हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA)" की स्थापना को मंजूरी दी है। IBCA का मुख्यालय भारत में स्थापित होगा।
IBCA के बारे में
IBCA को प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अप्रैल 2023 में लॉन्च किया गया था।
IBCA का लक्ष्य सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियों और उनके पर्यावास की सुरक्षा व संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग सुनिश्चित करना है। ये सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियां हैं- बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता ।
प्यूमा और जगुआर को छोड़कर, भारत में सभी 5 बड़ी बिल्ली प्रजातियां पाई जाती हैं।
बहु-देशीय व बहु-एजेंसी गठबंधन:
IBCA को उन 96 देशों के सहयोग से शुरू किया गया है, जहां पर ये बड़ी बिल्ली प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके भागीदारों में निम्नलिखित शामिल हैं-
- बड़ी बिल्ली प्रजातियों वाले देश;
- ऐसे देश जहां बड़ी बिल्ली प्रजातियां नहीं पाई जाती हैं, लेकिन वे इनके संरक्षण में रूचि रखते हैं;
- संरक्षण भागीदार;
- संरक्षण में रूचि रखने वाले व्यवसायिक व कॉर्पोरेट समूह तथा
- बड़ी बिल्ली प्रजाति के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक संगठन।
IBCA का वित्त-पोषणः
भारत पांच वर्षों (2023-24 से 2027-28) के लिए 150 करोड़ रुपये की प्रारंभिक सहायता प्रदान कर रहा है। द्विपक्षीय व बहुपक्षीय एजेंसियों और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों सहित अन्यों से भी योगदान प्राप्त किया जाएगा।
गवर्नेस संरचना:
इसमें शामिल हैं-
- सदस्यों की सभा,
- स्थायी समिति, और
- सचिवालय
बड़ी बिल्ली प्रजातियों और उनके पर्यावासों के संरक्षण का महत्त्व
पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करनाः बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां पारिस्थितिकी तंत्र की शीर्ष परभक्षी हैं। इनकी आबादी कम होने से शिकार प्रजातियों की संख्या काफी बढ़ जाएगी। इससे अति- चराई को बढ़ावा मिलेगा और भूक्षेत्र के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।
जल सुरक्षाः हिम तेंदुओं की अधिक आबादी, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ होने का संकेत है। हिमालय कई नदियों के स्रोत हैं। ऐसे में हिम तेंदुए के संरक्षण से हिमालय और उसके हिमनद भी संरक्षित होते हैं।
जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करनाः ये बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां कार्बन का भंडारण करने वाले वन क्षेत्रों की रक्षा में सहायक हैं।
सांस्कृतिक प्रतीकः दुनिया भर में कई समुदायों के लिए बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां उनकी आस्था और संस्कृति से जुड़ी हुई हैं और ये उनकी लोक कथाओं में भी शामिल रही हैं। ऐसे में इन प्रजातियों के संरक्षण से देशज प्रजातियों की संस्कृतियों का भी संरक्षण होता है।
अर्थव्यवस्था का समर्थनः इनके पर्यावास आजीविका के अवसर प्रदान करते हैं और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं।
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