भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 'छद्म युद्ध' (Proxy War) को लेकर पाकिस्तान पर लगाया 'गम्भीर' आरोप

हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भुज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को एक 'छद्म युद्ध' (Proxy War) के रूप में नहीं बल्कि एक 'सुनियोजित युद्धनीति' के रूप में अपनाया गया है।

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अशांति उत्पन्न करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों को वित्त पोषण, प्रशिक्षण और हथियार देकर भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर का उपयोग करता है।

हालांकि, उन्होंने इसे लेकर पाकिस्तान को कड़े शब्दों में सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत अब इसे उसी तरह से जवाब देगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार और सेना आतंकवाद को अपनी रोजी-रोटी बना चुकी है। उन्होंने पाकिस्तान के नागरिकों से अपील की कि वह शांति का रास्ता चुने अन्यथा भारत की 'गोली' तैयार है। 

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत अब आतंकवाद पर चुप नहीं बैठेगा और ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों को जन आंदोलन में बदलने की प्रतिबद्धता जताई।



प्रॉक्सी वॉर क्या है?

यह ऐसा संघर्ष होता है, जिसमें कोई देश स्वयं सीधे तौर पर शामिल नहीं होता, लेकिन गैर-राज्य अभिकर्ताओं (जैसे आतंकी संगठन, जासूस आदि) को समर्थन देकर दूसरे देश को नुकसान पहुंचाता है।

यह हाइब्रिड वॉरफेयर का एक उप-समूह है, जिसमें पारंपरिक सैन्य रणनीति और अपरंपरागत तरीकों का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अक्सर साइबर वॉरफेयर, आतंकवाद (प्रॉक्सी वॉर) आदि शामिल होते हैं।

प्रॉक्सी वॉर के साधन

इसमें गैर-राज्य अभिकर्ताओं को प्रशिक्षण और सैन्य सहायता देना; आर्थिक सहायता प्रदान करना; खुफिया जानकारी साझा करना; सोशल मीडिया का उपयोग करना (जैसे, गलत सूचना प्रसार); साइबर टूल्स आदि शामिल हैं।


प्रॉक्सी वार (Proxy War) का भारत पर प्रभाव

1. संप्रभुता को चुनौती

उदाहरण के लिए- पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन और सहायता देकर इस पर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की निर्रथक कोशिश करता रहता है।

2. हिंसा और जान-माल की हानि

उदाहरण के लिए- पाकिस्तान की तरह चीन भी पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवादी समूहों को अप्रत्यक्ष समर्थन देता हैं, जिसके कारण बड़ी संख्या में आम नागरिक और सैन्य कर्मी हताहत हुए हैं।

3. आर्थिक बोझ

Proxy War के चलते भारत को सुरक्षा पर अधिक व्यय करना पड़ता है, जिससे सामाजिक अवसंरचना पर व्यय हेतु धन की उपलब्धता कम हो जाती है।


प्रॉक्सी वॉर (Proxy War) के पीछे के कारण

पाकिस्तान भारत के खिलाफ क्यों लड़ता रहता है?

पाकिस्तान का भारत के खिलाफ लड़ने के पीछे कई कारण है:
  • 1971, 1999 जैसे कई युद्धों में पाकिस्तान की हार
  • ब्लूचिस्तानी अगववादियों को भारत पर समर्थन देना का आरोप
  • भारत का आर्थिक, सैन्य, और तकनीकी विकास
  • अमेरिका और चीन जैसे देशों का पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष समर्थन
  • जम्मू कश्मीर का विकास और शांति तथा पाकिस्तान का हिस्सा न बनना, आदि।

पाकिस्तान proxy war पर ही जोर क्यों देता है?

  • अपनी भागीदारी का खंडन करना: इसमें प्रत्यक्ष दोषारोपण और अंतर्राष्ट्रीय परिणामों से बचना शामिल है।
  • छद्म रणनीतियांः खुफिया जानकारी एकत्र करना और प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना दूर से ही किसी देश में घटनाओं को अंजाम देना। उदाहरण के लिए- स्लीपर सेल (OGW) और हाल ही में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर (जैसे ज्योति मल्होत्रा आदि) का इस्तेमाल करने जैसे मामले सामने आए हैं। 
  • कम लागत व ज्यादा नुकसानः इसमें अपने सैनिकों की जान का कम नुकसान और आतंकियों पर कम खर्च करके दुश्मन देश को ज्यादा नुकसान पहुंचाना और उसकी युद्ध लागत को बढ़ाना शामिल है। उदाहरण के लिए- भारत के खिलाफ पाकिस्तान की "थाउसेंड कट्स" की रणनीति। यह रणनीति, भारत को हजार गांव से लहूलुहान करना पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत के विरुद्ध अपनाया जाने वाला एक सैन्य सिद्धांत है।


Proxy War के खिलाफ़ भारत द्वारा उठाए गए कदम

नया 3 स्तंभ सुरक्षा सिद्धांत

इसे हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री द्वारा घोषित किया गया है। इसमें प्रॉक्सी वॉर को भारत के खिलाफ प्रत्यक्ष युद्ध माना गया है।

सीमा प्रबंधन का आधुनिकीकरण

उदाहरण के लिए व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS), जिसमें नियंत्रण रेखा पर स्मार्ट फेंस (बाड़) लगाना, थर्मल इमेजिंग और मोशन सेंसर शामिल हैं।

