तुवालु के संसद सदस्‍यों ने आम चुनाव के बाद प्रशांत द्वीपीय राष्‍ट्र के पूर्व महान्‍यायवादी फेलेटी टीओ को नया प्रधानमंत्री चुना

हाल ही में तुवालु (Tuvalu) के सांसदों सदस्यों ने प्रशांत द्विपीय राष्ट्र के पूर्व महान्यायवादी फेलेटी टीओ को देश का नया प्रधानमंत्री चुना है। सांसदों ने उन्हें निर्विरोध चुन लिया है क्योंकि वह प्रधानमंत्री पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार के रूप में खड़े थे।



फेलेटी टेओ को तुवालु द्वीप का नया प्रधान मंत्री चुना गया है।

प्रशांत महासागर में स्थित तुवालु द्वीप के नए प्रधानमंत्री की घोषणा हो गई है। देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल फेलेटी टेओ को नए प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया है। 

तुवालु में पिछले महीने जनवरी में चुनाव हुए थे। इन चुनावों पर ताइवान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, यूके और यहां तक ​​कि अमेरिका की भी पैनी नजर थी। हाल के दिनों में तुवालु ताइवान के साथ अपने संबंधों को लेकर चर्चा में था।

25 वर्ग किलोमीटर में फैले इस देश में केवल 12 हजार लोग रहते हैं। लेकिन फिर भी भूराजनीति में इस देश का विशेष महत्व है।

तुवालु दक्षिण प्रशांत महासागर में ओशिनिया के पोलिनेशिया उपक्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया और हवाई द्वीप के बीच स्थित दुनिया के सबसे छोटे द्वीपों में से एक है। इसमें तीन रीफ द्वीप और छह एटोल शामिल हैं।
  
ताइवान के साथ तुवालु के रिश्ते इसे वैश्विक राजनीति में एक विशेष दर्जा देते हैं। आइए जानते हैं कि ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस छोटे से द्वीप राज्य को अपने पक्ष में रखने के लिए इतनी कोशिश क्यों कर रहे हैं। वहीं, चीन इस द्वीप पर अपना प्रभाव क्यों बढ़ाने की कोशिश कर रहा है?

तुवालु ताइवान के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

तुवालु कभी ब्रिटेन के अधीन था। इसे 1978 में आज़ादी मिली। हालाँकि, ब्रिटिश सम्राट अभी भी देश का प्रमुख है। भू-राजनीति में इसका महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि तुवालु ताइवान को मान्यता देता है। 

तुवालु सहित दुनिया के केवल 12 देशों ने ताइवान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है, जो चीन की 'वन चाइना पॉलिसी' के खिलाफ है। चीन का मानना ​​है कि ताइवान उसका अभिन्न अंग है और एक दिन उसका चीन में विलय निश्चित है।

तुवालु उन तीन प्रशांत द्वीप देशों में से एक है जो अभी भी ताइवान को मान्यता देते हैं। हाल के दिनों में ताइवान के साझेदार देशों की संख्या घटी है। पिछले महीने जब नाउरू ने ताइवान से राजनयिक संबंध तोड़े थे तो इसकी वजह नाउरू पर चीन के बढ़ते प्रभाव को बताया गया था।

चीन तुवालु को क्यों चाहता है?

चीन ताइवान को मान्यता देने वाले छोटे द्वीपों पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। ताइवान को जितने कम देश मान्यता देंगे, चीन की 'वन चाइना पॉलिसी' उतनी ही मजबूत होगी।

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह चीन आसानी से ताइवान पर कब्जा कर सकेगा। चीन मुख्य रूप से ताइवान के सहयोगी द्वीपों को जीतने के लिए धन का उपयोग कर रहा है। 

2019 में, किरिबाती और सोलोमन द्वीप समूह ने ताइवान के साथ अपने राजनयिक संबंध समाप्त कर दिए। उस समय ताइवान के तत्कालीन विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा था, 'चीन की डॉलर कूटनीति और बड़ी मात्रा में विदेशी सहायता के झूठे वादों के कारण सोलोमन द्वीप ने ताइवान के साथ संबंध खत्म कर दिए हैं।'

ऑस्ट्रेलिया और ताइवान तुवालु की कैसे मदद कर रहे हैं?

