनी असफलताओं से ज्ञान प्राप्त करने और मजबूत बनने का संकल्प लिया।

शुरुआती असफलताओं से विचलित हुए बिना, अंकिता ने अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया, अपने संकल्प को उत्कृष्टता की निरंतर खोज में लगा दिया। उनकी सावधानीपूर्वक तैयारी और अटूट समर्पण ने उनके दूसरे प्रयास में फल दिया, क्योंकि उन्होंने 2018 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में एक प्रभावशाली अखिल भारतीय रैंक (AIR-14) प्राप्त करते हुए नई ऊंचाइयों को छुआ। उनकी जीत न केवल एक व्यक्तिगत जीत के रूप में है, बल्कि अदम्य मानवीय भावना के एक वसीयतनामे के रूप में है, जो अनगिनत अन्य लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने और सितारों तक पहुँचने के लिए प्रेरित करती है।

मुख्यमंत्री राहत कोष (CMRF) पर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का फैसला सही है या गलत

सुखियां

हाल ही में, भारत चुनाव आयोग (ECI) ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री रहस्य कोष (CMRF) से संबंधित एक अहम फैसला लिया है।



भारत के निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री राहत कोष से किए जाने वाले कुछ आपातकालीन कार्यों को आदर्श आचार संहिता के दायरे से मुक्त कर दिया है।

इस कोष का उद्देश्य बड़ी प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं आदि से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना है।


मुख्यमंत्री राहत कोष (CMRF)

प्रधान मंत्री राहत कोष के समान ही, यह कोष भी मुख्य रूप से सार्वजनिक और निजी संस्थानों, स्वैच्छिक संगठनों आदि से प्राप्त दान से संचालित होता है।

CMRF को दिए गए दान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80G के तहत आयकर से 100% छूट प्राप्त है।


आदर्श आचार संहिता 

यह भारत के चुनाव आयोग द्वारा सरकार और राजनीतिक दलों के लिए बनाया गया नियम है, जिसे सभी राजनीतिक दलों को मानना अनिवार्य है।

यह नियम चुनाव घोषणा की तिथि से लेकर मतदान के अंतिम परिणाम आने तक लागू रहता है।

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए यह 16 मार्च से लागू हो गया है।

आदर्श आचार संहिता के तहत निम्नलिखित नियम शामिल है:

  • सरकार के द्वारा लोक लुभावन घोषणाएँ नहीं करना।
  • चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करना।
  • राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के द्वारा जाति, धर्म व क्षेत्र से संबंधित मुद्दे न उठाना।
  • चुनाव के दौरान धन-बल और बाहु-बल का प्रयोग न करना।
  • आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी व्यक्ति को धन का लोभ न देना।
  • आचार संहिता लागू हो जाने के बाद किसी भी योजनाओ को लागू नहीं कर सकते।

बड़ी दिलचस्प है लोकसभा चुनाव के नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया

लोक सभा चुनाव 2024 के पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है।



उम्मीदवार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 के तहत नामांकन दाखिल करते हैं।

नामांकन दाखिल करने की तिथि भारत का निर्वाचन आयोग तय करता है।

उम्मीदवार या उसके किसी प्रस्तावक द्वारा नामांकन-पत्र रिटर्निंग ऑफिसर (RO) या सहायक रिटर्निंग ऑफिसर को सौंपना होता है।

किसी मान्यता प्राप्त दल का कोई उम्मीदवार जिस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ता है, प्रस्तावक के रूप में उस निर्वाचन क्षेत्र के केवल एक मतदाता की आवश्यकता होती है।

वहीं, निर्दलीय या पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के मामले में 10 प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है।

कोई उम्मीदवार एक निर्वाचन क्षेत्र से अधिकतम 4 नामांकन दाखिल कर सकता है।

अवकाश के दिन नामांकन-पत्र दाखिल नहीं किए जा सकते हैं।

नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड (National Creators Awards)

नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड का लक्ष्य निम्नलिखित योगदान से जुड़े विविध व्यक्तित्वों और प्रतिभाओं को सम्मानित करना है:

  • भारतकी संवृद्धि और उसकी संस्कृति को बढ़ावा देने वाले;स
  • कारात्मक सामाजिक बदलाव लाने वाले; तथा
  • डीजीटल क्षेत्र में नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाले।


यह पुरस्कार MyGov India ने शुरू किया है। इसमें डिजिटल वर्ल्ड के अलग-अलग क्षेत्रों और श्रेणियों में उत्कृष्टता व प्रभाव पैदा करने वाले क्रिएटर्स को पुरस्कार दिया जाएगा।

इन श्रेणियों में स्टोरी टेलिंग, सामाजिक बदलाव का समर्थन, शिक्षा, पर्यावरणीय संधारणीयता इत्यादि शामिल हैं। ये सभी क्रिएटर इकॉनमी का हिस्सा हैं।

क्रिएटर इकोनॉमी उन व्यवसायों, प्लेटफॉर्म्स और व्यक्तियों से मिलकर बने इकोसिस्टम को कहते हैं, जो ऑनलाइन कंटेंट बनाते हैं, वितरण करते हैं और फिर इनका मुद्रीकरण करके राजस्व अर्जित करते हैं।

डिजिटल इंडिया अभियान जैसी पहलों की वजह से कई नए कंटेंट क्रिएटर्स उभरकर आए हैं।

भारत की क्रिएटर इकोनॉमी की स्थिति

एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 80 मिलियन क्रिएटर्स और नॉलेज प्रोफेशनल्स हैं।

भारत में लगभग 1.5 लाख प्रोफेशनल कंटेंट क्रिएटर्स हैं। ये अपने कंटेंट से अच्छी-खासी आय अर्जित कर रहे हैं।

भारत की क्रिएटर इकोनॉमी का आकार वर्तमान में 250 बिलियन डॉलर है। 2027 तक इसके दोगुना होकर 480 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

भारत में क्रिएटर इकोनॉमी के विकास को प्रभावित करने वाले कारक

  • कम खर्चे में अधिक डाउनलोड/ अपलोड डेटा उपलब्ध है। इसलिए, अब अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं।
  • इंटरनेट के प्रसार से विश्व भर में कंटेंट देखे जा रहे हैं।
  • अब लोग ऑफिस से या वर्क फ्रॉम होम या यात्रा करते समय भी काम रहे हैं। इस तरह काम का हाइब्रिड कल्चर विकसित हो गया है।
  • यह सब इंटरनेट की वजह से संभव हुआ है।
  • शॉर्ट वीडियो कंटेंट की लोकप्रियता बढ़ गई है आदि।


क्रिएटर इकोनॉमी का महत्त्व

रचनात्मक स्टोरी टेलिंग के माध्यम से भारत के सांस्कृतिक लोकाचार (Ethos) का विश्व भर में प्रसार होता है।

यह मनोरंजन और सामाजिक संदेश से संबंधित असाधारण कंटेंट उपलब्ध कराती है।

वीडियो एडिटर्स, वर्चुअल असिस्टेंट, ग्राफिक डिजाइनर जैसे रोजगार के अवसर को बढ़ाती है।

किनमेन द्वीप समूह (क्यूमोय द्वीप समूह)

ताइवान ने चीन से आग्रह किया है कि वह किनमेन द्वीप समूह के निकट जल क्षेत्र में यथास्थिति में कोई बदलाव न करे ।



किनमेन द्वीप समूह में 12 द्वीप हैं। इनमें किनमेन प्रमुख द्वीप है।

यह ताइवान के अधिकार क्षेत्र में है। यह चीनी मुख्य भूमि के मुहाने पर ताइवान जलसंधि में स्थित है।

यह पहाड़ी द्वीप है। इसमें पठारी और चट्टानी दोनों क्षेत्र हैं। यहां मानसूनी उपोष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है।

जब 1949 में नेशनलिस्ट पार्टी चीन की मुख्य भूमि से हट गई थी तब यह कम्युनिस्ट और नेशनलिस्ट पार्टियों के बीच संघर्ष का स्थल रहा था।

अमिट स्याही या मतदाता स्याही (Indelible ink or Election ink)

भारतीय निर्वाचन आयोग ने अमिट स्याही (Indelible Ink) के एकमात्र निर्माता मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL) को 26.55 लाख शीशियां बनाने का ऑर्डर दिया है। यह अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है।