साइबर सुरक्षा को मजबूत करना

जैसे Cert-in और NTRO की स्थापना।

अंतर्राष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल

उदाहरण के लिए- पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति का उपयोग करना।

अल्जीरिया आधिकारिक तौर पर न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) का 9वां सदस्य देश बना

हाल ही में, अल्जीरिया आधिकारिक तौर पर न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) का एक नया सदस्य देश बन गया है।

19 मई, 2025 को अल्जीरिया ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के समझौता अनुच्छेदों के प्रावधानों के अनुरूप अपना प्रवेश दस्तावेज (Instrument of Accession) जमा कर दिया।

इसके अलावा, न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) ने स्वच्छ ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रकों को कवर करने वाली 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर की निवेश परियोजनाओं को मंजूरी दी है। साथ ही, NDB की सदस्य संख्या में वृद्धि का भी निर्णय लिया गया है। इससे अन्य देशों के लिए निवेश के अवसर बढ़ेंगे।



न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के बारे ईमें

  • स्थापना: 2015
  • मुख्यालय: शंघाई (चीन)
  • अध्यक्ष: डिल्मा रूसेफ (Dilma Rousseff)
  • उतपत्ति: NDB की स्थापना के लिए ब्रिक्स (BRICS) के संस्थापक सदस्य देशों ने 15 जुलाई, 2014 को फोर्टलेजा (ब्राजील) में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए थे और बैंक ने 21 जुलाई 2015 को प्रचलन शुरू किया था।
  • उद्देश्य: यह एक बहूपक्षी विकास बैंक है। इसका उद्देश्य उभरते बाजारों और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाना है।
  • सदस्य: ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मिश्र और अल्जीरिया।
    • NDB के अनुच्छेद 2 के अनुसार इसकी सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए खुली है। इसमें ऋण लेने वाले और ऋण न लेने वाले दोनों सदस्य शामिल हैं।
    • उरुग्वे को इसके संभावित सदस्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसे NDB के बोर्ड आफ गवर्नर्स द्वारा मंजूरी दी गई है, लेकिन अपनी इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन जमा करने के बाद इसे आधिकारिक तौर पर सदस्य का दर्जा दिया जाएगा।
  1. पूंजी और शेयरधारिता: इसकी स्थापना 100 बिलियन डॉलर की प्रारंभिक अधिकृत पूंजी से की गई थी। इसके सभी पांच संस्थापक सदस्यों की इसमें कुल 50 बिलियन डॉलर की समान हिस्सेदारी है।
  • मतदान शक्ति: संस्थापक सदस्यों की संयुक्त मतदान शक्ति कम-से-कम 55% होगी।

भारत के लिए NDB का महत्व

2024 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में NDB द्वारा समर्थित 4.87 बिलियन डॉलर मूल्य की लगभग 20 परियोजनाएं चल रही है। इनमें परिवहन, जल संरक्षण आदि शामिल हैं।


अन्य प्रमुख क्षेत्रीय वित्तीय संस्थान

  • एशियाई विकास बैंक (ADB)
    • मुख्यालय: मनिला, फिलिपींस
    • स्थापना: 1966 
    • उद्देश्य: एशियाई और प्रशांत क्षेत्र में सामाजिक एवं आर्थिक विकास। क्षेत्रीय एकीकरण आदि। 
    • सदस्य: 69 (50 एशियाई क्षेत्र से और 19 क्षेत्र के बाहर से)। भारत भी सदस्य हैं।
  • एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB)
    • मुख्यालय: बीजिंग, चीन 
    • स्थापना: 2016 
    • उद्देश्य: मुख्य रूप से एशिया में वैश्विक पहुंच के साथ संधारणीय अवसंरचना और विकास परियोजनाओं को वित्त पोषित करना 
    • सदस्य: 110 अनुमोदित संपूर्ण (100 पूर्ण + 10 संभावित) सदस्य। भारत एक पूर्ण सदस्य है।
  • अफ्रीकी विकास बैंक (AfDB)
    • मुख्यालय: आबिदजान, कोट डी आइवरी
    • स्थापना: 1964 
    • उद्देश्य: पूरे अफ्रीका में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक आर्थिक विकास।
    • सदस्य: 54 अफ्रीकी देश और 27 गैर-अफ्रीकी देश (भारत सहित)।

क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं का समकालीन महत्व

सतत और समावेशी विकास: NDB सदस्य देशों को उनके सतत और समावेशी विकास में योगदान देता है।
अवसंरचना और निवेश संबंधी अंतराल को भरना: अवसंरचना के लिए दीर्घकालिक वित्त जुटाना, निजी निवेश को बढ़ावा देना और वित्त पोषण की कमी को दूर करना।
क्षेत्रीय एकीकरण और स्थिरता को बढ़ावा देना: सीमा पर सहयोग को सुगम बनाना। उदाहरण के लिए भारत ने NDB और AIIB का संस्थापक सदस्य होने के नाते दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत किया है।

ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को मिली अब तक की सबसे बड़ी सफलता

हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत काम कर रही बेंगलुरू की एक शोध टीम ने तेजी से चार्ज होने वाली और लंबे समय तक चलने वाली एक सोडियम-आयन बैटरी (SIB) विकसित की है। यह केवल 6 मिनट में 80% तक चार्ज हो सकती है और 3000 से अधिक चार्ज साइकिल तक चल सकती है।