प्रधानमंत्री चुनाव के बाद अब चीन और ताइवान की नजर तुवालु पर है। ताइवान और तुवालु के बीच 1979 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। 

ताइवान अलग-अलग तरीकों से तुवालु की मदद करता रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान तुवालु को हर साल लगभग 12 मिलियन डॉलर की बजटीय सहायता प्रदान करता है। 

इसके अलावा ताइवान अपने सहयोगी देश को नई संसद भवन के लिए करीब 10 करोड़ डॉलर समेत कई परियोजनाओं के लिए पैसा देता है। ताइवान ने COVID-19 से निपटने के लिए तुवालु को चिकित्सा उपकरण भेजे।  

नवंबर में ऑस्ट्रेलिया और तुवालु के बीच एक संधि पर भी हस्ताक्षर किये गये। यह संधि ऑस्ट्रेलिया को प्राकृतिक आपदाओं, स्वास्थ्य महामारी और सैन्य आक्रामकता के जवाब में तुवालु की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध करती है।

एक आईएएस अधिकारी के रूप में साढ़े सात साल के सफल कार्यकाल के बावजूद, तनु जैन ने अपनी सिविल सेवा की नौकरी छोड़ने और पूर्णकालिक शिक्षण में परिवर्तन करने का साहसिक निर्णय लिया।

कई महत्वाकांक्षी भारतीयों का यूपीएससी परीक्षा पास करने और आईएएस अधिकारी बनने का सपना होता है, और इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होंने वर्षों की कड़ी मेहनत की है।  हालाँकि, डॉ. तनु जैन जैसे व्यक्ति भी हैं, जिन्होंने 2015 बैच में सफलतापूर्वक आईएएस अधिकारी बनने के बावजूद, एक अलग पेशेवर रास्ता चुना है।



दिल्ली के सदर इलाके की रहने वाली तनु जैन की परवरिश पारंपरिक तरीके से हुई, उन्होंने सुभारती मेडिकल कॉलेज से बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) की डिग्री हासिल करने से पहले कैम्ब्रिज स्कूल में पढ़ाई की।  

दंत चिकित्सा का अध्ययन करते हुए, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और अंततः आईएएस अधिकारी बनने के अपने लक्ष्य में सफल रहीं।

अपनी उपलब्धि के बाद, डॉ. तनु जैन ने विभिन्न सामाजिक सेवा पहलों, प्रेरक भाषण और किताबें लिखकर समाज में योगदान देना जारी रखा। 

उनके इंस्टाग्राम पर 96 हजार से अधिक फॉलोअर्स है। इसके साथ ही, वह अपने योगदान और अंतर्दृष्टि के लिए पहचानी जाती हैं।

 एक आईएएस अधिकारी के रूप में साढ़े सात साल के सफल कार्यकाल के बावजूद, तनु जैन ने अपनी सिविल सेवा की नौकरी छोड़ने और पूर्णकालिक शिक्षण में परिवर्तन करने का साहसिक निर्णय लिया।  


अपने कदम को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा, "मेरी नौकरी संतोषजनक थी और मैंने साढ़े सात साल तक लगन से काम किया। हालांकि, मैंने यूपीएससी की तैयारी में चुनौतियों का सामना किया। खुद परीक्षा की तैयारी के संघर्षों से गुजरने के बाद, मैं समझती हूं कि उम्मीदवारों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।"  

जीवन विकास के अवसर प्रस्तुत करता है, और मेरे पति के सिविल सेवा में होने के कारण, मुझे जोखिम लेने और अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने की शक्ति महसूस हुई।