अमिट स्याही (Indelible Ink) का उपयोग

अमित स्याही का उपयोग व्यक्ति को चुनाव में दोबारा मतदान करने से रोकने के लिए तथा पल्स पोलियो प्रोग्राम में टीका लगे बच्चों की पहचान के लिए लगाया जाता है।

अमिट स्याही का निर्माण

अमित स्याही का निर्माण भारत में दो जगह पर किया जाता है। पहला रायुडू लैबोरेट्री, तेलंगाना और दूसरा मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी, मैसूर।

इसमें 10 से 18 प्रतिशत सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो नाखून के साथ अभिक्रिया करने और प्रकाश के संपर्क में आने पर गहरा हो जाता है। इसके अलावा इसमें अन्य रसायनों का भी उपयोग किया जाता है। 

भारत में निर्मित स्याही का उपयोग न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में भी किया जाता है। भारतीय चुनाव आयोग मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी द्वारा निर्मित स्याही का उपयोग करती है जबकि रायडू लैबोरेट्री दुनिया के दूसरे देशों के लिए स्याही का निर्माण करता है।

वर्तमान में 90 से अधिक देश इस तरह की स्याही का इस्तेमाल करते हैं। इसमें से 30 देश की स्याही भारत द्वारा निर्मित से स्याही होती है।

ECI के नियम

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49K में प्रावधान किया गया है कि पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी प्रत्येक मतदाता की बायीं तर्जनी अंगुली का निरीक्षण कर सकता है और उस पर एक अमिट स्याही का निशान लगा सकता है।

इसे अमिट स्याही इसलिए कहा जाता है, क्योंकि एक बार लगाने के बाद इसे कई महीनों तक किसी रसायन, डिटर्जेंट, साबुन या तेल से नहीं हटाया जा सकता। इसका रंग पर्पल होता है।

भारतीय चुनाव आयोग 1960 से इस स्याही का उपयोग कर रहा है।




इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व अध्यक्षा सुधा मूर्ति को राज्य सभा के लिए मनोनीत किया गया है

हाल ही में, इंफोसिसफाउंडेशन की पूर्व अध्यक्षा सुधा मूर्ति को राज्य सभा के लिए मनोनीत किया गया है।



राज्य सभा में मनोनयन

कार्य आवंटन नियम, 1961 के तहत “राज्य सभा के लिए नामांकन” विषय गृह मंत्रालय को आवंटित किया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 80(3) के तहत राष्ट्रपति साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले 12 सदस्यों को राज्य सभा में मनोनीत करेगा।

राम गोपाल सिंह सिसोदिया बनाम अपने सचिव एवं अन्य के जरिए भारत संघ वाद, 2012 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 80(3) के तहत सचिन तेंदुलकर के मनोनयन को बरकरार रखा था।

उज्जैन में दुनिया की पहली वैदिक घड़ी ‘विक्रमादित्य वैदिक घड़ी' का उद्घाटन किया गया

उज्जैन में दुनिया की पहली वैदिक घड़ी ‘विक्रमादित्य वैदिक घड़ी' का उद्घाटन किया गया। यह भारतीय 'पंचांग' गणना पर आधारित है।



यह घड़ी उज्जैन (मध्य प्रदेश) में जंतर-मंतर परिसर में स्थित है। जंतर-मंतर एक वेधशाला है। इसका निर्माण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में जयपुर के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने कराया था ।

उन्होंने भारत के पांच शहरों में जंतर-मंतर का निर्माण कराया था। ये हैं: उज्जैन, दिल्ली, मथुरा, वाराणसी और जयपुर ।

जयपुर स्थित जंतर-मंतर यूनेस्को-विश्व धरोहर स्थल है।

उज्जैन जीरो मेरिडियन लाइन और कर्क रेखा (Tropic of Cancer) के सटीक मिलन बिंदु पर अवस्थित है।

हिंदू ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, उज्जैन को कभी भारत का सेंट्रल मेरिडियन माना जाता था । यह शहर भारत के टाइम जोन और समय में अंतर का निर्धारण करता था।

दुनिया भर में मोटापे (Obesity) की समस्या में बढ़ोतरी - लैंसेट रिपोर्ट

लैंसेट के एक नए अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में मोटापे की समस्या में बढ़ोतरी हुई है।



शरीर में वसा के अत्यधिक जमाव को मोटापे के रूप में परिभाषित किया गया है। अत्यधिक मोटापा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।

30 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को मोटापा माना जाता है।

लैंसेट अध्ययन के मुख्य बिन्दुओं पर एक नजर:

दुनिया भर में बच्चों और वयस्कों में मोटापे की दर 1990 से 2022 के बीच लगभग चार गुना (एक बिलियन से अधिक) बढ़ी है।

भारत में 20 वर्ष से अधिक उम्र की लगभग 44 मिलियन महिलाएं और 26 मिलियन पुरुष मोटापे की समस्या से जूझ रही/ रहे हैं।

मोटापे का प्रभावः 

हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज, सांस लेने में समस्या आदि।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खोजे गए सी स्लग को मेलानोक्लामिस द्रौपदी (एम. द्रौपदी) नाम दिया है

हाल ही में, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खोजे गए सी स्लग को मेलानोक्लामिस द्रौपदी (एम. द्रौपदी) नाम दिया है।



हेड-शील्ड, सी स्लग की एक नई समुद्री प्रजाति है जिसकी खोज पश्चिम बंगाल व ओडिशा के तटों पर की गई है। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसका नाम देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के नाम पर “मेलानोक्लामिस द्रौपदी (एम. द्रौपदी)" रखा है।

यह प्रजाति अपना पर्यावास मेलानोक्लैमिस बेंगालेंसिस के साथ साझा करती है। मेलानोक्लैमिस बेंगालेंसिस की खोज 2022 में की गई थी। हालांकि, यह आकृति विज्ञान की दृष्टि से एम. द्रौपदी से अलग है।

एम.द्रौपदी बेंगालेंसिस से आकार में छोटी है। इसका रंग धब्बेदार भूरा व काला है। इसके पश्च कवच (posterior shield) पर रुबि लाल रंग का धब्बा है।

सी स्लग तेज शिकारी होते हैं। वे अन्य विचरण करने वाले जीवों को अपना शिकार बनाते हैं। इन जीवों में खोलयुक्त व बिना खोल वाले स्लग, गोलकृमि (Roundworms), समुद्री कृमि, छोटी मछलियां आदि शामिल हैं।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने "भारत में तेंदुओं की स्थिति रिपोर्ट 2022” जारी की

हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने "भारत में तेंदुओं की स्थिति रिपोर्ट 2022” जारी की है।

यह तेंदुओं की आबादी की गणना का पांचवां चक्र था। इसका आयोजन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने राज्य वन विभागों के सहयोग से किया था।



यह गणना प्रत्येक चार वर्ष पर "बाघ, सह-शिकारी, शिकार और उनके पर्यावास की निगरानी" (Monitoring of Tiger, Co-predators, prey and their Habitat) कार्यक्रम के तहत की जाती है।

इस गणना में बाघों के पर्यावास वाले 18 राज्यों में तेंदुओं के वन-पर्यावासों को शामिल किया गया था। इनमें चार बड़े बाघ संरक्षण भू-क्षेत्र (landscapes) शामिल हैं।

तेंदुओं की गणना के लिए वन विहीन पर्यावास तथा शुष्क और 2000 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाले उच्च हिमालय से सैंपल नहीं लिए गए हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

भारत में तेंदुओं की अनुमानित संख्या 2022 में बढ़कर 13,874 हो गई थी, जो 2018 में 12,852 थी। यह 1.08% की वृद्धि है। यह संख्या सैंपल में शामिल क्षेत्रों पर आधारित है।

मध्य भारत और पूर्वी घाट में तेंदुओं की आबादी में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई। वहीं शिवालिक और गंगा के मैदानी इलाकों में इनकी संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।

तेंदुओं की सबसे अधिक आबादी मध्य प्रदेश में है। उसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु का स्थान है।

तेंदुओं की सबसे अधिक आबादी वाला टाइगर रिज़र्व नागार्जुनसागर है। इसके बाद श्रीशैलम, पन्ना और सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व हैं।