बाईं तरफ फास्ट चार्जिंग बैटरी है जबकि दाहिने तरफ इससे शोधकर्ता  


यह भारत की सबसे बड़ी सफलता क्यों

पारंपरिक SIB बैटरियों की तुलना में यह अधिक तेज चार्जिंग और लंबे समय तक चलती हैं। ऊर्जा की बढ़ती मांगों के बीच यह किफायती, तेज और सुरक्षित बैटरी हैं। हालांकि लिथियम आयन बैटरी अब तक इस मांग को पूरा करती आ रही हैं, लेकिन इसकी कम उपलब्धता और अधिक लागत इसके उपयोग को महंगी बनाती हैं। 

भारत में सोडियम किफायती और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जबकि लिथियम दुर्लभ है और व्यापक रूप से इसका आयात किया जाता है। लीथियम के बजाय सोडियम के माध्यम से बनी बैटरी देश को ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनने में मदद कर सकती है, जो भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन का एक प्रमुख लक्ष्य है। 

सोडियम आयन बैटरियां सभी को ऊर्जा प्रदान कर सकती है जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ग्रिडों, ड्रोनों और ग्रामीण घरों तक।

सोडियम-आयन बैटरी (SIB) के बारे में

परिभाषाः यह एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी है, जो लिथियम बैटरी की तरह काम करती है। हालांकि, इसमें लिथियम आयनों (Li+) की बजाय सोडियम आयनों (Na+) का उपयोग किया जाता है।

सोडियम-आयन बैटरी (SIB) कैसे काम करती है?

डिस्चार्ज के समयः सोडियम आयन एनोड (ऋणात्मक इलेक्ट्रोड) से कैथोड (धनात्मक इलेक्ट्रोड) की ओर जाते हैं, जहां ये आयन जमा होते हैं और रिडक्शन प्रक्रिया संपन्न होती है।

ये आयन इलेक्ट्रोलाइट (एक विद्युत कंडक्टर) के माध्यम से गमन करते हैं। ये इलेक्ट्रोलाइट विभवांतर (Potential difference) उत्पन्न करके विद्युत प्रवाह को संभव बनाते हैं।

रिचार्ज के दौरानः सोडियम आयन एनोड पर वापस लौट आते हैं।


लिथियम-आयन बैटरी (LIBs) की तुलना में सोडियम-आयन बैटरी (SIBs) के लाभः

लागतः SIBs की लागत तुलनात्मक रूप से कम होती है। सोडियम के यौगिक लिथियम से सस्ते होते हैं, जिससे बैटरी की कुल लागत 15% से 20% तक कम हो सकती है।

आपूर्ति श्रृंखला का विकेन्द्रीकरणः सोडियम धरती पर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे इसका उत्पादन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हो सकता है। इससे भू-राजनीतिक जोखिम का असर कम हो जाता है।

उदाहरण के लिए - 2023 तक वैश्विक लिथियम प्रसंस्करण में चीन की लगभग 60% हिस्सेदारी थी। यह स्थिति लिथियम आपूर्ति श्रृंखलाओं में मौजूद केन्द्रीयता को उजागर करती है जिसमें SIBs विविधता लाने में मदद कर सकती है।

प्रौद्योगिकी: SIBs वस्तुतः LIBs की तुलना में ज्यादा और कम, दोनों तापमान पर काम कर सकती है। इसलिए, तापमान में अधिक भिन्नता वाले क्षेत्रों में भी इनका सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है।

सुरक्षाः SIBs का परिवहन शून्य वोल्टेज (पूरी तरह डिस्चार्ज) पर भी किया जा सकता है। इससे LIBs की तुलना में आग लगने का जोखिम कम होता है और सुरक्षा उपायों की लागत भी कम होती है।

ऑपरेशन शिवा

हाल ही में, भारतीय सुरक्षा बलों ने अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए 'ऑपरेशन शिवा' शुरू किया।

यह ऑपरेशन पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए शुरू किया गया है।

श्रीअमरनाथ जी गुफा के बारे में

अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पवित्र अमरनाथ गुफा में हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाले हिम शिवलिंग यानी बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं।

यह भगवान शिव के लिंग स्वरूप यानी शिवलिंग का प्रतीक है।

इस गुफा में बर्फ से बने दो स्टैलेग्माइट देवी पार्वती (भगवान शिव की पत्नी) और भगवान गणेश (उनके पुत्त्र) का प्रतीक माने जाते हैं।

अमरनाथ यात्रा श्रावण माह में शुरू होती है, जब बर्फ का लिंगम पूर्ण आकार में होता है।

इस तीर्थयात्रा की उत्पत्ति का उल्लेख संस्कृत ग्रंथ “बृंगेश संहिता” में मिलता है।




भारत और यूनाइटेड किंगडम ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किए

हाल ही में, भारत और यूनाइटेड किंगडम ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किए।

यह एक व्यापक समझौता है, जो लगभग 3 वर्षों की लंबी वार्ता प्रक्रिया के बाद संपन्न हुआ है।


भारत-यूनाइटेड किंगडम FTA की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर

टैरिफ का उन्मूलनः भारत को लगभग 99 प्रतिशत टैरिफ लाइन्स पर टैरिफ उन्मूलन से लाभ होगा, यह लगभग 100 प्रतिशत व्यापार मूल्य को कवर करेगा।

वर्तमान में, दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार लगभग 60 बिलियन अमरीकी डॉलर है।

