भारतीय निर्वाचन आयोग ने अमिट स्याही (Indelible Ink) के एकमात्र निर्माता मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL) को 26.55 लाख शीशियां बनाने का ऑर्डर दिया है। यह अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है।
अमिट स्याही (Indelible Ink) का उपयोग
अमित स्याही का उपयोग व्यक्ति को चुनाव में दोबारा मतदान करने से रोकने के लिए तथा पल्स पोलियो प्रोग्राम में टीका लगे बच्चों की पहचान के लिए लगाया जाता है।
अमिट स्याही का निर्माण
अमित स्याही का निर्माण भारत में दो जगह पर किया जाता है। पहला रायुडू लैबोरेट्री, तेलंगाना और दूसरा मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी, मैसूर।
इसमें 10 से 18 प्रतिशत सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो नाखून के साथ अभिक्रिया करने और प्रकाश के संपर्क में आने पर गहरा हो जाता है। इसके अलावा इसमें अन्य रसायनों का भी उपयोग किया जाता है।
भारत में निर्मित स्याही का उपयोग न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में भी किया जाता है। भारतीय चुनाव आयोग मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी द्वारा निर्मित स्याही का उपयोग करती है जबकि रायडू लैबोरेट्री दुनिया के दूसरे देशों के लिए स्याही का निर्माण करता है।
वर्तमान में 90 से अधिक देश इस तरह की स्याही का इस्तेमाल करते हैं। इसमें से 30 देश की स्याही भारत द्वारा निर्मित से स्याही होती है।
ECI के नियम
चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49K में प्रावधान किया गया है कि पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी प्रत्येक मतदाता की बायीं तर्जनी अंगुली का निरीक्षण कर सकता है और उस पर एक अमिट स्याही का निशान लगा सकता है।
इसे अमिट स्याही इसलिए कहा जाता है, क्योंकि एक बार लगाने के बाद इसे कई महीनों तक किसी रसायन, डिटर्जेंट, साबुन या तेल से नहीं हटाया जा सकता। इसका रंग पर्पल होता है।
भारतीय चुनाव आयोग 1960 से इस स्याही का उपयोग कर रहा है।
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