यह विधेयक 'धर्म स्वातंत्र्य विधेयक-1968' की जगह लेगा।
नए विधेयक के अनुसार, प्रलोभन, धमकी, बलपूर्वक, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विवाह के नाम पर कपटपूर्ण धर्मांतरण अपराध माना जाएगा।
इस कानून के उल्लंघन पर 1 से 15 साल तक कारावास और ₹25,000 जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
हालांकि नाबालिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मामले में 2 से 10 साल तक कैद और कम से कम ₹50,000 जुर्माने का प्रावधान है।
यदि कोई धर्म परिवर्तन करना या कराना चाहता है, तो उसे धर्मांतरण के लिए 60 दिन पूर्व जिला दंडाधिकारी को सूचित करना होगा। ऐसा नहीं करने पर कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष कारावास और कम से कम ₹50,000 का जुर्माना का प्रावधान किया गया है।
इस कानून का एक से अधिक बार उल्लंघन करने की स्थिति में 5 से 10 साल तक कारावास का प्रावधान किया गया है।
नए विधेयक में, विवाह अमान्य घोषित होने की स्थिति में महिला व उसके बच्चों के भरण-पोषण का प्रावधान भी किया गया है।
ऐसे विवाह से जन्में बच्चे माता पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी होंगे।
इस कानून का उल्लंघन करने वाले संस्था या संगठन को भी समान सजा मिलेगी।
नए कानून के मुताबिक अपराध संज्ञेय व गैर-जमानती होने के साथ पुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का अधिकारी इसकी जांच नहीं कर सकता, का प्रावधान है।
नोट- सजा: अधिकतम 10 वर्ष कारावास तथा अधिकतम 10 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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