पेशेवरों के आवागमन को आसान बनानाः इसमें निवेशक, राइट टू वर्क के साथ किसी एक देश से दूसरे देश में ट्रांसफर होने वाला कंपनी का कर्मचारी और उसके जीवन-साथी एवं आश्रित बच्चे, इंडिपेंडेंट प्रोफेशनल्स आदि शामिल हैं।

दोहरा अंशदान अभिसमयः यूनाइटेड किंगडम में अस्थायी रूप से कार्यरत भारतीय श्रमिकों और उनके नियोक्ताओं को तीन वर्षों तक यूनाइटेड किंगडम में सामाजिक सुरक्षा अंशदान के भुगतान से छूट प्रदान की गई है।

प्रतिभाशाली और कुशल युवाओं के लिए अवसरः इससे यूनाइटेड किंगडम की डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं एवं उन्नत डिजिटल अवसंरचना से लाभ मिलेगा।

निर्यात के अवसरः वस्त्र, समुद्री उत्पाद, चमड़ा, जूते, इंजीनियरिंग गुड्स, ऑटो पार्ट्स, जैविक रसायन जैसे क्षेत्रकों के लिए निर्यात के अवसर बढ़ने से उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी।

सेवाओं का लाभः जैसे IT/ ITeS, वित्तीय सेवाएं आदि नए अवसर और रोजगार प्रदान करेंगे।

अन्यः गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करना, बेहतर विनियामकीय पद्धतियों को बढ़ावा देना आदि।


मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में

अर्थः यह एक ऐसा समझौता है, जो देशों या क्षेत्रीय समूहों के बीच व्यापार बाधाओं को कम या समाप्त करता है और व्यापार को बढ़ावा देता है।

वर्तमान में भारत के जापान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, सिंगापुर, ASEAN, मलेशिया आदि देशों के साथ FTAs हैं।

दायराः यह आमतौर पर वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार को कवर करता है, लेकिन इसमें बौद्धिक संपदा अधिकार (IP), निवेश, सरकारी खरीद और प्रतिस्पर्धा नीति जैसे विषय भी शामिल हो सकते हैं।

इसरो (ISRO) गगनयान मिशन को लॉन्च करने का समय बता दिया

हाल ही में, इसरो (ISRO) के प्रमुख ने कहा कि 2027 की पहली तिमाही में गगनयान मिशन को लॉन्च करेगा।

टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) और पहले मानवरहित टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन की सफल समाप्ति ने आगामी परीक्षण कार्यक्रम के लिए मजबूत आधार तैयार किया है।

दूसरा टेस्ट व्हीकल मिशन (TV-D2) इसके बाद होगा, और फिर मानवरहित ऑर्बिटल उड़ानें होंगी।

पहले मानवरहित मिशन पर महिला रोबोट 'व्योममित्र' (गाइनॉयड) को भेजा जाएगा।


गगनयान मिशन के बारे में

उद्देश्यः गगनयान परियोजना का उद्देश्य मानवयुक्त अंतरिक्ष-उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना है। इस मिशन के तहत 3 सदस्यों के चालक दल को 400 कि.मी. की ऊंचाई पर स्थित निम्न भू-कक्षा में भेजा जाएगा। इस मिशन की अवधि 3 दिन है। उन्हें सुरक्षित रूप से समुद्र में वापस उतारा जाएगा।


गगनयान मिशन के घटक

प्रक्षेपण यान मार्क-3 (LVM-3): पहले इसे भूतुल्यकालिक प्रक्षेपण यान-मार्क III या GSLV-MK3 कहा जाता था। यह तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। ये तीन चरण हैं:

  • पहला चरणः दो ठोस ईंधन बूस्टर कोर रॉकेट से जुड़े होते हैं।
  • दूसरा चरणः इसमें दो विकास-2 तरल ईंधन इंजन होते हैं।
  • तीसरा चरण: इसमें CE-20 क्रायोजेनिक इंजन होता है, जो ईंधन और ऑक्सीडाइज़र के रूप में क्रमशः तरल हाइड्रोजन एवं तरल ऑक्सीजन का उपयोग करता है।

ऑर्बिटल मॉड्यूलः इसका वजन 8.2 टन है और इसे LVM-3 रॉकेट द्वारा निम्न भू-कक्षा में लॉन्च किया जाता है। इसमें दो मुख्य भाग होते हैं:

  1. क्रू मॉड्यूलः

  • इसमें तीन अंतरिक्ष यात्री एक सप्ताह तक रह सकते हैं। 

  • यह पैराशूट सिस्टम से लैस है, जो पृथ्वी पर वापसी के समय सुरक्षित और नियंत्रित लैंडिंग में मदद करता है। 

  • इसमें पर्यावरण नियंत्रण और जीवन रक्षक प्रणाली (ECLSS) होती है। 

  • यह तापमान, हवा की गुणवत्ता, अपशिष्ट और आग पर नियंत्रण रखती है। 

  • इसमें एक क्रू एस्केप सिस्टम होता है, जो रॉकेट लॉन्च के दौरान किसी खराबी की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करता है। 

2. सर्विस मॉड्यूलः 

  • यह ऑर्बिटल मॉड्यूल को आगे बढ़ाने के लिए प्रणोदन प्रदान करता है, जब वह रॉकेट से अलग हो जाता है। 

  • यह मॉड्यूल को पृथ्वी की ओर वापस लाने के लिए गति प्रदान करता है।


संयुक्त राज्य अमेरिका के रष्ट्रपति ने कुख्यात अल्कट्राज जेल का पुनर्निर्माण करने के आदेश दिए