भारतीय तेंदुए (पैंथेरा पार्डस फुस्का) के बारे में

संरक्षण स्थितिः
  • IUCN रेड लिस्टः वल्नरेबल ।
  • CITES: परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध।
  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972: अनुसूची 1 में सूचीबद्ध ।
  • पर्यावासः ये भारत, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। ये मैंग्रोव वनों और मरुस्थलों में नहीं पाए जाते हैं।

विशेषताएं:

यह एकान्तप्रिय और निशाचर जीव हैं।

ये आसानी से पेड़ों पर चढ़ जाते हैं और पेड़ों की शाखाओं पर आराम करते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर्स तथा डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास' के तहत तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी प्रदान की

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर्स तथा डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के तहत तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी प्रदान की है।



अनुमोदित सेमीकंडक्टर इकाइयां निम्नलिखित हैं:

  1. सेमीकंडक्टर फैबः इसे धोलेरा (गुजरात) में ताइवान की कंपनियों के साथ साझेदारी में स्थापित किया जाएगा।
  2. सेमीकंडक्टर ATMP (असेंबली, परीक्षण, मार्किंग और पैकेजिंग): इसे मोरीगांव (असम) में स्थापित किया जाएगा।
  3. विशेष चिप्स के लिए सेमीकंडक्टर ATMP इकाई: इसे साणंद, (गुजरात) में जापान और थाईलैंड की कंपनियों की साझेदारी में स्थापित किया जाएगा।

सेमीकंडक्टर और सेमीकंडक्टर्स उद्योग के बारे में

सेमीकंडक्टर एक "सुचालक" (Conductor) और "कुचालक" (Insulator) के बीच की विशेषता रखने वाली सामग्री है। सेमीकंडक्टर को इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) भी कहा जाता है। 

सुचालक के माध्यम से विद्युत आसानी से प्रवाहित हो जाती है। चांदी, एलुमिनियम, लोहा, तांबा आदि विद्युत के सुचालक हैं। कुचालक के माध्यम से विद्युत आसानी से प्रवाहित नहीं होती है। लकड़ी, प्लास्टिक, रबड़ आदि विद्युत के कुचालक हैं।

एक सेमीकंडक्टर फैब या फैब्रिकेशन प्लांट, मूल रूप से एक फैक्ट्री होती है। इनमें इंटीग्रेटेड चिप सर्किट्स और सिलिकॉन वेफर्स का विनिर्माण किया जाता है।

सेमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल डायोड, ट्रांजिस्टर, इंटीग्रेटेड सर्किट और दूरसंचार सहित इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण बनाने में किया जाता है।

सेमीकंडक्टर्स का उपयोग लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों में किया जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), 5G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

संयुक्त राज्य अमेरिका, ताइवान और चीन को 'सेमीकंडक्टर पावरहाउस' माना जाता है।

मैकिन्से के अनुसार, वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर का उद्योग बनने का अनुमान है।

डेलॉयट ने भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार के 2026 तक 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का होने की संभावना प्रकट की है।

भारत द्वारा सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए शुरू की गई पहलें

भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का विकासः यह पहल सेमीकॉनइंडिया प्रोग्राम के रूप में शुरू की गई है। इसके तहत सेमीकंडक्टर्स, डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन इकोसिस्टम में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): यह डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन के भीतर एक विशेष व्यवसाय डिवीजन है। इसका लक्ष्य एक जीवंत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना है।

आई.टी. हार्डवेयर के लिए उत्पादन से संबंद्ध प्रोत्साहन योजना (PLI) 2.0 संचालित की जा रही है। इसके तहत सेमीकंडक्टर डिजाइन, IC विनिर्माण और पैकेजिंग के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।

वित्तीय प्रोत्साहन और डिजाइन अवसंरचना के समर्थन के लिए एक डिजाइन से संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना चलाई जा रही है।

क्वाड सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला पहलः इस पहल का उद्देश्य सेमीकंडक्टर उद्योग की क्षमता का मापन करना, उसकी कमजोरियों की पहचान करना तथा सेमीकंडक्टर्स और उनके महत्वपूर्ण घटकों के लिए आपूर्ति-श्रृंखला सुरक्षा को मजबूत बनाना है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA)" की स्थापना को मंजूरी दी

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA)" की स्थापना को मंजूरी दी है। IBCA का मुख्यालय भारत में स्थापित होगा।



IBCA के बारे में

 IBCA को प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अप्रैल 2023 में लॉन्च किया गया था।

IBCA का लक्ष्य सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियों और उनके पर्यावास की सुरक्षा व संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग सुनिश्चित करना है। ये सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियां हैं- बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता ।

प्यूमा और जगुआर को छोड़कर, भारत में सभी 5 बड़ी बिल्ली प्रजातियां पाई जाती हैं।

बहु-देशीय व बहु-एजेंसी गठबंधन:

IBCA को उन 96 देशों के सहयोग से शुरू किया गया है, जहां पर ये बड़ी बिल्ली प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके भागीदारों में निम्नलिखित शामिल हैं-

  • बड़ी बिल्ली प्रजातियों वाले देश;
  • ऐसे देश जहां बड़ी बिल्ली प्रजातियां नहीं पाई जाती हैं, लेकिन वे इनके संरक्षण में रूचि रखते हैं;
  • संरक्षण भागीदार;
  • संरक्षण में रूचि रखने वाले व्यवसायिक व कॉर्पोरेट समूह तथा
  • बड़ी बिल्ली प्रजाति के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक संगठन।


IBCA का वित्त-पोषणः

भारत पांच वर्षों (2023-24 से 2027-28) के लिए 150 करोड़ रुपये की प्रारंभिक सहायता प्रदान कर रहा है। द्विपक्षीय व बहुपक्षीय एजेंसियों और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों सहित अन्यों से भी योगदान प्राप्त किया जाएगा।

गवर्नेस संरचना: 

इसमें शामिल हैं-

  • सदस्यों की सभा,
  • स्थायी समिति, और
  • सचिवालय

बड़ी बिल्ली प्रजातियों और उनके पर्यावासों के संरक्षण का महत्त्व

पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करनाः बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां पारिस्थितिकी तंत्र की शीर्ष परभक्षी हैं। इनकी आबादी कम होने से शिकार प्रजातियों की संख्या काफी बढ़ जाएगी। इससे अति- चराई को बढ़ावा मिलेगा और भूक्षेत्र के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।

जल सुरक्षाः हिम तेंदुओं की अधिक आबादी, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ होने का संकेत है। हिमालय कई नदियों के स्रोत हैं। ऐसे में हिम तेंदुए के संरक्षण से हिमालय और उसके हिमनद भी संरक्षित होते हैं। 

जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करनाः ये बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां कार्बन का भंडारण करने वाले वन क्षेत्रों की रक्षा में सहायक हैं।

सांस्कृतिक प्रतीकः दुनिया भर में कई समुदायों के लिए बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां उनकी आस्था और संस्कृति से जुड़ी हुई हैं और ये उनकी लोक कथाओं में भी शामिल रही हैं। ऐसे में इन प्रजातियों के संरक्षण से देशज प्रजातियों की संस्कृतियों का भी संरक्षण होता है।

अर्थव्यवस्था का समर्थनः इनके पर्यावास आजीविका के अवसर प्रदान करते हैं और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना" को मंजूरी दी

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना" को मंजूरी दी है।

यह योजना का कार्यान्वयन नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय कर रहा है।



उद्देश्यः 

इस योजना का उद्देश्य रूफटॉप सोलर (RTS) स्थापित करना और 1 करोड़ घरों को प्रतिमाह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करना।

सब्सिडी संरचनाः 

आवासीय रूफटॉप सोलर (स्थापना) के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) निम्नलिखित प्रकार से होगी:

  • 30,000/- रुपये प्रति किलोवाट की दर सेः अधिकतम 2 किलोवाट तक;
  • 18,000/- रुपये प्रति किलोवाट की दर से: अधिकतम 3 किलोवाट तक;
  • 78,000 रुपयेः 3 किलोवाट से बड़े सिस्टम के लिए।

आवासीय रूफटॉप सोलर की स्थापना के लिए ऋणः 

एक परिवार को 3 किलोवाट तक के आवासीय रूफटॉप सोलर सिस्टम की स्थापना के लिए लगभग 7% की निम्न ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाएगा। इसके लिए उन्हें कोई जमानत रखने की जरुरत नहीं (Collateral-free) पड़ेगी।

