अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर, 14 फरवरी को पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन 

संयुक्त राष्ट्र अमीरात (UAE) की राजधानी अबूधाबी का पहला हिंदू मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार है। इस मंदिर में विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 14 फरवरी को पूरा होगा। उसी दिन बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण (बीएपीएस) संस्था के प्रमुख संत स्वामी महाराज के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर का उद्घाटन करेंगे।



गौरतलब हो,  रेगिस्तान में मंदिर निर्माण की कल्पना 27 वर्ष पूर्व बीएपीएस संस्था के प्रमुख संत स्वामी महाराज ने की थी। नई दिल्ली के अक्षरधाम स्थित बीएपीएस रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहायक निदेशक साधु ज्ञानानंद स्वामी ने बताया कि वैसे तो संस्था ने विश्व के कई देशों में 1100 से अधिक मंदिर बनवाए हैं लेकिन अरब मुस्लिम देश में हिंदू मंदिर का निर्माण अपने में ऐतिहासिक है। 

यूएई में कहां स्थित है मंदिर ? 

अबू मुरीखाह जिले में स्थित 'अल वाकबा' में यह मंदिर भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच दोस्ती, सांस्कृतिक सद्भाव और सहयोग की भावना का प्रतीक है। यहां मंदिर का निर्माण यूएई सरकार और उसके शासकों की उदारता से ही संभव हो सका है। 

दो देशों की संस्कृतियों का प्रतीक

साधु ज्ञानानंद स्वामी ने बताया कि अबूधाबी में दो देशों की संस्कृतियों के प्रतीक के रूप में मंदिर निर्माण के लिए बीएपीएस संस्था के लगातार प्रयास के बाद क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने वर्ष 2015 में मंदिर के लिए जमीन देने की घोषणा की थी। 



2018 में पीएम मोदी ने मंदिर प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की थी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 फरवरी 2018 को यूएई में भारतीय समुदाय को संबोधन के दौरान इस मंदिर के प्रोजेक्ट को शुरू करने की घोषणा की थी। बीस अप्रैल 2019 को इस मंदिर का शिलान्यास किया गया था। मंदिर के निर्माण के लिए भारत से सैकड़ों टन नक्काशीदार पत्थर 09 अगस्त 2021 को भेजे गए थे।

27 एकड़ भूमि पर मंदिर परिसर का हुआ निर्माण

उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में पहले शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने मंदिर निर्माण के लिए 13.5 एकड़ जमीन दी थी लेकिन वर्ष 2019 में अबू धाबी के 'सहिष्णुता वर्ष' मनाने के अवसर पर मंदिर के लिए 13.5 एकड़ भूमि और आवंटित कर दी। इस प्रकार 27 एकड़ भूमि पर मंदिर परिसर का निर्माण हुआ है। 



यह पश्चिम एशिया के पत्थरों से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा

उन्होंने बताया कि यह मंदिर पश्चिम एशिया के पत्थरों से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा। इस मंदिर के सात शिखर अरब के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर में लगे पत्थर राजस्थान से भेजे गए हैं और भीषण गर्मी में भी शीतलता प्रदान करेंगे। इस मंदिर की लंबाई 262 फीट, चौड़ाई 180 फीट और ऊंचाई 108 फीट है। मंदिर में 410 स्तंभ, 12 पिरामिडल शिखर, दो गुंबद होंगे। इस पर 7 तीव्रता तक के भूकंप का कोई असर नहीं होगा।

14 फरवरी को सरस्वती पूजन के दिन पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

उन्होंने बताया कि 14 फरवरी को सरस्वती पूजन के दिन बीएपीएस के प्रमुख संत स्वामी महाराज के साथ प्रधानमंत्री मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महंत स्वामी महाराज भी मंगलवार को अबू धाबी पहुंचे। 

कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख लोग कार्यक्रम में होंगे शामिल

यूएई सरकार ने उनको राज्य अतिथि का दर्जा दिया है और एयरपोर्ट पर स्वामी का शेख नाहयान मुबारक अल नाहयान ने स्वागत किया था। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। उद्घाटन के बाद मंदिर में 15 से 21 फरवरी एक सप्ताह तक कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


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