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने कुख्यात अल्कट्राज जेल का पुनर्निर्माण करने और उसे फिर से खोलने का निर्देश दिया है।

इस जेल को अब फिर से खतरनाक और हिंसक अपराधियों को रखने के लिए उपयोग में लाया जाएगा। यह जेल अल्कट्राज द्वीप पर स्थित है।



अल्कट्राज द्वीप के बारे में

अवस्थितिः यह कैलिफोर्निया की सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी में (संयुक्त राज्य अमेरिका) स्थित है।

विशेषताएं: यह एक लघु निर्जन द्वीप है, जिसे आमतौर पर "द रॉक" (The Rock) कहा जाता है। पहले इसे एक किले के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। बाद में इसे मिलिट्री जेल, और फिर उच्च सुरक्षा वाली संघीय जेल के रूप में उपयोग किया गया।

यह द्वीप कोरमोरेंट्स, वेस्टर्न गुल जैसे समुद्री पक्षियों तथा कई अन्य जीव-जंतुओं जैसे कि डियर माउस, स्लेंडर सैलामैंडर जैसी प्रजातियों का प्राकृतिक पर्यावास भी है।

वर्तमान में यह एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है और इसे राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।


ग्लोबल नेटवर्क ऑफ एज-फ्रेंडली सिटीज एंड कम्युनिटीज (GNAFCC)

कोझिकोड शहर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ग्लोबल नेटवर्क ऑफ एज-फ्रेंडली सिटीज एंड कम्युनिटीज (GNAFCC) की सदस्यता से सम्मानित किया गया है।



GNAFCC के बारे में:

स्थापनाः 2010 में।

सदस्यः 51 देशों के 1300 सदस्य शहर और समुदाय ।

लक्ष्यः विश्व भर के शहरों, समुदायों और संगठनों को जोड़ना, ताकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए रहने योग्य समाज विकसित किया जा सके।

मुख्य उद्देश्यः प्रेरणा देना, यह दर्शाकर कि क्या किया जा सकता है और कैसे किया जा सकता है।

दुनिया भर के शहरों और समुदायों को जोड़कर जानकारी, अनुभव एवं ज्ञान का आदान-प्रदान करना।

नवाचार पर आधारित और प्रमाणित समाधान खोजने में समुदायों की मदद करना।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने 'मानव विकास रिपोर्ट, 2025' जारी की

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने 'मानव विकास रिपोर्ट, 2025' जारी की। यह रिपोर्ट 'ए मैटर ऑफ चॉइसः पीपल एंड पॉसिबिलिटीज इन द एज ऑफ एआई' शीर्षक से जारी की गई है। रिपोर्ट का यह शीर्षक रेखांकित करता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मानव विकास के अगले चरण को दिशा देने में कितनी अहम भूमिका निभा रहा है।


रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजरः

मानव विकास रिपोर्ट, 2025 में विश्व के 193 देशों में आइसलैंड 0.972 अंकों के साथ मानव विकास सूचकांक में पहले स्थान पर है जबकि दक्षिणी सूडान 0.388 अंकों के साथ सबसे निचले पायदान पर है।

इस रैंकिंग में भारत 130वें स्थान पर है। पिछली रिपोर्ट की तुलना में भारत की रैंकिंग में तीन स्थानों का सुधार हुआ है। भारत अभी भी "मध्यम मानव विकास" वाले देशों की श्रेणी में बना हुआ है। भारत का HDI स्कोर 0.685 है।

वैश्विक स्तर पर मानव विकास की प्रगति 1990 के बाद से सबसे धीमी रही है।

निम्न और अत्यंत उच्च HDI रैंकिंग वाले देशों के बीच असमानता लगातार चौथे वर्ष बढ़ी है।

मानव विकास सूचकांक (HDI) एक समग्र सूचकांक है, जो मानव विकास के तीन मूलभूत आयामों में औसत उपलब्धि को मापता है।

ये आयाम हैं- दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन; ज्ञान (नॉलेज) और सम्मानजनक जीवन स्तर ।

जीवन प्रत्याशाः भारत में जीवन प्रत्याशा 2023 में बढ़कर 72 वर्ष हो गई। HDI गणना की शुरुआत के बाद से भारत में यह सबसे अधिक जीवन प्रत्याशा है।

शिक्षाः भारत में स्कूली शिक्षा में व्यतीत की गई औसत अवधि अब 13 वर्ष है। 1990 में यह अवधि 8.2 वर्ष थी।



भारत की प्रगति के बावजूद चुनौतियां

राष्ट्रीय आयः विश्व में भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) रैंकिंग, HDI रैंकिंग से सात स्थान नीचे है।

असमानताः पुरुषों एवं महिलाओं के बीच असमानताएं (Gender disparities) अब भी अधिक हैं। उदाहरण के लिए - लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) में भारत की रैंकिंग 102 वीं है।

भारत की निम्न रैंकिंग प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था अच्छी नहीं होने, राजनीतिक व्यवस्था में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व और कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी का संकेत देती है।


मानव विकास रिपोर्ट 2025 में AI से जुड़े मुख्य बिंदु

भारत का AI परिदृश्यः मुख्य बिंदु

AI कौशल का विस्तारः भारत में खुद से रिपोर्ट किए गए AI कौशल का विस्तार वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है।

वैश्विक AI सूचकांकः वैश्विक AI सूचकांक में 36 देशों का मूल्यांकन किया गया। इसमें भारत चौथे स्थान पर है। इस तरह भारत इस सूचकांक में शीर्ष 10 में शामिल एकमात्र निम्न मध्यम आय वाला देश है।