एक राष्ट्रीय पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। यह पोर्टल परिवारों को निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करेगाः

  • सब्सिडी के लिए आवेदन करने और रूफटॉप सोलर स्थापित करने के लिए सही वेंडर (विक्रेता) को चुनने में। 
  • सही आकार के रूफटॉप सोलर चुनने, लाभ का अनुमान लगाने, इंस्टॉल करने वाले वेंडर की रेटिंग पता करने जैसे मामलों में सही निर्णय लेने में।


मॉडल सोलर विलेजः 

ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय रूफटॉप सोलर को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक जिले में एक रोल मॉडल गांव विकसित किया जाएगा।

स्थानीय निकायों को प्रोत्साहनः 

शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थानों को अपने क्षेत्रों में आवासीय रूफटॉप सोलर स्थापना को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। 

सौर क्षमता वृद्धिः 

आवासीय क्षेत्र में आवासीय रूफटॉप सोलर की स्थापना से 30 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता की वृद्धि की जाएगी।

सरकार ने 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर (Jel)' को अगले पांच साल के लिए 'गैर-कानूनी संगठन' घोषित किया

सुर्खियां

हाल ही में, सरकार ने 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर (Jel)' को अगले पांच साल के लिए 'गैर-कानूनी संगठन' घोषित किया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने यह अधिसूचना गैर-कानूनी क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 3 के तहत जारी की है।



इससे पहले भी फरवरी 2019 में Jel पर प्रतिबंध लगाया गया था।

सरकार का आरोप

 Jel को गैर-कानूनी संगठन इसलिए घोषित किया गया है, क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवाद को भड़काने और भारत विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने का कार्य किया है। 

संगठन की ये गतिविधियां देश की आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। साथ ही, देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

Jel के सदस्यों पर अक्सर ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के रूप में काम करने का भी आरोप लगाया जाता है।

OGWs: इस समूह में वे लोग शामिल होते हैं, जो आतंकवादियों को जरूरत की चीजें उपलब्ध कराते हैं और उन्हें गुप्त गतिविधियां संचालित करने में सहायता प्रदान करते हैं।


आतंकवादी संगठनों के लिए OGWs द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका

भर्ती: इन लोगों की स्थानीय युवाओं को आतंकवादी समूहों में भर्ती कराने में भूमिका होती है। इसमें जबरन भर्ती भी शामिल है।

वित्त-पोषणः इसके लिए अवैध व्यापार, जाली मुद्रा की तस्करी, कर चोरी, हवाला लेन-देन आदि गतिविधियां की जाती हैं।

अन्य हितधारकों के साथ समन्वयः OGWs अलगाववादी नेताओं, संगठित अपराध नेटवर्क्स आदि के साथ समन्वय स्थापित करने का कार्य करते हैं।

जायज ठहराना (Legitimization): OGWs प्रोपेगेंडा, कट्टरवाद (रेडिकलाइजेशन), स्थानीय लोगों की शिकायतों का सहारा लेने जैसे तरीकों के माध्यम से आतंकी गतिविधियों को जायज ठहराने का प्रयास करते हैं।

 OGWs को निष्प्रभावी बनाने के उपायः

अनाथ बच्चों और महिलाओं का पुनर्वास करके सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा संचालित ऑपरेशन सद्भावना (गुडविल) इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

कट्टरपंथ फ़ैलाने के प्रयासों पर निगरानी रखने के लिए खुफिया अवसंरचना में सुधार किया जाना चाहिए।

आतंकवादियों और OGWs को जल्दी सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट्स का गठन किया जाना चाहिए।

गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967

UAPA व्यक्तियों और संगठनों की कुछ गैर-कानूनी गतिविधियों की रोकथाम तथा आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए एक कानून है।

UAPA (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने सरकार को संगठनों के अलावा व्यक्तियों को भी आतंकवादी के रूप में नामित करने का अधिकार दिया है।

इस कानून में आतंकवादी कृत्यों को परिभाषित करने के लिए परमाणु आतंकवाद के कृत्यों के दमन हेतु अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (2005) को भी शामिल किया गया है।

तुवालु के संसद सदस्‍यों ने आम चुनाव के बाद प्रशांत द्वीपीय राष्‍ट्र के पूर्व महान्‍यायवादी फेलेटी टीओ को नया प्रधानमंत्री चुना

हाल ही में तुवालु (Tuvalu) के सांसदों सदस्यों ने प्रशांत द्विपीय राष्ट्र के पूर्व महान्यायवादी फेलेटी टीओ को देश का नया प्रधानमंत्री चुना है। सांसदों ने उन्हें निर्विरोध चुन लिया है क्योंकि वह प्रधानमंत्री पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार के रूप में खड़े थे।



फेलेटी टेओ को तुवालु द्वीप का नया प्रधान मंत्री चुना गया है।

प्रशांत महासागर में स्थित तुवालु द्वीप के नए प्रधानमंत्री की घोषणा हो गई है। देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल फेलेटी टेओ को नए प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया है। 

तुवालु में पिछले महीने जनवरी में चुनाव हुए थे। इन चुनावों पर ताइवान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, यूके और यहां तक ​​कि अमेरिका की भी पैनी नजर थी। हाल के दिनों में तुवालु ताइवान के साथ अपने संबंधों को लेकर चर्चा में था।

25 वर्ग किलोमीटर में फैले इस देश में केवल 12 हजार लोग रहते हैं। लेकिन फिर भी भूराजनीति में इस देश का विशेष महत्व है।

तुवालु दक्षिण प्रशांत महासागर में ओशिनिया के पोलिनेशिया उपक्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया और हवाई द्वीप के बीच स्थित दुनिया के सबसे छोटे द्वीपों में से एक है। इसमें तीन रीफ द्वीप और छह एटोल शामिल हैं।
  
ताइवान के साथ तुवालु के रिश्ते इसे वैश्विक राजनीति में एक विशेष दर्जा देते हैं। आइए जानते हैं कि ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस छोटे से द्वीप राज्य को अपने पक्ष में रखने के लिए इतनी कोशिश क्यों कर रहे हैं। वहीं, चीन इस द्वीप पर अपना प्रभाव क्यों बढ़ाने की कोशिश कर रहा है?

तुवालु ताइवान के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

तुवालु कभी ब्रिटेन के अधीन था। इसे 1978 में आज़ादी मिली। हालाँकि, ब्रिटिश सम्राट अभी भी देश का प्रमुख है। भू-राजनीति में इसका महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि तुवालु ताइवान को मान्यता देता है। 

तुवालु सहित दुनिया के केवल 12 देशों ने ताइवान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है, जो चीन की 'वन चाइना पॉलिसी' के खिलाफ है। चीन का मानना ​​है कि ताइवान उसका अभिन्न अंग है और एक दिन उसका चीन में विलय निश्चित है।

तुवालु उन तीन प्रशांत द्वीप देशों में से एक है जो अभी भी ताइवान को मान्यता देते हैं। हाल के दिनों में ताइवान के साझेदार देशों की संख्या घटी है। पिछले महीने जब नाउरू ने ताइवान से राजनयिक संबंध तोड़े थे तो इसकी वजह नाउरू पर चीन के बढ़ते प्रभाव को बताया गया था।

चीन तुवालु को क्यों चाहता है?

चीन ताइवान को मान्यता देने वाले छोटे द्वीपों पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। ताइवान को जितने कम देश मान्यता देंगे, चीन की 'वन चाइना पॉलिसी' उतनी ही मजबूत होगी।

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह चीन आसानी से ताइवान पर कब्जा कर सकेगा। चीन मुख्य रूप से ताइवान के सहयोगी द्वीपों को जीतने के लिए धन का उपयोग कर रहा है। 

2019 में, किरिबाती और सोलोमन द्वीप समूह ने ताइवान के साथ अपने राजनयिक संबंध समाप्त कर दिए। उस समय ताइवान के तत्कालीन विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा था, 'चीन की डॉलर कूटनीति और बड़ी मात्रा में विदेशी सहायता के झूठे वादों के कारण सोलोमन द्वीप ने ताइवान के साथ संबंध खत्म कर दिए हैं।'

ऑस्ट्रेलिया और ताइवान तुवालु की कैसे मदद कर रहे हैं?

