हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत काम कर रही बेंगलुरू की एक शोध टीम ने तेजी से चार्ज होने वाली और लंबे समय तक चलने वाली एक सोडियम-आयन बैटरी (SIB) विकसित की है। यह केवल 6 मिनट में 80% तक चार्ज हो सकती है और 3000 से अधिक चार्ज साइकिल तक चल सकती है।
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बाईं तरफ फास्ट चार्जिंग बैटरी है जबकि दाहिने तरफ इससे शोधकर्ता |
यह भारत की सबसे बड़ी सफलता क्यों
सोडियम-आयन बैटरी (SIB) के बारे में
परिभाषाः यह एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी है, जो लिथियम बैटरी की तरह काम करती है। हालांकि, इसमें लिथियम आयनों (Li+) की बजाय सोडियम आयनों (Na+) का उपयोग किया जाता है।
सोडियम-आयन बैटरी (SIB) कैसे काम करती है?
डिस्चार्ज के समयः सोडियम आयन एनोड (ऋणात्मक इलेक्ट्रोड) से कैथोड (धनात्मक इलेक्ट्रोड) की ओर जाते हैं, जहां ये आयन जमा होते हैं और रिडक्शन प्रक्रिया संपन्न होती है।
ये आयन इलेक्ट्रोलाइट (एक विद्युत कंडक्टर) के माध्यम से गमन करते हैं। ये इलेक्ट्रोलाइट विभवांतर (Potential difference) उत्पन्न करके विद्युत प्रवाह को संभव बनाते हैं।
रिचार्ज के दौरानः सोडियम आयन एनोड पर वापस लौट आते हैं।
लिथियम-आयन बैटरी (LIBs) की तुलना में सोडियम-आयन बैटरी (SIBs) के लाभः
लागतः SIBs की लागत तुलनात्मक रूप से कम होती है। सोडियम के यौगिक लिथियम से सस्ते होते हैं, जिससे बैटरी की कुल लागत 15% से 20% तक कम हो सकती है।
आपूर्ति श्रृंखला का विकेन्द्रीकरणः सोडियम धरती पर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे इसका उत्पादन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हो सकता है। इससे भू-राजनीतिक जोखिम का असर कम हो जाता है।
उदाहरण के लिए - 2023 तक वैश्विक लिथियम प्रसंस्करण में चीन की लगभग 60% हिस्सेदारी थी। यह स्थिति लिथियम आपूर्ति श्रृंखलाओं में मौजूद केन्द्रीयता को उजागर करती है जिसमें SIBs विविधता लाने में मदद कर सकती है।
प्रौद्योगिकी: SIBs वस्तुतः LIBs की तुलना में ज्यादा और कम, दोनों तापमान पर काम कर सकती है। इसलिए, तापमान में अधिक भिन्नता वाले क्षेत्रों में भी इनका सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है।
सुरक्षाः SIBs का परिवहन शून्य वोल्टेज (पूरी तरह डिस्चार्ज) पर भी किया जा सकता है। इससे LIBs की तुलना में आग लगने का जोखिम कम होता है और सुरक्षा उपायों की लागत भी कम होती है।
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