प्रतिभा पलायन को रोकनाः भारत के 20% AI शोधकर्ता अब देश में ही कार्यरत हैं। 2019 में यह अनुपात लगभग शून्य था।

AI के वैश्विक प्रभाव की अपेक्षाएं: AI की वजह से रोजगार की क्षमता और उत्पादकता में वृद्धि (ऑग्मेंटेशन) होगी, साथ ही ऑटोमेशन में भी वृद्धि होगी।

सर्वे में शामिल 61% लोगों ने कहा कि AI से रोजगार की क्षमता और उत्पादकता में वृद्धि होगी, जबकि जबकि 51% लोगों ने ऑटोमेशन में वृद्धि की बात स्वीकार की है।

भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का नया कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है

केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने परमेश्वरन अय्यर को IMF के कार्यकारी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि के रूप में नया कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया।



IMF कार्यकारी बोर्ड (Executive Board) के बारे में

कार्यकारी बोर्ड IMF के दैनिक कार्यों के संचालन के लिए जिम्मेदार होता है।

इसमें 25 निदेशक होते हैं। इन्हें सदस्य देशों या देशों के समूहों द्वारा चुना जाता है।

IMF का प्रबंध निदेशक (Managing Director) इस बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।

यह बोर्ड IMF के सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करता है।

यह बोर्ड उन सदस्य देशों को IMF से वित्तीय सहायता प्रदान करने को मंजूरी देता है, जो अस्थायी भुगतान संतुलन की समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं।

भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से सिविल डिफेंस तैयारियों का मूल्यांकन करने के लिए मॉक ड्रिल्स आयोजित करने को कहा

गृह मंत्रालय ने देश के वर्गीकृत 244 सिविल डिफेंस जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल्स आयोजित करने का निर्णय लिया। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका जताई जा रही है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम सीमा पर पहुंच गया है।

सिविल डिफेंस जिले ऐसे जिले होते हैं, जिन पर सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से दुश्मन के हमलों का खतरा बना रहता है।



सिविल डिफेंस अभ्यास के बारे में

यह किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार रहने का अभ्यास है। इसका उद्देश्य यह परीक्षण करना होता है कि युद्ध, मिसाइल हमले, हवाई हमले या आपदा जैसी आपातकालीन परिस्थितियों के दौरान नागरिक और सरकारी तंत्र किस प्रकार प्रत्युत्तर देते हैं।

इस अभ्यास के दौरान अलग-अलग प्रकार के नागरिक सुरक्षा उपायों की संचालन क्षमता और समन्वय का मूल्यांकन किया जाता है। इस अभ्यास में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • हवाई हमले की चेतावनी प्रणालियों के प्रभावी होने की क्षमता का आकलन करना,
  • भारतीय वायुसेना के साथ हॉटलाइन या रेडियो संचार लिंक का संचालन करना, और कंट्रोल रूम की कार्यक्षमता की जाँच करना ।
  • शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में नागरिकों और विद्यार्थियों को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण देना।
  • छद्म उपायों (Camouflaging) द्वारा महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को हमले से बचाने की व्यवस्था करना।
  • हमले वाली जगह से सुरक्षित निकासी की योजना को अपडेट करना व उसका अभ्यास कराना।

पिछली बार ऐसी ड्रिल्स 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले आयोजित की गई थी।


भारत में सिविल डिफेंस के प्रावधान

नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968: यह अधिनियम भारत-चीन युद्ध (1962) और भारत-पाक युद्ध (1965) के बाद लागू किया गया था। यह वायु, भूमि, समुद्र या अन्य स्थानों से किसी भी प्रकार के शत्रुतापूर्ण हमले से जान-माल, स्थान या वस्तु की सुरक्षा के उपायों का प्रावधान करता है।

इस अधिनियम में नागरिक सुरक्षा वाहिनी (Civil Defence Corps) के गठन और नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) के लिए नियम एवं कानून बनाने के प्रावधान किए गए हैं।

2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए मध्यस्थता (Mediation) एक महत्वपूर्ण साधन

यह विचार राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में आयोजित मध्यस्थता पर पहले राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान व्यक्त किया। इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप "भारतीय मध्यस्थता संघ" की स्थापना की गई है।

भारतीय मध्यस्थता संघ का उद्देश्य विवादों के समाधान हेतु मध्यस्थता को एक प्राथमिक, संगठित और सुलभविकल्प के रूप में स्थापित करना और उसका व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करना है।



मध्यस्थता के बारे में

यह आर्बिट्रेशन और सुलह (Conciliation) के साथ-साथ वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्त्रों में से एक है।

2016 से लेकर 2025 के प्रारम्भ तक मध्यस्थता के जरिए 7,57,173 मामले निपटाए गए हैं।



मध्यस्थता का महत्व

न्यायपालिका पर बोझ में कमीः इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) 2025 के अनुसार, देश में न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या 5 करोड़ से अधिक हो चुकी है।

किफायती और शीघ्र न्यायः मध्यस्थता से महंगे कानूनी शुल्क, अदालत के खर्च और लंबी कानूनी प्रक्रिया में लगने वाले समय की बचत होती है।

सहकारी समस्या समाधानः इसमें एक तटस्थ तीसरा पक्ष बिना किसी का पक्ष लिए, संवाद को प्रोत्साहित करता है और समाधान तक पहुंचने में मदद करता है।