प्रधानमंत्री चुनाव के बाद अब चीन और ताइवान की नजर तुवालु पर है। ताइवान और तुवालु के बीच 1979 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। 

ताइवान अलग-अलग तरीकों से तुवालु की मदद करता रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान तुवालु को हर साल लगभग 12 मिलियन डॉलर की बजटीय सहायता प्रदान करता है। 

इसके अलावा ताइवान अपने सहयोगी देश को नई संसद भवन के लिए करीब 10 करोड़ डॉलर समेत कई परियोजनाओं के लिए पैसा देता है। ताइवान ने COVID-19 से निपटने के लिए तुवालु को चिकित्सा उपकरण भेजे।  

नवंबर में ऑस्ट्रेलिया और तुवालु के बीच एक संधि पर भी हस्ताक्षर किये गये। यह संधि ऑस्ट्रेलिया को प्राकृतिक आपदाओं, स्वास्थ्य महामारी और सैन्य आक्रामकता के जवाब में तुवालु की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध करती है।

एक आईएएस अधिकारी के रूप में साढ़े सात साल के सफल कार्यकाल के बावजूद, तनु जैन ने अपनी सिविल सेवा की नौकरी छोड़ने और पूर्णकालिक शिक्षण में परिवर्तन करने का साहसिक निर्णय लिया।

कई महत्वाकांक्षी भारतीयों का यूपीएससी परीक्षा पास करने और आईएएस अधिकारी बनने का सपना होता है, और इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होंने वर्षों की कड़ी मेहनत की है।  हालाँकि, डॉ. तनु जैन जैसे व्यक्ति भी हैं, जिन्होंने 2015 बैच में सफलतापूर्वक आईएएस अधिकारी बनने के बावजूद, एक अलग पेशेवर रास्ता चुना है।



दिल्ली के सदर इलाके की रहने वाली तनु जैन की परवरिश पारंपरिक तरीके से हुई, उन्होंने सुभारती मेडिकल कॉलेज से बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) की डिग्री हासिल करने से पहले कैम्ब्रिज स्कूल में पढ़ाई की।  

दंत चिकित्सा का अध्ययन करते हुए, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और अंततः आईएएस अधिकारी बनने के अपने लक्ष्य में सफल रहीं।

अपनी उपलब्धि के बाद, डॉ. तनु जैन ने विभिन्न सामाजिक सेवा पहलों, प्रेरक भाषण और किताबें लिखकर समाज में योगदान देना जारी रखा। 

उनके इंस्टाग्राम पर 96 हजार से अधिक फॉलोअर्स है। इसके साथ ही, वह अपने योगदान और अंतर्दृष्टि के लिए पहचानी जाती हैं।

 एक आईएएस अधिकारी के रूप में साढ़े सात साल के सफल कार्यकाल के बावजूद, तनु जैन ने अपनी सिविल सेवा की नौकरी छोड़ने और पूर्णकालिक शिक्षण में परिवर्तन करने का साहसिक निर्णय लिया।  


अपने कदम को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा, "मेरी नौकरी संतोषजनक थी और मैंने साढ़े सात साल तक लगन से काम किया। हालांकि, मैंने यूपीएससी की तैयारी में चुनौतियों का सामना किया। खुद परीक्षा की तैयारी के संघर्षों से गुजरने के बाद, मैं समझती हूं कि उम्मीदवारों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।"  

जीवन विकास के अवसर प्रस्तुत करता है, और मेरे पति के सिविल सेवा में होने के कारण, मुझे जोखिम लेने और अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने की शक्ति महसूस हुई।

तनु जैन का यूपीएससी का सफर चुनौतियों से रहित नहीं था।  अपने पहले प्रयास में, उन्होंने केवल दो महीने में प्रीलिम्स परीक्षा पास कर ली, लेकिन मुख्य परीक्षा में असफल रहीं।  

2014 में अपने तीसरे प्रयास में ही उन्होंने 648वीं रैंक हासिल की।  तनु जैन की कहानी उन विकल्पों के प्रमाण के रूप में कार्य करती है जो व्यक्ति व्यक्तिगत और व्यावसायिक पूर्ति की खोज में चुन सकता है।

केंद्रीय कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय पीठें स्थापित करने की सिफारिश मंजूर कर ली है

कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसद की स्थायी समिति ने संसद को सूचित किया है कि सरकार ने न्यायिक सुधारों पर उसकी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। इस समिति ने अपनी 133वीं रिपोर्ट में न्यायिक सुधारों पर सिफारिशें प्रस्तुत की थीं।



सुप्रीम कोर्ट की पीठ से जुड़ा संवैधानिक प्रावधानः

संविधान के अनुच्छेद 130 में प्रावधान किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में अथवा ऐसे अन्य स्थान या स्थानों में स्थापित होगा, जिसे या जिन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की अनुमति से समय-समय पर निर्धारित करे।

क्षेत्रीय पीठों पर स्थायी समिति की सिफारिशें (133वीं रिपोर्ट)

सुप्रीम कोर्ट देश में 4 या 5 स्थानों पर अपनी क्षेत्रीय पीठें स्थापित करने के लिए अनुच्छेद 130 का उपयोग कर सकता है।

संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों और अन्य संवैधानिक मामलों का निपटारा दिल्ली मुख्य पीठ में किया जा सकता है। वहीं क्षेत्रीय पीठें अपीलीय मामलों पर फैसला कर सकती हैं। अपीलीय पीठों का निर्णय अंतिम माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय न्याय पीठों की आवश्यकता क्यों है?

  • सभी के लिए 'न्याय तक पहुंच' एक मौलिक अधिकार है। इसमें क्षेत्रीय पीठें अपना योगदान दे सकती है।
  • आम नागरिकों के लिए 'न्याय तक पहुंच' बढ़ेगी।
  • मुकदमेबाजी की लागत कम होगी।
  • भाषा संबंधी बाधाओं को दूर होंगी।
  • समय और मेहनत की बचत होगी।
  • संवैधानिक मामलों को अपीलीय मामलों से अलग करने से न्यायपालिका पर मुकदमों के बढ़ते बोझ का समाधान हो सकता है।


क्षेत्रीय पीठों के संबंध में चुनौतियां:

क्षेत्रीय पीठें कानूनों की परस्पर विरोधी व्याख्या कर सकती हैं। इससे न्यायिक प्रणाली की एकरूपता कमजोर हो सकती है।

क्षेत्रीय पीठें न्यायाधीशों के निष्पक्ष चयन और उनके कार्यभार आदि से संबंधित मामलों में भी विवादों को जन्म दे सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट की क्षेलीय पीठों के मामले में विधि आयोग की सिफारिशें (229वीं रिपोर्ट)

दिल्ली की संविधान पीठ संवैधानिक और अन्य संबद्ध मामलों पर सुनवाई कर सकती है।

उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी भारत में एक-एक अपीलीय पीठ स्थापित की जा सकती हैं। ये पीठें क्षेत्र विशेष की सभी अपीलों पर निर्णय करेंगी।

दुनिया के सबसे भारी सांप पर चौकाने वाला शोध सामने आया

हाल ही में, शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रीन एनाकोंडा वास्तव में आनुवंशिक रूप से दो भिन्न प्रजातियां हैं।


ग्रीन एनाकोंडा (यूनेक्टेस मुरिनस) के बारे में

यह सांप जहरीला नहीं होता है। यह बोआ फैमिली का सदस्य है।

यह दुनिया का सबसे भारी सांप है। इसका वजन 550 पाउंड से अधिक हो जाता है।

इस प्रजाति की मादाएं नर की तुलना में काफी बड़ी होती हैं। 

इस सांप की IUCN स्थिति 'लीस्ट कंसर्न' है।

पर्यावास

ये दलदली भूमि और धीमी गति से प्रवाहित होने वाली धाराओं में रहते हैं। ग्रीन एनाकोंडा मुख्य रूप से अमेज़न और ओरिनोको बेसिन के उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में पाया जाता है।

जीवनकाल

इस सांप का जीवन काल वन में लगभग 10 वर्ष तक है।

दुबई ने विश्‍व की पहली हवाई टैक्सी सेवा का शुभारंभ करने के लिए वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट-2024 में समझौतों पर हस्ताक्षर किए

दुबई (UAE) ने विश्‍व की पहली हवाई टैक्‍सी सेवा का शुभारंभ करने के लिए वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट-2024 में समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए हैं। 




