सरकार ने 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर (Jel)' को अगले पांच साल के लिए 'गैर-कानूनी संगठन' घोषित किया

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हाल ही में, सरकार ने 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर (Jel)' को अगले पांच साल के लिए 'गैर-कानूनी संगठन' घोषित किया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने यह अधिसूचना गैर-कानूनी क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 3 के तहत जारी की है।



इससे पहले भी फरवरी 2019 में Jel पर प्रतिबंध लगाया गया था।

सरकार का आरोप

 Jel को गैर-कानूनी संगठन इसलिए घोषित किया गया है, क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवाद को भड़काने और भारत विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने का कार्य किया है। 

संगठन की ये गतिविधियां देश की आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। साथ ही, देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

Jel के सदस्यों पर अक्सर ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के रूप में काम करने का भी आरोप लगाया जाता है।

OGWs: इस समूह में वे लोग शामिल होते हैं, जो आतंकवादियों को जरूरत की चीजें उपलब्ध कराते हैं और उन्हें गुप्त गतिविधियां संचालित करने में सहायता प्रदान करते हैं।


आतंकवादी संगठनों के लिए OGWs द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका

भर्ती: इन लोगों की स्थानीय युवाओं को आतंकवादी समूहों में भर्ती कराने में भूमिका होती है। इसमें जबरन भर्ती भी शामिल है।

वित्त-पोषणः इसके लिए अवैध व्यापार, जाली मुद्रा की तस्करी, कर चोरी, हवाला लेन-देन आदि गतिविधियां की जाती हैं।

अन्य हितधारकों के साथ समन्वयः OGWs अलगाववादी नेताओं, संगठित अपराध नेटवर्क्स आदि के साथ समन्वय स्थापित करने का कार्य करते हैं।

जायज ठहराना (Legitimization): OGWs प्रोपेगेंडा, कट्टरवाद (रेडिकलाइजेशन), स्थानीय लोगों की शिकायतों का सहारा लेने जैसे तरीकों के माध्यम से आतंकी गतिविधियों को जायज ठहराने का प्रयास करते हैं।

 OGWs को निष्प्रभावी बनाने के उपायः

अनाथ बच्चों और महिलाओं का पुनर्वास करके सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा संचालित ऑपरेशन सद्भावना (गुडविल) इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

कट्टरपंथ फ़ैलाने के प्रयासों पर निगरानी रखने के लिए खुफिया अवसंरचना में सुधार किया जाना चाहिए।

आतंकवादियों और OGWs को जल्दी सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट्स का गठन किया जाना चाहिए।

गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967

UAPA व्यक्तियों और संगठनों की कुछ गैर-कानूनी गतिविधियों की रोकथाम तथा आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए एक कानून है।

UAPA (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने सरकार को संगठनों के अलावा व्यक्तियों को भी आतंकवादी के रूप में नामित करने का अधिकार दिया है।

इस कानून में आतंकवादी कृत्यों को परिभाषित करने के लिए परमाणु आतंकवाद के कृत्यों के दमन हेतु अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (2005) को भी शामिल किया गया है।

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