भारत में मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम

मध्यस्थता अधिनियम, 2023: यह एक एकीकृत व संस्थागत कानूनी फ्रेमवर्क स्थापित करता है।

वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015: इसे 2018 में संशोधित किया गया था ताकि प्री-इंस्टीट्यूशन एंड सेटलमेंट (PIMS) की व्यवस्था प्रदान की जा सके।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019: यह उपभोक्ता विवादों को निपटाने के लिए मध्यस्थता को एक त्वरित, आसान और किफायती तरीका के रूप में प्रोत्साहित करता है।

सिंगापुर मध्यस्थता कन्वेंशनः भारत ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारत 'स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म (SAP)' का सफल परीक्षण करने वाला चुनिंदा देशों में शामिल हुआ

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म (SAP) के पहले सफल परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (HAPS) है।

इसे एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (ADRDE), आगरा द्वारा विकसित किया गया है।

यह भारत की पृथ्वी-अवलोकन तथा खुफिया, निगरानी और टोही (Intelligence, Surveillance & Reconnaissance: ISR) क्षमता को बढ़ाएगा।



स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म (SAP) क्या है?

यह मानव-रहित एयरशिप है। यह पृथ्वी से 17 से 22 किलोमीटर की ऊंचाई पर समतापमण्डल (Stratosphere) में संचालित होता है।

यह हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट (HAPS) के रूप में कार्य करता है और लंबे समय तक हवा में रह सकता है।


HAPS दो प्रकार के होते हैं:

एयरोडायनामिकः यह हवा से भारी हो सकता है, जैसे कि फिक्स्ड विंग वाले विमान ।

एयरोस्टेटिकः यह हवा से हल्का होता है, जैसे कि गुब्बारे और एयरशिप ।

लिफ्टिंग तंत्रः यह उड़ान के लिए हीलियम (Helium) गैस का उपयोग करता है।

ऊर्जा स्रोतः यह सौर ऊर्जा से संचालित होता है और रात्रि में संचालन के लिए ऑनबोर्ड बैटरियों का उपयोग करता है।


SAP के सामरिक लाभ

स्थायी निगरानीः यह सैटेलाइट या विमानों की तुलना में किसी क्षेत्र के ऊपर कई दिनों या कई सप्ताहों तक निगरानी रख सकता है। इससे लगातार निगरानी और संचार में सहायता मिलती है।

बहु-उपयोगी प्लेटफॉर्मः इसमें इमेजिंग सेंसर, रडार और टेलीकॉम पेलोड्स लगाए जा सकते हैं। इससे सीमाओं की निगरानी, आपदा प्रबंधन और खुफिया अभियानों में मदद मिलती है।

यह तकनीक ऐसे कार्यों को भी अंजाम देने में सक्षम है, जो सैटेलाइट और ड्रोन नहीं कर पाते। इससे अंतरिक्ष जैसी व्यापक कवरेज मिलती है, वह भी कम लागत में। साथ ही इसे तेजी से तैनात किया जा सकता है और आवश्यकता अनुसार, किसी भी समय और किसी भी रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।

भारत सरकार ने बगलिहार बांध से जल के प्रवाह को घटा दिया है

हाल ही में, भारत सरकार ने बगलिहार बांध से जल के प्रवाह को घटा दिया है। सरकार ने यह कदम पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद लिया है।

बगलिहार बांध जम्मू और कश्मीर में चिनाब नदी पर स्थित रन-ऑफ-द-रिवर हाइड्रोपावर परियोजना का एक हिस्सा है।



चिनाब नदी के बारे में

चिनाब, सिंधु नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।

यह नदी पाकिस्तान के मिथानकोट में सिंधु नदी में मिल जाती है।

उद्गम स्थलः यह नदी हिमाचल प्रदेश में बारालाचा दर्रा के दोनों ओर से निकलने वाली दो धाराओं- चंद्रा और भागा के संगम से बनती है। इसलिए इसे कभी-कभी चंद्रभागा नदी भी कहा जाता है।

प्रमुख सहायक नदियां: मियार नाला, सोहल, मरूसुदर (Marusudar), लिद्दर नदी, आदि।

झेलम नदी, पाकिस्तान में झांग के पास चिनाब में मिलती है।

रूस ने मैन-पोर्टेबल 'इग्ला-एस (Igla-S)' मिसाइल भारत को दिया

हाल ही में रूस ने भारतीय थल सेना को शत्रुओं के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और जेट विमानों से निपटने के लिए नए इग्ला-एस मिसाइल सिस्टम दिए है।



इगला-एस (Igla-S) मिसाइल के बारे में

इगला-एस मैन-पोर्टेबल है यानी इसे एक आदमी भी ढो सकता है। यह कंधे से दागी जाने वाली व सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसे अधिक खतरे वाले क्षेत्रों में तैनात जमीनी सुरक्षा बलों द्वारा उपयोग के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।

यह वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) का एक अत्याधुनिक संस्करण है।


इगला-एस (Igla-S) की प्रमुख विशेषताएं

यह इन्फ्रारेड (IR) होमिंग तकनीक का उपयोग करती है। यह हवाई लक्ष्यों की हीट सिग्नेचर को पहचान करके उन्हें निशाना बनाती है।

मिसाइल दागे जाने के बाद, यह स्वतः टारगेट के इंजन से निकलने वाली हीट का पीछा करती है।