शहरी परिवहन में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के लिए यह महत्वपूर्ण पहल की गई है। ये समझौते शहर में इलेक्ट्रिक हवाई टैक्‍सी सेवा और वर्टिपोर्ट नेटवर्क का विस्‍तार करने में दुबई के लिए सहायक होंगे।
  
इस पहल का मुख्‍य आकर्षण जॉबी एविएशन एस-4 एक नवाचारी विमान है, जिसमें एक पायलट सहित चार यात्री आराम से उड़ान भर सकेंगे। एस-4 नवाचारी विमान 6 प्रॉपेलर और 4 बैटरियों से संचालित होगा। 

इस विमान की अधिकतम रेंज 161 किलोमीटर है। इस विमान की प्रति घंटे की गति 321 किलोमीटर है। इस विमान की वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग क्षमता इसे शहरी ढांचे के लिए आदर्श बनाती है।

इस नवाचारी विमान की उड़ान के लिए कम स्‍थान की आवश्‍यकता होगी और हेलिकॉप्‍टर की तुलना में ध्‍वनि प्रदूषण भी कम होगा।

बिजली संचालित इस विमान को उड़ानों के बीच तेजी से रीचार्ज किया जा सकता है। यह पहल अधिक सतत और सुगम परिवहन भविष्‍य की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम को दर्शाती है।
  
एयर टैक्सी नेटवर्क अपना परिचालन 2026 से शुरु करेगा। 

यह कदम शहरी परिवहन व्यवस्था को पुन: परिभाषित करने संबंधी दुबई की तलाश में एक महत्‍वपूर्ण मील का पत्‍थर होगा। 

असम सरकार ने काजी नेमु को 'राजकीय फल' (State Fruit) घोषित किया है

हाल ही में, असम सरकार ने काजी नेमु को 'राजकीय फल' (State Fruit) घोषित किया है।



काजी नेमु के बारे में

यह फल अपनी अनूठी सुगंध और स्वास्थ्य संबंधी लाभों के लिए जाना जाता है।

इसमें पोषक तत्व या विटामिन C प्रचुर मात्ना में होते हैं। इसका स्वाद नींबू की अन्य किस्मों से अलग होता है।

इसे भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त है।

Geographical Indications (GI)

GI वस्तु या उत्पाद की पहचान बताने वाला टैग है। यह टैग उसके विशेष गुणों की वजह से दिया जाता है। ये विशेष गुण किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े होने के कारण उस वस्तु या उत्पाद में पाए जाते हैं।

यह टैग “वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999" के तहत प्रदान किया जाता है। किसी भी वस्तु को GI टैग 10 सालों के लिए दिया जाता है।

समकालीन भू-राजनीति को समझने के लिए एक बेहतरीन किताब है 'व्हाई भारत मैटर्स'

विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बावजूद अपने लेखन कार्य को आगे बढ़ाते रहते हैं। इस क्रम में The India way के बाद उनकी अगली किताब ‘Why Bharat matters’ खूब चर्चा में है। बता दें कि 3 जनवरी, 2024 को,"व्हाई भारत मैटर्स" पुस्तक का विमोचन किया गया था। 

इस पुस्तक में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को महाकाव्य रामायण के उदाहरणों और चरित्रों के जरिए बडे़ ही रोचक ढंग से भू -राजनीति की जटिल दुनिया को आसानी से समझाने की कोशिश की है। 



कोविड महामारी , रूस- यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे हमास इजराइल संघर्ष,जलवायु परिवर्तन कट्टरपंथ और आतंकवाद पर गहन चर्चा की गई है। किताब में जटिल भू-राजनीतिक जैसे चीन का उदय, रूस की रणनीति, वैश्वीकरण का प्रभाव और नई प्रौद्योगिकियों की शक्ति आदि पर भी काफी विस्तार से चर्चा की गई है। 

भारत की भूमिका विश्व मित्र के रूप में 

किताब के मुताबिक, भारत दुनिया की एक अग्रणी शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। 'विश्व मित्र' के रूप में यह वैश्विक दक्षिण की भलाई चाहता है और वैश्विक भलाई में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहा है।

भारत भविष्य में आने वाली जिम्मेदारियों और अवसरों को स्वीकार करने के लिए तैयार है। अमृत काल में प्रवेश करते हुए भारत अपनी परंपरा और विरासत के प्रति सच्चा रहते हुए विकास और प्रगति के युग की कल्पना करता है। 

'व्हाई भारत मैटर्स' में एस जयशंकर का तर्क है कि जहां उभरती शक्तियों को सबसे अधिक स्थिरता की जरूरत होती है। ऐसे में भारत को किसी अप्रत्याशित अस्थिरता से उभरने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

नागरिकों के लिए विदेश नीति का महत्व बढ़ा 

डॉ.एस.जयशंकर अपनी किताब में बताते हैं कि तेजी से वैश्वीकृत होती दुनिया में विदेश नीति सभी नागरिकों के लिए उनके दैनिक जीवन में भी खूब मायने रखने लगी है। 

विदेशमंत्री डॉ.एस. जयशंकर द्वारा लिखित "व्हाई भारत मैटर्स" समकालीन दुनिया में भारत के महत्व को बताने के मामले में एक बेहतरीन किताब है। 

भू-राजनीति, अर्थशास्त्र, संस्कृति और इतिहास को ध्यान में रखते हुए लेखक ने वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका पर एक सूक्ष्म और व्यापक दृष्टिकोण सामने रखा है। 

वैश्विक दुनिया की समकालीन वास्तविकता को समझने और उस पर गंभीरता से विचार करने के मामले में यह किताब खूब सहायक है।

भारत रत्न: पीएम मोदी की घोषणा, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद अब तीन और नेताओं को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की है। देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों- चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव तथा हरित क्रांति के जनक वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा जाएगा।



किसान नेता और पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह

पीएम ने लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।

पूर्व पीएम नरसिम्हा राव का महत्वपूर्ण योगदान

पीएम ने आगे कहा कि एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव ने विभिन्न क्षमताओं में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। 

उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था। प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला। 

इसके अलावा भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया।



कृषि में देश को आत्मनिर्भरता बनाने वाले डॉ. स्वामीनाथन

वहीं डॉ. स्वामीनाथन के बारे में घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। 

हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं। 

डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें वे स्वयं करीब से जानते थे और हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देते थे।

इससे पहले कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी को घोषणा

बता दें कि कुछ दिनों पहले बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया था।

छत्तीसगढ़ में देश का पहला सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित, प्रतिदिन लगभग पांच लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन

देश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकारें भी सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही हैं। 



दरअसल, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में डोंगरगढ़ रोड पर ग्राम ढाबा के पास पहाड़ी क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम आधारित सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है। 

संयंत्र के साथ स्थापित बैटरी के माध्यम से रात्रि में भी बिजली की सुविधा रहेगी। इससे प्रतिदिन पांच लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन होगा और लगभग 4.5 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। इससे हरित ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा।

देश का पहला ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम

छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) ने राजनांदगांव में इस संयंत्र की स्थापना का कार्य सोलर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) एवं छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को सौंपा था। 

संयंत्र को 01 फरवरी 2024 को कार्यशील किया गया। यह देश का पहला ऑनग्रिड सोलर सिस्टम है। यह 100 मेगावॉट का संयंत्र है।

इस प्लांट की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें 660 वॉट क्षमता के कुल 2 लाख 39 हजार बाईफेसियल सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं, जिससे पैनल के दोनों ओर से प्राप्त सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली का निर्माण किया जा रहा है।

प्रतिदिन लगभग पांच लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन

इसकी कुल परियोजना लागत 960 करोड़ रुपये है। यह लागत सात साल में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन कर पूरी हो जाएगी। इस समय प्रतिदिन लगभग पांच लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। 

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यह परियोजना देश एवं प्रदेश के लिए अभिनव प्रयोग है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन ने राजनांदगांव जिले के बैरन पहाड़ी क्षेत्र में देश एवं प्रदेश के प्रथम सोलर पार्क की स्थापना का निर्णय लिया गया था। 

यह परियोजना वर्ष 2016 में शुरू हुई। इसके लिए कुल 17 गांव की 626.822 हेक्टेयर शासकीय भूमि की मांग की गई। इसके बाद राजनांदगांव प्रशासन ने कुल नौ गांव की 377.423 हेक्टेयर भूमि का आवंटन किया।