तनु जैन का यूपीएससी का सफर चुनौतियों से रहित नहीं था।  अपने पहले प्रयास में, उन्होंने केवल दो महीने में प्रीलिम्स परीक्षा पास कर ली, लेकिन मुख्य परीक्षा में असफल रहीं।  

2014 में अपने तीसरे प्रयास में ही उन्होंने 648वीं रैंक हासिल की।  तनु जैन की कहानी उन विकल्पों के प्रमाण के रूप में कार्य करती है जो व्यक्ति व्यक्तिगत और व्यावसायिक पूर्ति की खोज में चुन सकता है।

केंद्रीय कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय पीठें स्थापित करने की सिफारिश मंजूर कर ली है

कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसद की स्थायी समिति ने संसद को सूचित किया है कि सरकार ने न्यायिक सुधारों पर उसकी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। इस समिति ने अपनी 133वीं रिपोर्ट में न्यायिक सुधारों पर सिफारिशें प्रस्तुत की थीं।



सुप्रीम कोर्ट की पीठ से जुड़ा संवैधानिक प्रावधानः

संविधान के अनुच्छेद 130 में प्रावधान किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में अथवा ऐसे अन्य स्थान या स्थानों में स्थापित होगा, जिसे या जिन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की अनुमति से समय-समय पर निर्धारित करे।

क्षेत्रीय पीठों पर स्थायी समिति की सिफारिशें (133वीं रिपोर्ट)

सुप्रीम कोर्ट देश में 4 या 5 स्थानों पर अपनी क्षेत्रीय पीठें स्थापित करने के लिए अनुच्छेद 130 का उपयोग कर सकता है।

संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों और अन्य संवैधानिक मामलों का निपटारा दिल्ली मुख्य पीठ में किया जा सकता है। वहीं क्षेत्रीय पीठें अपीलीय मामलों पर फैसला कर सकती हैं। अपीलीय पीठों का निर्णय अंतिम माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय न्याय पीठों की आवश्यकता क्यों है?

  • सभी के लिए 'न्याय तक पहुंच' एक मौलिक अधिकार है। इसमें क्षेत्रीय पीठें अपना योगदान दे सकती है।
  • आम नागरिकों के लिए 'न्याय तक पहुंच' बढ़ेगी।
  • मुकदमेबाजी की लागत कम होगी।
  • भाषा संबंधी बाधाओं को दूर होंगी।
  • समय और मेहनत की बचत होगी।
  • संवैधानिक मामलों को अपीलीय मामलों से अलग करने से न्यायपालिका पर मुकदमों के बढ़ते बोझ का समाधान हो सकता है।


क्षेत्रीय पीठों के संबंध में चुनौतियां:

क्षेत्रीय पीठें कानूनों की परस्पर विरोधी व्याख्या कर सकती हैं। इससे न्यायिक प्रणाली की एकरूपता कमजोर हो सकती है।

क्षेत्रीय पीठें न्यायाधीशों के निष्पक्ष चयन और उनके कार्यभार आदि से संबंधित मामलों में भी विवादों को जन्म दे सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट की क्षेलीय पीठों के मामले में विधि आयोग की सिफारिशें (229वीं रिपोर्ट)

दिल्ली की संविधान पीठ संवैधानिक और अन्य संबद्ध मामलों पर सुनवाई कर सकती है।

उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी भारत में एक-एक अपीलीय पीठ स्थापित की जा सकती हैं। ये पीठें क्षेत्र विशेष की सभी अपीलों पर निर्णय करेंगी।

दुनिया के सबसे भारी सांप पर चौकाने वाला शोध सामने आया

हाल ही में, शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रीन एनाकोंडा वास्तव में आनुवंशिक रूप से दो भिन्न प्रजातियां हैं।


