इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक बौद्ध साहित्य और हस्तशिल्प के लिए एक पुस्तकालय बनाने का प्रस्ताव भी रखा।
संवाद का उद्देश्य आपसी संवाद और वाद-विवाद के प्रसाद द्वारा लोकतंत्र, मानवतावाद, अहिंसा, स्वतंत्रता और सहिष्णुता के साझा मूल्यों को उजागर करना और आध्यात्मिक आदान-प्रदान करना है।
इस कांफ्रेंस की शुरुआत 5 वर्ष पूर्व की गई थी।
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