हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने "भारत में तेंदुओं की स्थिति रिपोर्ट 2022” जारी की है।
यह तेंदुओं की आबादी की गणना का पांचवां चक्र था। इसका आयोजन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने राज्य वन विभागों के सहयोग से किया था।
यह गणना प्रत्येक चार वर्ष पर "बाघ, सह-शिकारी, शिकार और उनके पर्यावास की निगरानी" (Monitoring of Tiger, Co-predators, prey and their Habitat) कार्यक्रम के तहत की जाती है।
इस गणना में बाघों के पर्यावास वाले 18 राज्यों में तेंदुओं के वन-पर्यावासों को शामिल किया गया था। इनमें चार बड़े बाघ संरक्षण भू-क्षेत्र (landscapes) शामिल हैं।
तेंदुओं की गणना के लिए वन विहीन पर्यावास तथा शुष्क और 2000 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाले उच्च हिमालय से सैंपल नहीं लिए गए हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
भारत में तेंदुओं की अनुमानित संख्या 2022 में बढ़कर 13,874 हो गई थी, जो 2018 में 12,852 थी। यह 1.08% की वृद्धि है। यह संख्या सैंपल में शामिल क्षेत्रों पर आधारित है।
मध्य भारत और पूर्वी घाट में तेंदुओं की आबादी में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई। वहीं शिवालिक और गंगा के मैदानी इलाकों में इनकी संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
तेंदुओं की सबसे अधिक आबादी मध्य प्रदेश में है। उसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु का स्थान है।
तेंदुओं की सबसे अधिक आबादी वाला टाइगर रिज़र्व नागार्जुनसागर है। इसके बाद श्रीशैलम, पन्ना और सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व हैं।
भारतीय तेंदुए (पैंथेरा पार्डस फुस्का) के बारे में
संरक्षण स्थितिः- IUCN रेड लिस्टः वल्नरेबल ।
- CITES: परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध।
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972: अनुसूची 1 में सूचीबद्ध ।
- पर्यावासः ये भारत, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। ये मैंग्रोव वनों और मरुस्थलों में नहीं पाए जाते हैं।
विशेषताएं:
यह एकान्तप्रिय और निशाचर जीव हैं।
ये आसानी से पेड़ों पर चढ़ जाते हैं और पेड़ों की शाखाओं पर आराम करते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें