हाल ही में, भारत के केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में एक बहस के दौरान बताया कि भारतीय सेना के एक संयुक्त अभियान (ऑपरेशन महादेव) में तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया है। ये आतंकवादी पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने इसे भारत की "सख्त आतंकवाद नीति" का उदाहरण बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुरक्षा बलों को बधाई दी और कहा कि इस आपरेशन से आतंकवादियों को उनके अपराध की "सही सजा" मिली है।
ऑपरेशन महादेव के बारे में
यह ऑपरेशन भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने चलाया था। यह ऑपरेशन 27-28 जुलाई, 2025 को चलाया गया था। इसका उद्देश्य पहलगाम हत्याकांड के जिम्मेदार आतंकवादियों को पकड़ना या मार गिराना था।
अमित शाह ने संसद को बताया कि मारे गए तीनों आतंकवादियों में से एक हाशिम मूसा (उर्फ सुलेमान शाह) पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था। यह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था। उन्होंने दो अन्य आतंकवादियों के कोडनेम भी बताएं- "अफगान" और "जिब्रान"।
मारे गए यह आतंकी श्रीनगर जिले के हरवन-हिदवास क्षेत्र में छिपे हुए थे। यह क्षेत्र श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में पड़ता है। यह एक घना और दुर्गम जंगल वाला इलाका है, जो आतंकवादियों को छिपने और बचने के लिए आदर्श माना जाता है। सुरक्षा बलों को सुराग मिला था कि पहलगाम हमले के आरोपी आतंकी इसी इलाके में छिपे हुए हैं।
आतंकियों की पहचान
अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में मारे गए इन आतंकियों का संबंध पहलगाम हमले से था जैसा कि सरकार ने दावा किया है। इस सवाल को विपक्ष ने भी उठाया है। सरकार ने इन आतंकवादियों का संबंध पहलगाम हत्याकांड से होने का निम्नलिखित सबूत संसद में पेश किया है:
- स्थानीय लोगों और गिरफ्तार किए गए संदिग्धों ने इन आतंकवादियों की पहचान की है।
- पाकिस्तानी वोटर आईडी कार्ड
- पाकिस्तानी चॉकलेट और सामान
- हथियार, जिनकी फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई है कि यही हथियार पहलगाम हत्याकांड में इस्तेमाल हुए थे।
सरकार के यह सबूत कितने सही हैं और कितने गलत है, यह कह पाना बहुत मुश्किल है। चुकी सरकार ने यह सबूत संसद में पेश किए हैं इसलिए इसे सत्य मानकर चलना ही उचित होगा।
पहलगम आतंकी हमला
यह हमला 22 अप्रैल, 2025 को किया गया था। इस हमले में 5 आतंकवादियों ने 26 लोगों को मार दिया था। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित और Lashkar-e-Taiba से संबंधित आतंकवादी समूह The Resistance Front (TRF) ने ली थी। हालांकि बाद में उसने अपना दावा वापस ले लिया था।
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की अपनी एक रैली में कहा था कि "जिन्होंने यह हमला किया है उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।" तो सवाल यह है कि क्या उनको यह सजा मिली? इस सवाल का उत्तर जानने से पहले हम यह जानते है कि आखिरकार ये साजिशकर्ता है कौन?
पहलगाम हमले के मुख्य साजिशकर्ता कौन?
प्रधानमंत्री ने बिहार की रैली में दो तरह के लोगों की तरफ पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया- पहला, इस हमले को अंजाम देने वाले लोग; और दूसरा, इसके साजिशकर्ता।
- पहला, पहलगम हमले को अंजाम देने वाले लोग: इस हमले को पाँच आतंकियों ने अंजाम दिया था। इसमें से एक आतंकवादी को जिसे पहलगाम हत्याकांड का मास्टरमाइंड कहा जा रहा था, को मार गिराया गया।
- दूसरा, साजिशकर्ता: पहलगाम हमले के साजिशकर्ताओं की जानकारी पकड़े गए संदिग्धों के बयानों, ड्रोन फूटेजों, आतंकवादियों से प्राप्त सबूतों और बयानों, विशेषज्ञों की रिपोर्टों, और आम लोगों की राय से पता चलता है। ये सभी संकेत पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों, ISI और पाकिस्तानी आर्मी चीफ की तरफ जाते है। कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और मीडिया ने भी इशारा किया कि ISI और पाकिस्तानी सेना की सहमति या चुपचाप समर्थन के बिना इतनी बड़ी घुसपैठ और हमला संभव नहीं था। भारत ने इस हमले को राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद (State-sponsored cross-border terrorism) कहा।
क्या पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकवादियों और साजिशकर्ताओं को कड़ी सजा मिली?
भारत ने पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकवादियों और सजिशकर्ताओं को कड़ी सजा देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर और महादेव चलाया। इसके अलावा अंतर्रास्ट्रीय प्रयास भी किए। कई देशों ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की। अमेरिका ने TRF को आतंकवादी संगठन घोषित किया। UN Secrity Council ने भी अपनी रिपोर्ट में TRF का नाम शामिल किया। भारत के प्रयासों के बावजूद भी FATF ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की कड़ी निंदा तो की लेकिन उसे ग्रे या ब्लैक लिस्ट में शामिल नहीं किया। FATF ने कहा "This, and other recent attacks, could not occur without money and the means to move funds between terrorist supporters." यानी, ऐसे हमले आतंकवादी फंडिंग और वित्तीय लेन-देन की मौजूदगी के बिना संभव ही नहीं होते हैं। यही नहीं, IMF ने भी पाकिस्तान को करीब $1 अरब का तत्काल भुगतान जारी कर दिया और नए $1.4 अरब RSF फंड को मंजूरी दे दी।
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)
यह भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के जवाब में पाकिस्तान और PoK में किए गए सटीक सैन अभियान का नाम है। यह मिशन 7 मई 2025 की रात 1:05 बजे से 1:30 बजे तक चला, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर 9 आतंकवादी ठिकानों पर सटीक वार किए। इन ठिकानों में Jaish-e-Mohammed, Lashkar-e-Taiba और Hizbul Mujahideen के रिक्रूटमेंट, प्रशिक्षण और कमांड सेंटर शामिल थे। भारत ने स्पष्ट किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य आधार या नागरिक इलाके को निशाना नहीं बनाया गया। केवल आतंकवादी संरचना को निशाना बनाया गया था। भारतीय सूत्रों के अनुसार, लगभग 70 आतंकवादी मारे गए और 60 घायल हुए; जबकि पाकिस्तान ने 8–9 नागरिकों की मौत होने की जानकारी दी। इस ऑपरेशन में पाक सेना की संचार प्रणाली और साइबर कमांड को ध्वस्त कर दिया गया। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सिक्योरिटी और आतंकी ठिकानों को भारी नुकसान पहुँचाया।
ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev)
ऊपर हम पढ़ चुके है कि ऑपरेशन महादेव के तहत तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया। इसमें से एक को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड बताया गया।
क्या भारत पहलगाम हमले का बदल ले लिया है?
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत ने पाकिस्तान को और उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को मुहतोड़ जवाब दिया है। लेकिन अभी तक भारत ने पहलगाम हमले के जिम्मेदार 1-3 आतंकियों को ही मार है। अभी भी कम-से-कम दो आतंकी बाकी है। साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर में कितने आतंकी और साजिशकर्ता मारे गए, इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
वास्तव में, अगर देखा जाय तो पहलगाम हमले का असली साजिशकर्ता हमले को अंजाम देने वाले आतंकी नहीं, बल्कि पाकिस्तानी आर्मी और ISI है, जिन्होंने आतंकियों को सहायता, सुविधा, प्रशिक्षण और हथियार दिए है। भारत के प्रधानमंत्री ने बिहार की रैली में कहा था कि साजिशकर्ताओं को भी उनकी कल्पना से कड़ी सजा मिलेगी। तो अब सवाल यह है कि क्या उन्हें यह सजा मिली? इसका उत्तर है- नहीं; क्योंकि न तो अभी तक ISI प्रमुख मारा गया और न ही पाकिस्तान आर्मी चीफ (General Asim Munir)। पाकिस्तान ने सेना और लोगों का मनोबल ऊंचा बनाए रखने के लिए आसिम मुनिर को पाकिस्तानी आर्मी का सर्वोच्च पद "Field Marshal" के रूप में प्रमोशन दे दिया। यही नहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आशिफ मुनीर को व्हाइट हाउस में बुलाकर न सिर्फ उसके साथ लंच किया बल्कि ऑपरेशन सिंदूर को रुकवाने में उसकी भूमिका की प्रशंसा भी की। इसके अलावा अमेरिका ने पाकिस्तान के तेल भंडारों की खोज और विकास में निवेश करने की घोषणा की है। अमेरिका ने भारत पर कुल 35% का टैरिफ लगाया है, वहीं पाकिस्तान पर 20% का टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका की भारत के साथ दोहरे व्यवहार को दर्शाता है। यानी अमेरिका चीन और रूस को साधने के लिए भारत का इस्तेमाल करता है, जबकि भारत को साधने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करता है। वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ बोलता है लेकिन पाकिस्तान के जरिए अप्रत्यक्ष और चुपके से आतंकवाद को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है। चीन पर भी यही बात लागू होता है। चीन ने तो इस तनाव में भारत के खिलाफ पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया है।
निष्कर्ष
उपर्युक्त बातों से एक बात तो समझ में आ गई है कि भारत को कम-से-कम तीन मोर्चों पर युद्ध के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। पहला पाकिस्तान, दूसरा चीन और तीसरा संभावित अन्य देश। हमने 1971 के युद्ध में तीसरे देश के रूप में भारत के खिलाफ अमेरिका की भूमिका को देख चुके है। यह भी हो सकता है कि भविष्य में तीसरे देश के रूप में हमारा कोई पड़ोसी देश हो। इसके अलावा भारत को अपनी खुफिया एजेंसियों को और मजबूत बनाने, भविष्य की नई रक्षा तकनीकों को अपनाने, पर्याप्त रक्षा सामग्रियों और ढ़ाचों का विकास करने और सैनिकों के भविषोंमुख प्रशिक्षण आदि पर ध्यान देना चाहिए। आर्थिक स्थिति भी युद्ध में बड़ी भूमिका निभाती है, तो इस पर भी ध्यान देना चाहिए। भारत को युद्ध या तनाव के हालातों में अपनी अंतर्रास्ट्रीय कूटनीति को और मजबूत बनाने की जरूरत हैं ताकि अन्य देश उसके साथ खड़े रहे।
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