केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर्स तथा डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास' के तहत तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी प्रदान की

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर्स तथा डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के तहत तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी प्रदान की है।



अनुमोदित सेमीकंडक्टर इकाइयां निम्नलिखित हैं:

  1. सेमीकंडक्टर फैबः इसे धोलेरा (गुजरात) में ताइवान की कंपनियों के साथ साझेदारी में स्थापित किया जाएगा।
  2. सेमीकंडक्टर ATMP (असेंबली, परीक्षण, मार्किंग और पैकेजिंग): इसे मोरीगांव (असम) में स्थापित किया जाएगा।
  3. विशेष चिप्स के लिए सेमीकंडक्टर ATMP इकाई: इसे साणंद, (गुजरात) में जापान और थाईलैंड की कंपनियों की साझेदारी में स्थापित किया जाएगा।

सेमीकंडक्टर और सेमीकंडक्टर्स उद्योग के बारे में

सेमीकंडक्टर एक "सुचालक" (Conductor) और "कुचालक" (Insulator) के बीच की विशेषता रखने वाली सामग्री है। सेमीकंडक्टर को इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) भी कहा जाता है। 

सुचालक के माध्यम से विद्युत आसानी से प्रवाहित हो जाती है। चांदी, एलुमिनियम, लोहा, तांबा आदि विद्युत के सुचालक हैं। कुचालक के माध्यम से विद्युत आसानी से प्रवाहित नहीं होती है। लकड़ी, प्लास्टिक, रबड़ आदि विद्युत के कुचालक हैं।

एक सेमीकंडक्टर फैब या फैब्रिकेशन प्लांट, मूल रूप से एक फैक्ट्री होती है। इनमें इंटीग्रेटेड चिप सर्किट्स और सिलिकॉन वेफर्स का विनिर्माण किया जाता है।

सेमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल डायोड, ट्रांजिस्टर, इंटीग्रेटेड सर्किट और दूरसंचार सहित इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण बनाने में किया जाता है।

सेमीकंडक्टर्स का उपयोग लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों में किया जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), 5G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

संयुक्त राज्य अमेरिका, ताइवान और चीन को 'सेमीकंडक्टर पावरहाउस' माना जाता है।

मैकिन्से के अनुसार, वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर का उद्योग बनने का अनुमान है।

डेलॉयट ने भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार के 2026 तक 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का होने की संभावना प्रकट की है।

भारत द्वारा सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए शुरू की गई पहलें

भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का विकासः यह पहल सेमीकॉनइंडिया प्रोग्राम के रूप में शुरू की गई है। इसके तहत सेमीकंडक्टर्स, डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन इकोसिस्टम में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): यह डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन के भीतर एक विशेष व्यवसाय डिवीजन है। इसका लक्ष्य एक जीवंत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना है।

आई.टी. हार्डवेयर के लिए उत्पादन से संबंद्ध प्रोत्साहन योजना (PLI) 2.0 संचालित की जा रही है। इसके तहत सेमीकंडक्टर डिजाइन, IC विनिर्माण और पैकेजिंग के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।

वित्तीय प्रोत्साहन और डिजाइन अवसंरचना के समर्थन के लिए एक डिजाइन से संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना चलाई जा रही है।

क्वाड सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला पहलः इस पहल का उद्देश्य सेमीकंडक्टर उद्योग की क्षमता का मापन करना, उसकी कमजोरियों की पहचान करना तथा सेमीकंडक्टर्स और उनके महत्वपूर्ण घटकों के लिए आपूर्ति-श्रृंखला सुरक्षा को मजबूत बनाना है।

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