ग्रीन एनाकोंडा (यूनेक्टेस मुरिनस) के बारे में

यह सांप जहरीला नहीं होता है। यह बोआ फैमिली का सदस्य है।

यह दुनिया का सबसे भारी सांप है। इसका वजन 550 पाउंड से अधिक हो जाता है।

इस प्रजाति की मादाएं नर की तुलना में काफी बड़ी होती हैं। 

इस सांप की IUCN स्थिति 'लीस्ट कंसर्न' है।

पर्यावास

ये दलदली भूमि और धीमी गति से प्रवाहित होने वाली धाराओं में रहते हैं। ग्रीन एनाकोंडा मुख्य रूप से अमेज़न और ओरिनोको बेसिन के उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में पाया जाता है।

जीवनकाल

इस सांप का जीवन काल वन में लगभग 10 वर्ष तक है।

दुबई ने विश्‍व की पहली हवाई टैक्सी सेवा का शुभारंभ करने के लिए वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट-2024 में समझौतों पर हस्ताक्षर किए

दुबई (UAE) ने विश्‍व की पहली हवाई टैक्‍सी सेवा का शुभारंभ करने के लिए वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट-2024 में समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए हैं। 




शहरी परिवहन में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के लिए यह महत्वपूर्ण पहल की गई है। ये समझौते शहर में इलेक्ट्रिक हवाई टैक्‍सी सेवा और वर्टिपोर्ट नेटवर्क का विस्‍तार करने में दुबई के लिए सहायक होंगे।
  
इस पहल का मुख्‍य आकर्षण जॉबी एविएशन एस-4 एक नवाचारी विमान है, जिसमें एक पायलट सहित चार यात्री आराम से उड़ान भर सकेंगे। एस-4 नवाचारी विमान 6 प्रॉपेलर और 4 बैटरियों से संचालित होगा। 

इस विमान की अधिकतम रेंज 161 किलोमीटर है। इस विमान की प्रति घंटे की गति 321 किलोमीटर है। इस विमान की वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग क्षमता इसे शहरी ढांचे के लिए आदर्श बनाती है।

इस नवाचारी विमान की उड़ान के लिए कम स्‍थान की आवश्‍यकता होगी और हेलिकॉप्‍टर की तुलना में ध्‍वनि प्रदूषण भी कम होगा।

बिजली संचालित इस विमान को उड़ानों के बीच तेजी से रीचार्ज किया जा सकता है। यह पहल अधिक सतत और सुगम परिवहन भविष्‍य की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम को दर्शाती है।
  
एयर टैक्सी नेटवर्क अपना परिचालन 2026 से शुरु करेगा। 

यह कदम शहरी परिवहन व्यवस्था को पुन: परिभाषित करने संबंधी दुबई की तलाश में एक महत्‍वपूर्ण मील का पत्‍थर होगा। 

असम सरकार ने काजी नेमु को 'राजकीय फल' (State Fruit) घोषित किया है

हाल ही में, असम सरकार ने काजी नेमु को 'राजकीय फल' (State Fruit) घोषित किया है।



काजी नेमु के बारे में

यह फल अपनी अनूठी सुगंध और स्वास्थ्य संबंधी लाभों के लिए जाना जाता है।

इसमें पोषक तत्व या विटामिन C प्रचुर मात्ना में होते हैं। इसका स्वाद नींबू की अन्य किस्मों से अलग होता है।

इसे भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त है।

Geographical Indications (GI)

GI वस्तु या उत्पाद की पहचान बताने वाला टैग है। यह टैग उसके विशेष गुणों की वजह से दिया जाता है। ये विशेष गुण किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े होने के कारण उस वस्तु या उत्पाद में पाए जाते हैं।

यह टैग “वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999" के तहत प्रदान किया जाता है। किसी भी वस्तु को GI टैग 10 सालों के लिए दिया जाता है।

समकालीन भू-राजनीति को समझने के लिए एक बेहतरीन किताब है 'व्हाई भारत मैटर्स'

विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बावजूद अपने लेखन कार्य को आगे बढ़ाते रहते हैं। इस क्रम में The India way के बाद उनकी अगली किताब ‘Why Bharat matters’ खूब चर्चा में है। बता दें कि 3 जनवरी, 2024 को,"व्हाई भारत मैटर्स" पुस्तक का विमोचन किया गया था। 

इस पुस्तक में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को महाकाव्य रामायण के उदाहरणों और चरित्रों के जरिए बडे़ ही रोचक ढंग से भू -राजनीति की जटिल दुनिया को आसानी से समझाने की कोशिश की है। 



कोविड महामारी , रूस- यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे हमास इजराइल संघर्ष,जलवायु परिवर्तन कट्टरपंथ और आतंकवाद पर गहन चर्चा की गई है। किताब में जटिल भू-राजनीतिक जैसे चीन का उदय, रूस की रणनीति, वैश्वीकरण का प्रभाव और नई प्रौद्योगिकियों की शक्ति आदि पर भी काफी विस्तार से चर्चा की गई है। 

भारत की भूमिका विश्व मित्र के रूप में 

किताब के मुताबिक, भारत दुनिया की एक अग्रणी शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। 'विश्व मित्र' के रूप में यह वैश्विक दक्षिण की भलाई चाहता है और वैश्विक भलाई में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहा है।

भारत भविष्य में आने वाली जिम्मेदारियों और अवसरों को स्वीकार करने के लिए तैयार है। अमृत काल में प्रवेश करते हुए भारत अपनी परंपरा और विरासत के प्रति सच्चा रहते हुए विकास और प्रगति के युग की कल्पना करता है। 

'व्हाई भारत मैटर्स' में एस जयशंकर का तर्क है कि जहां उभरती शक्तियों को सबसे अधिक स्थिरता की जरूरत होती है। ऐसे में भारत को किसी अप्रत्याशित अस्थिरता से उभरने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

नागरिकों के लिए विदेश नीति का महत्व बढ़ा 

डॉ.एस.जयशंकर अपनी किताब में बताते हैं कि तेजी से वैश्वीकृत होती दुनिया में विदेश नीति सभी नागरिकों के लिए उनके दैनिक जीवन में भी खूब मायने रखने लगी है। 

विदेशमंत्री डॉ.एस. जयशंकर द्वारा लिखित "व्हाई भारत मैटर्स" समकालीन दुनिया में भारत के महत्व को बताने के मामले में एक बेहतरीन किताब है। 

भू-राजनीति, अर्थशास्त्र, संस्कृति और इतिहास को ध्यान में रखते हुए लेखक ने वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका पर एक सूक्ष्म और व्यापक दृष्टिकोण सामने रखा है। 

वैश्विक दुनिया की समकालीन वास्तविकता को समझने और उस पर गंभीरता से विचार करने के मामले में यह किताब खूब सहायक है।

भारत रत्न: पीएम मोदी की घोषणा, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद अब तीन और नेताओं को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की है। देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों- चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव तथा हरित क्रांति के जनक वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा जाएगा।



किसान नेता और पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह

पीएम ने लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।

पूर्व पीएम नरसिम्हा राव का महत्वपूर्ण योगदान

पीएम ने आगे कहा कि एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव ने विभिन्न क्षमताओं में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। 

उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था। प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला। 

इसके अलावा भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया।



कृषि में देश को आत्मनिर्भरता बनाने वाले डॉ. स्वामीनाथन

वहीं डॉ. स्वामीनाथन के बारे में घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। 

हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं। 

डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें वे स्वयं करीब से जानते थे और हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देते थे।

इससे पहले कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी को घोषणा

बता दें कि कुछ दिनों पहले बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया था।

छत्तीसगढ़ में देश का पहला सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित, प्रतिदिन लगभग पांच लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन

देश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकारें भी सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही हैं। 



दरअसल, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में डोंगरगढ़ रोड पर ग्राम ढाबा के पास पहाड़ी क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम आधारित सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है। 

