भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से सिविल डिफेंस तैयारियों का मूल्यांकन करने के लिए मॉक ड्रिल्स आयोजित करने को कहा

गृह मंत्रालय ने देश के वर्गीकृत 244 सिविल डिफेंस जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल्स आयोजित करने का निर्णय लिया। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका जताई जा रही है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम सीमा पर पहुंच गया है।

सिविल डिफेंस जिले ऐसे जिले होते हैं, जिन पर सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से दुश्मन के हमलों का खतरा बना रहता है।



सिविल डिफेंस अभ्यास के बारे में

यह किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार रहने का अभ्यास है। इसका उद्देश्य यह परीक्षण करना होता है कि युद्ध, मिसाइल हमले, हवाई हमले या आपदा जैसी आपातकालीन परिस्थितियों के दौरान नागरिक और सरकारी तंत्र किस प्रकार प्रत्युत्तर देते हैं।

इस अभ्यास के दौरान अलग-अलग प्रकार के नागरिक सुरक्षा उपायों की संचालन क्षमता और समन्वय का मूल्यांकन किया जाता है। इस अभ्यास में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • हवाई हमले की चेतावनी प्रणालियों के प्रभावी होने की क्षमता का आकलन करना,
  • भारतीय वायुसेना के साथ हॉटलाइन या रेडियो संचार लिंक का संचालन करना, और कंट्रोल रूम की कार्यक्षमता की जाँच करना ।
  • शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में नागरिकों और विद्यार्थियों को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण देना।
  • छद्म उपायों (Camouflaging) द्वारा महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को हमले से बचाने की व्यवस्था करना।
  • हमले वाली जगह से सुरक्षित निकासी की योजना को अपडेट करना व उसका अभ्यास कराना।

पिछली बार ऐसी ड्रिल्स 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले आयोजित की गई थी।


भारत में सिविल डिफेंस के प्रावधान

नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968: यह अधिनियम भारत-चीन युद्ध (1962) और भारत-पाक युद्ध (1965) के बाद लागू किया गया था। यह वायु, भूमि, समुद्र या अन्य स्थानों से किसी भी प्रकार के शत्रुतापूर्ण हमले से जान-माल, स्थान या वस्तु की सुरक्षा के उपायों का प्रावधान करता है।

इस अधिनियम में नागरिक सुरक्षा वाहिनी (Civil Defence Corps) के गठन और नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) के लिए नियम एवं कानून बनाने के प्रावधान किए गए हैं।

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