प्रथम चरण में पांच गांव किए गए शामिल

सोलर पार्क स्थापना के प्रथम चरण में पांच गांव के (16 खसरे) कुल 181.206 हेक्टेयर शासकीय भूमि का सर्वे कर आवंटन प्राप्त किया गया। इनमें प्रमुखतः ग्राम ढाबा, कोहका, रेंगाकठेरा, डुंडेरा, अमलीडीह तहसील व डोंगरगांव सम्मिलित हैं। 

द्वितीय चरण में चार गांव के 196-217 हेक्टेयर शासकीय भूमि का सर्वे कर आवंटन प्राप्त किया गया। इनमें प्रमुखतः ग्राम ओडारबंध, गिरगांव, टोलागांव, घुघुवा तहसील डोंगरगांव सम्मिलित हैं।

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक-2024 को आज राज्‍यसभा में पेश किया गया

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक-2024 को आज राज्‍यसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे प्रस्‍तुत किया।



विधेयक में शामिल परीक्षाएं

सार्वजनिक परीक्षाओं में संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी और केंद्र सरकार के विभागों की परीक्षाएं सम्मिलित हैं। 

विधेयक का उद्देश्य

इस विधेयक का उद्देश्य किसी भी अनुचित तरीके से लिप्तता या साजिश पर रोक लगाना है। अनुचित साधनों में प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी की अनधिकृत पहुंच या लीक होना, सार्वजनिक परीक्षा में परीक्षार्थी की सहायता करना, कंप्यूटर नेटवर्क के साथ छेड़छाड़ करना, फर्जी परीक्षा आयोजित करना और फर्जी प्रवेश पत्र जारी करना सम्मिलित है। 

दण्ड का प्रावधान

विधेयक में अपराध करने पर तीन से दस वर्ष का कारावास और दस लाख से एक करोड़ रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है।


अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर, 14 फरवरी को पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन 

संयुक्त राष्ट्र अमीरात (UAE) की राजधानी अबूधाबी का पहला हिंदू मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार है। इस मंदिर में विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 14 फरवरी को पूरा होगा। उसी दिन बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण (बीएपीएस) संस्था के प्रमुख संत स्वामी महाराज के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर का उद्घाटन करेंगे।



गौरतलब हो,  रेगिस्तान में मंदिर निर्माण की कल्पना 27 वर्ष पूर्व बीएपीएस संस्था के प्रमुख संत स्वामी महाराज ने की थी। नई दिल्ली के अक्षरधाम स्थित बीएपीएस रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहायक निदेशक साधु ज्ञानानंद स्वामी ने बताया कि वैसे तो संस्था ने विश्व के कई देशों में 1100 से अधिक मंदिर बनवाए हैं लेकिन अरब मुस्लिम देश में हिंदू मंदिर का निर्माण अपने में ऐतिहासिक है। 

यूएई में कहां स्थित है मंदिर ? 

अबू मुरीखाह जिले में स्थित 'अल वाकबा' में यह मंदिर भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच दोस्ती, सांस्कृतिक सद्भाव और सहयोग की भावना का प्रतीक है। यहां मंदिर का निर्माण यूएई सरकार और उसके शासकों की उदारता से ही संभव हो सका है। 

दो देशों की संस्कृतियों का प्रतीक

साधु ज्ञानानंद स्वामी ने बताया कि अबूधाबी में दो देशों की संस्कृतियों के प्रतीक के रूप में मंदिर निर्माण के लिए बीएपीएस संस्था के लगातार प्रयास के बाद क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने वर्ष 2015 में मंदिर के लिए जमीन देने की घोषणा की थी। 



2018 में पीएम मोदी ने मंदिर प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की थी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 फरवरी 2018 को यूएई में भारतीय समुदाय को संबोधन के दौरान इस मंदिर के प्रोजेक्ट को शुरू करने की घोषणा की थी। बीस अप्रैल 2019 को इस मंदिर का शिलान्यास किया गया था। मंदिर के निर्माण के लिए भारत से सैकड़ों टन नक्काशीदार पत्थर 09 अगस्त 2021 को भेजे गए थे।

27 एकड़ भूमि पर मंदिर परिसर का हुआ निर्माण

उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में पहले शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने मंदिर निर्माण के लिए 13.5 एकड़ जमीन दी थी लेकिन वर्ष 2019 में अबू धाबी के 'सहिष्णुता वर्ष' मनाने के अवसर पर मंदिर के लिए 13.5 एकड़ भूमि और आवंटित कर दी। इस प्रकार 27 एकड़ भूमि पर मंदिर परिसर का निर्माण हुआ है। 



यह पश्चिम एशिया के पत्थरों से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा

उन्होंने बताया कि यह मंदिर पश्चिम एशिया के पत्थरों से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा। इस मंदिर के सात शिखर अरब के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर में लगे पत्थर राजस्थान से भेजे गए हैं और भीषण गर्मी में भी शीतलता प्रदान करेंगे। इस मंदिर की लंबाई 262 फीट, चौड़ाई 180 फीट और ऊंचाई 108 फीट है। मंदिर में 410 स्तंभ, 12 पिरामिडल शिखर, दो गुंबद होंगे। इस पर 7 तीव्रता तक के भूकंप का कोई असर नहीं होगा।

14 फरवरी को सरस्वती पूजन के दिन पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

उन्होंने बताया कि 14 फरवरी को सरस्वती पूजन के दिन बीएपीएस के प्रमुख संत स्वामी महाराज के साथ प्रधानमंत्री मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महंत स्वामी महाराज भी मंगलवार को अबू धाबी पहुंचे। 

कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख लोग कार्यक्रम में होंगे शामिल

यूएई सरकार ने उनको राज्य अतिथि का दर्जा दिया है और एयरपोर्ट पर स्वामी का शेख नाहयान मुबारक अल नाहयान ने स्वागत किया था। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। उद्घाटन के बाद मंदिर में 15 से 21 फरवरी एक सप्ताह तक कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


कैटालोनिया (Catalonia) ने अपने इतिहास के अब तक के भीषण सूखे के चलते आपातकाल की घोषणा की है

कैटालोनिया (Catalonia) स्पेन का एक स्वास्थ्य क्षेत्र है। इसकी राजधानी बार्सिलोना (Barcelona) है।



यह आइबेरिया प्रायद्वी के उत्तर-पूर्व में अवस्थित है। इसकी सीमा उत्तर में फ्रांस और एंडोरा तथा पूर्व में भूमध्य सागर के साथ लगती है।

पिरेनीज पर्वत श्रृंखला कैटालोनिया को फ्रांस से अलग करती है। कैटालोनिया में भूमध्यसागरी प्रकार की जलवायु पाई जाती है। इस प्रकार के जलवायु में गर्मियां उष्ण और शुष्क होती है, जबकि वर्षा शीत ऋतु में होती है।

इसकी प्रमुख नदी एब्रो नदी है।


लॉ ग्रेजुएट आईएएस पल्लवी मिश्रा ने AIR-73 के साथ बिना कोचिंग के यूपीएससी क्रैक किया

पल्लवी अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां प्रोफेसर डॉ. रेनू मिश्रा, एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, पिता अजय मिश्रा, एक वरिष्ठ वकील और अपने भाई आदित्य मिश्रा, एक आईपीएस अधिकारी और इंदौर में डीसीपी को देती हैं।



हर साल कानून, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और कला सहित विभिन्न क्षेत्रों के लाखों महत्वाकांक्षी उम्मीदवार अपने आईएएस सपने को पूरा करने के लिए प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा में शामिल होते हैं।  कई लोग तो आईएएस या आईपीएस अधिकारी बनने के लिए अपनी अच्छी नौकरी भी छोड़ देते हैं।

चाहे आप किसी भी क्षेत्र से आते हों, परिणाम आपके प्रयास और मेहनत पर निर्भर करता है।  इसे साबित किया है आईएएस पल्लवी मिश्रा ने, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के प्रभावशाली AIR-73 हासिल की।  कानून में स्नातक होने के बावजूद, उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का फैसला किया।



मध्य प्रदेश की रहने वाली, स्कूल के दिनों में अधिकांश बच्चों की तरह उनका सपना भी आईएएस अधिकारी बनने का था।  अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की।

