हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भुज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को एक 'छद्म युद्ध' (Proxy War) के रूप में नहीं बल्कि एक 'सुनियोजित युद्धनीति' के रूप में अपनाया गया है।
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अशांति उत्पन्न करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों को वित्त पोषण, प्रशिक्षण और हथियार देकर भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर का उपयोग करता है।
हालांकि, उन्होंने इसे लेकर पाकिस्तान को कड़े शब्दों में सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत अब इसे उसी तरह से जवाब देगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार और सेना आतंकवाद को अपनी रोजी-रोटी बना चुकी है। उन्होंने पाकिस्तान के नागरिकों से अपील की कि वह शांति का रास्ता चुने अन्यथा भारत की 'गोली' तैयार है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत अब आतंकवाद पर चुप नहीं बैठेगा और ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों को जन आंदोलन में बदलने की प्रतिबद्धता जताई।
प्रॉक्सी वॉर क्या है?
यह ऐसा संघर्ष होता है, जिसमें कोई देश स्वयं सीधे तौर पर शामिल नहीं होता, लेकिन गैर-राज्य अभिकर्ताओं (जैसे आतंकी संगठन, जासूस आदि) को समर्थन देकर दूसरे देश को नुकसान पहुंचाता है।
यह हाइब्रिड वॉरफेयर का एक उप-समूह है, जिसमें पारंपरिक सैन्य रणनीति और अपरंपरागत तरीकों का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अक्सर साइबर वॉरफेयर, आतंकवाद (प्रॉक्सी वॉर) आदि शामिल होते हैं।
प्रॉक्सी वॉर के साधन
इसमें गैर-राज्य अभिकर्ताओं को प्रशिक्षण और सैन्य सहायता देना; आर्थिक सहायता प्रदान करना; खुफिया जानकारी साझा करना; सोशल मीडिया का उपयोग करना (जैसे, गलत सूचना प्रसार); साइबर टूल्स आदि शामिल हैं।
प्रॉक्सी वार (Proxy War) का भारत पर प्रभाव
1. संप्रभुता को चुनौती
उदाहरण के लिए- पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन और सहायता देकर इस पर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की निर्रथक कोशिश करता रहता है।
2. हिंसा और जान-माल की हानि
उदाहरण के लिए- पाकिस्तान की तरह चीन भी पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवादी समूहों को अप्रत्यक्ष समर्थन देता हैं, जिसके कारण बड़ी संख्या में आम नागरिक और सैन्य कर्मी हताहत हुए हैं।
3. आर्थिक बोझ
Proxy War के चलते भारत को सुरक्षा पर अधिक व्यय करना पड़ता है, जिससे सामाजिक अवसंरचना पर व्यय हेतु धन की उपलब्धता कम हो जाती है।
प्रॉक्सी वॉर (Proxy War) के पीछे के कारण
पाकिस्तान भारत के खिलाफ क्यों लड़ता रहता है?
- 1971, 1999 जैसे कई युद्धों में पाकिस्तान की हार
- ब्लूचिस्तानी अगववादियों को भारत पर समर्थन देना का आरोप
- भारत का आर्थिक, सैन्य, और तकनीकी विकास
- अमेरिका और चीन जैसे देशों का पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष समर्थन
- जम्मू कश्मीर का विकास और शांति तथा पाकिस्तान का हिस्सा न बनना, आदि।
पाकिस्तान proxy war पर ही जोर क्यों देता है?
- अपनी भागीदारी का खंडन करना: इसमें प्रत्यक्ष दोषारोपण और अंतर्राष्ट्रीय परिणामों से बचना शामिल है।
- छद्म रणनीतियांः खुफिया जानकारी एकत्र करना और प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना दूर से ही किसी देश में घटनाओं को अंजाम देना। उदाहरण के लिए- स्लीपर सेल (OGW) और हाल ही में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर (जैसे ज्योति मल्होत्रा आदि) का इस्तेमाल करने जैसे मामले सामने आए हैं।
- कम लागत व ज्यादा नुकसानः इसमें अपने सैनिकों की जान का कम नुकसान और आतंकियों पर कम खर्च करके दुश्मन देश को ज्यादा नुकसान पहुंचाना और उसकी युद्ध लागत को बढ़ाना शामिल है। उदाहरण के लिए- भारत के खिलाफ पाकिस्तान की "थाउसेंड कट्स" की रणनीति। यह रणनीति, भारत को हजार गांव से लहूलुहान करना पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत के विरुद्ध अपनाया जाने वाला एक सैन्य सिद्धांत है।
Proxy War के खिलाफ़ भारत द्वारा उठाए गए कदम
नया 3 स्तंभ सुरक्षा सिद्धांत
इसे हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री द्वारा घोषित किया गया है। इसमें प्रॉक्सी वॉर को भारत के खिलाफ प्रत्यक्ष युद्ध माना गया है।
सीमा प्रबंधन का आधुनिकीकरण
उदाहरण के लिए व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS), जिसमें नियंत्रण रेखा पर स्मार्ट फेंस (बाड़) लगाना, थर्मल इमेजिंग और मोशन सेंसर शामिल हैं।
साइबर सुरक्षा को मजबूत करना
जैसे Cert-in और NTRO की स्थापना।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल
उदाहरण के लिए- पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति का उपयोग करना।