यह विशेषता इसे ड्रोन, हेलीकॉप्टर जैसे तेज और छोटे लक्ष्यों को निशाना बनाने में कुशल बनाती है।

यह मिसाइल 6 किलोमीटर दूर तक और 3.5 किलोमीटर की ऊँचाई तक के लक्ष्य को भेद सकती है।

अमेरिका ने भारत को अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाने के लिए हॉकआई (HawkEye) 360 प्रौद्योगिकी की बिक्री को मंजूरी दी

हाल ही में, अमेरिका ने भारत को हॉकआई 360 तकनीकी उपकरण की बिक्री को मंजूरी दी है ताकि भारत अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ा सके।



हॉकआई 360 तकनीक के बारे में

इसके तहत रेडियो फ्रिक्वेंसी (RF) सिग्नल्स का पता लगाने, जिओलोकेट करने और उनका विश्लेषण करने के लिए निम्न भू-कक्षा में मौजूद तीन उपग्रहों के समूहों का उपयोग किया जाता है।


भारत के लिए हॉकआई 360 का  महत्व

  • यह उन जहाजों का पता लगा सकता है जो विवादित या संवेदनशील क्षेत्रों में ट्रैकिंग से बचने के लिए अपने ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) को बंद कर देते हैं।
  • इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की समुद्री क्षेत्र संबंधी जागरूकता बढ़ेगी।
  • भारतीय सशस्त्र बल अब मछली पकड़ने की अवैध गतिविधियों और तस्करी पर पहले से कहीं अधिक प्रभावी ढंग से निगरानी रखने और कार्रवाई करने में सक्षम होंगे।

भारत जीनोम एडिटेड धान (चावल) की किस्में विकसित करने वाला दुनिया का पहला देश बना

 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने देश की पहली जीनोम-एडिटेड चावल की किस्में विकसित की है। इन किस्मों के नाम है- DRR चावल 100 (कमल) और पुसा DST चावल-1। यह उपलब्धि भारत को जिनोम एडिटिंग तकनीक से चावल विकसित करने वाला दुनिया का पहला देश बनती है।



चावल की ये किस्में CRISPR-Cas आधारित जिनोम एडिटिंग तकनीक का उपयोग करके विकसित की गई है। CRISPR-Cas आधारित जिनोम एडिटिंग तकनीक में किसी प्रजाति या फसल किस्म में किसी अन्य प्रजाति के DNA को प्रवेश कराए बिना उसके अनुवांशिक पदार्थ में सटीक संशोधन कर दिया जाता है। 

भारत की बायो सेफ्टी नियमावली के तहत सामान्य फसलों में साइट निर्देशित न्यूक्लीज-1 (SDN1) और SDN2 प्रकार की जिनोम एडिटिंग को मंजूरी दी गई है। 

ICAR ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान निधि (NASF) की सहायता से उपयुक्त किस्मों का विकास किया है। NASF कृषि अनुसंधान में मौलिक और राणनीतिक अध्ययन को सहायता प्रदान करती है।


चावल की नई जीनोम-एडिटेड किस्मों के बारे में

DRR चावल 100 (कमल): 

इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIRR) हैदराबाद ने विकसित किया है। इस किस्म के विकास के लिए 'सांबा महसूरी' चावल की किस्म में CKX2 (साइटोकाइनिन ऑक्सीडेज 2) जिन को संशोधित किया गया। साइटोकाइनिन पादप हार्मोन है जो पौधों की वृद्धि और कोशिका विभाजन में भूमिका निभाता है।

पुसा DST चावल-1 :

इस किस्म का विकास ICAR के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IARI), नई दिल्ली ने किया है। यह MTU 1010 (कॉटनडोरा सन्नालू) नामक बारीक दानों वाली चावल की उन्नत किस्म है। 


साइट डायरेक्टेड न्यूक्लीज (SDN) के प्रकार

 SDN-1: इसमें DNA सीक्वेंस टेंप्लेट का उपयोग किए बिना लक्षित उत्परिवर्तन (म्यूटेजेनेसिस) किया जाता है। इसमें पौधे के प्राकृतिक रिपेयर मेकैनिज्म का उपयोग किया जाता है।

SDN-2: इसमें DNA सीक्वेंस टेंप्लेट का उपयोग करके लक्षित परिवर्तन किया जाता है। इसमें भी किसी बाहरी जिन को प्रवेश नहीं कराया जाता है।

SDN-3: इसमें किसी जीव में DNA सीक्वेंस टेंप्लेट का उपयोग करके बाहरी जिन या बड़े डीएनए सीक्वेंस को प्रवेश कराया जाता है, ताकि वांछित गुण प्राप्त किया जा सके।

 

जीनोम एडिटेड चावल की किस्मों के लाभ 

उत्पादकता में वृद्धि: उपज में 19% की वृद्धि हो सकती है।

जल संरक्षण को बढ़ावा: 7500 मिलियन क्यूबिक मीटर सिंचाई जल की बचत होगी। 

जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलना: इससे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 20% की कमी आ सकती है। 

अन्य लाभ: ऐसी चावल की किस्म सूखा, लवणता और जलवायु परिवर्तन को सह सकती है और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बेहतर उपज प्रदान कर सकती है।

मणिपुर के इंफाल में एक बार फिर विरोध प्रदर्शन क्यों शुरू हो गया है

मणिपुर सरकार ने शनिवार रात 11.45 बजे से पांच दिनों के लिए घाटी के पांच जिलों (इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग) में इंट...