न्यायिक परीक्षाओं में शामिल होने के बजाय, पल्लवी ने यूपीएससी देने का फैसला किया।  अपने पहले प्रयास में उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा।  हालाँकि, उसने हार नहीं मानी।  शिक्षित लोगों के परिवार से आने वाली पल्लवी ने अपनी रणनीति बदली और कड़ी मेहनत की, जिससे अपने दूसरे प्रयास में AIR-73 हासिल किया।

पल्लवी अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां प्रोफेसर डॉ. रेनू मिश्रा, एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, पिता अजय मिश्रा, एक वरिष्ठ वकील और अपने भाई आदित्य मिश्रा, एक आईपीएस अधिकारी और इंदौर में डीसीपी को देती हैं।

जब पल्लवी से उनके जैसे युवा उम्मीदवारों के लिए सुझाव मांगे गए, तो उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना चाहिए और उन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

 LCB ने उम्मीदवारों के लिए उनके सुझावों को उद्धृत करते हुए कहा, "अपनी योजना के साथ शुरुआत करें और अपना खोया हुआ आत्मविश्वास वापस पाएं।"

क्या है 'एक जिला एक उत्पाद' (ODOP) जो काफी चर्चा में है

चर्चा में रहा 'एक जिला एक उत्पाद' (ODOP) के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने ODOP संपर्क पहल के तहत अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

DPIIT वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का विभाग है।

ओडीओपी का उद्देश्य देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है। 

इसका लक्ष्य देश के सभी जिलों से कम-से-कम एक उत्पाद (एक जिला एक उत्पाद) का चयन करते हुए इसकी ब्रांडिंग और उसका प्रचार करना है।

उत्पाद की पहचान करने की जिम्मेदारी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की है।

पांच देश आधिकारिक तौर पर ब्रिक्स (BRICS) में शामिल हुए

हाल ही में, मिश्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ब्रिक्स में आधिकारिक तौर पर शामिल कर लिए गए हैं।

हालांकि अर्जेंटीना को ब्रिक्स में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि अर्जेंटीना ब्रिक्स में शामिल होने के अपने निर्णय से पीछे हट गया था।

इससे पहले ब्रिक्स (BRICS) का विस्तार 2010 में किया गया था जब दक्षिण अफ्रीका इसमें शामिल हुआ था।

भारतीय रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक (PPB) पर कई तरह के व्यावसायिक प्रतिबंध लगाए हैं

हाल ही में, आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट बैंक (PPB) पर व्यवसाय से जुड़े कई प्रतिबंध लगाए हैं। पेटीएम पेमेंट बैंक 29 फरवरी 2024 के बाद किसी भी ग्राहक खाते, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट, वॉलेट, फास्टैग आदि में नई जमा राशि स्वीकार करने से रोक दिया गया है।



RBI ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35A के तहत यह प्रतिबंध लगाया है। आरबीआई ने यह कदम पेटीएम पेमेंट बैंक के बारे में कंप्रिहेंसिव सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट और बाहरी लेखा परीक्षकों की रिपोर्ट सामने आने के बाद उठाया है। 

इन रिपोर्ट्स में पेमेंट बैंक द्वारा नियमों का पालन नहीं करने और मटेरियल सुपरवाइजरी से जुड़ी चिंताएं व्यक्त की गई थी।

आरबीआई के पास 1949 के अधिनियम के तहत लोक हित में या बैंकिंग नीति के हित में निर्देश जारी करने की व्यापक शक्तियां है।

Divya Tanwar जो महज 21 साल की उम्र बिना कोचिंग के पहले प्रयास में IPS और दूसरे प्रयास में IAS बनी

Divya Tanwar, जिसने बिना कोचिंग के दो बार परीक्षा पास की, 21 साल की सबसे कम उम्र में पहले प्रयास में IPS बनी और अगले वर्ष दूसरे प्रयास में आईएएस बनी।



जब दिव्या तंवर ने 2021 में यूपीएससी परीक्षा दी, तो उन्होंने अपने पहले प्रयास में 438 की अखिल भारतीय रैंक (एआईआर) हासिल की।  दिव्या ने महज 21 साल की उम्र में परीक्षा पास कर ली। उन्होंने कोचिंग की तलाश नहीं की;  उसने अपने दम पर परीक्षा उत्तीर्ण की।  22 साल की उम्र में, उन्होंने 2022 में यूपीएससी सीएसई दोबारा दी और आईएएस परीक्षा में एआईआर 105 हासिल किया।

भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास करना हर उम्मीदवार का सपना होता है।  इस चुनौतीपूर्ण परीक्षा में कम ही लोग सफल हो पाते हैं, लेकिन दिव्या तंवर इसे दो बार पास कर सरकार में सम्मानजनक पद हासिल करने में सफल रहीं।

हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली दिव्या ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की।  बाद में, उन्हें महेंद्रगढ़ के नवोदय विद्यालय में जाने के लिए चुना गया।  तंवर ने विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और उन्होंने तुरंत यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।  उनके घर की आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं थी।  उनके पिता का 2011 में निधन हो गया, और परिवार के लिए कठिन समय था।



दिव्या की मां बबीता तंवर उसका समर्थन करती हैं क्योंकि वह एक मेधावी छात्रा है।  दिव्या ने बिना किसी कोचिंग कार्यक्रम में दाखिला लिए यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की।  बाद में, यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए, उन्होंने टेस्ट सीरीज़ सहित विभिन्न ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग किया।  दिव्या की मां बबीता अकेले ही तीनों भाई-बहनों की देखभाल करती थीं।

चूँकि दिव्या ने शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, इसलिए उनकी माँ बबीता तंवर ने उन्हें प्रोत्साहित किया।

दिव्या तंवर को सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रियता हासिल है और वह लगातार अपने दोस्तों और फॉलोअर्स के साथ प्रेरक सामग्री साझा करती हैं।  आईएएस अधिकारी के वर्तमान में 97,000 से अधिक इंस्टाग्राम फॉलोअर्स हैं।

मिलिए आईआईटी ग्रेजुएट आईएएस अनन्या दास से जिन्होंने पहले प्रयास में यूपीएससी सीएसई में सफलता हासिल की

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में उज्ज्वल भविष्य होने के बावजूद अनन्या दास ने देश और इसके लोगों की सेवा करने की अधिक इच्छा महसूस की।



हर साल, हजारों उम्मीदवार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देने के लिए आवेदन करते हैं, जो अपनी सख्त चयन प्रक्रिया के लिए प्रसिद्ध है।  केवल कुछ ही उम्मीदवार आवेदकों के विशाल समुद्र को पार कर पाते हैं और सिविल अधिकारी के रूप में काम करने की अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर पाते हैं।  आईएएस अनन्या दास एक ऐसी असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाली महिला हैं जिनकी यात्रा भक्ति, प्रतिभा और दृढ़ता का एक ज्वलंत उदाहरण है।

अनन्या दास का जन्म 15 मई 1992 को हुआ था और वह उड़िया मूल की हैं।  उनके पिता बैंक ऑफ इंडिया में काम करते थे लेकिन वर्तमान में सेवानिवृत्त हैं।

उन्होंने कम उम्र में उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रतिभा दिखाई और सीखने के प्रति उनके प्यार ने उन्हें प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने में मदद की।

आईएएस अनन्या दास ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी सीएसई में सफलता हासिल की और एआईआर 16 हासिल की।

बीटेक पूरा करने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए एक बहुराष्ट्रीय निगम में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू कर दिया।

अनन्या 2015 गुजरात कैडर की आईएएस अधिकारी हैं।  वह उस साल यूपीएससी सीएसई में स्टेट टॉपर थीं।  वह पहले कटक नगर निगम के आयुक्त के रूप में कार्यरत थीं।

वर्तमान में, अनन्या संबलपुर के कलेक्टर और डीएम के रूप में कार्यरत हैं।  अनन्या की शादी 2014 में आईएएस अधिकारी चंचल रान से हुई थी। उन्होंने पहले आईएएस अब्दाल अख्तर से शादी की थी लेकिन जल्द ही उनका तलाक हो गया।

उत्तर प्रदेश पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने की आयोग के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने मचाया बवाल

उत्तर प्रदेश PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा और RO/ ARO 2023 की प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने के UPPSC के फैसले को लेकर मचे बव...