संयंत्र के साथ स्थापित बैटरी के माध्यम से रात्रि में भी बिजली की सुविधा रहेगी। इससे प्रतिदिन पांच लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन होगा और लगभग 4.5 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। इससे हरित ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा।

देश का पहला ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम

छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) ने राजनांदगांव में इस संयंत्र की स्थापना का कार्य सोलर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) एवं छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को सौंपा था। 

संयंत्र को 01 फरवरी 2024 को कार्यशील किया गया। यह देश का पहला ऑनग्रिड सोलर सिस्टम है। यह 100 मेगावॉट का संयंत्र है।

इस प्लांट की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें 660 वॉट क्षमता के कुल 2 लाख 39 हजार बाईफेसियल सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं, जिससे पैनल के दोनों ओर से प्राप्त सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली का निर्माण किया जा रहा है।

प्रतिदिन लगभग पांच लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन

इसकी कुल परियोजना लागत 960 करोड़ रुपये है। यह लागत सात साल में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन कर पूरी हो जाएगी। इस समय प्रतिदिन लगभग पांच लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। 

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यह परियोजना देश एवं प्रदेश के लिए अभिनव प्रयोग है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन ने राजनांदगांव जिले के बैरन पहाड़ी क्षेत्र में देश एवं प्रदेश के प्रथम सोलर पार्क की स्थापना का निर्णय लिया गया था। 

यह परियोजना वर्ष 2016 में शुरू हुई। इसके लिए कुल 17 गांव की 626.822 हेक्टेयर शासकीय भूमि की मांग की गई। इसके बाद राजनांदगांव प्रशासन ने कुल नौ गांव की 377.423 हेक्टेयर भूमि का आवंटन किया।

प्रथम चरण में पांच गांव किए गए शामिल

सोलर पार्क स्थापना के प्रथम चरण में पांच गांव के (16 खसरे) कुल 181.206 हेक्टेयर शासकीय भूमि का सर्वे कर आवंटन प्राप्त किया गया। इनमें प्रमुखतः ग्राम ढाबा, कोहका, रेंगाकठेरा, डुंडेरा, अमलीडीह तहसील व डोंगरगांव सम्मिलित हैं। 

द्वितीय चरण में चार गांव के 196-217 हेक्टेयर शासकीय भूमि का सर्वे कर आवंटन प्राप्त किया गया। इनमें प्रमुखतः ग्राम ओडारबंध, गिरगांव, टोलागांव, घुघुवा तहसील डोंगरगांव सम्मिलित हैं।

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक-2024 को आज राज्‍यसभा में पेश किया गया

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक-2024 को आज राज्‍यसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे प्रस्‍तुत किया।



विधेयक में शामिल परीक्षाएं

सार्वजनिक परीक्षाओं में संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी और केंद्र सरकार के विभागों की परीक्षाएं सम्मिलित हैं। 

विधेयक का उद्देश्य

इस विधेयक का उद्देश्य किसी भी अनुचित तरीके से लिप्तता या साजिश पर रोक लगाना है। अनुचित साधनों में प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी की अनधिकृत पहुंच या लीक होना, सार्वजनिक परीक्षा में परीक्षार्थी की सहायता करना, कंप्यूटर नेटवर्क के साथ छेड़छाड़ करना, फर्जी परीक्षा आयोजित करना और फर्जी प्रवेश पत्र जारी करना सम्मिलित है। 

दण्ड का प्रावधान

विधेयक में अपराध करने पर तीन से दस वर्ष का कारावास और दस लाख से एक करोड़ रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है।


अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर, 14 फरवरी को पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन 

संयुक्त राष्ट्र अमीरात (UAE) की राजधानी अबूधाबी का पहला हिंदू मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार है। इस मंदिर में विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 14 फरवरी को पूरा होगा। उसी दिन बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण (बीएपीएस) संस्था के प्रमुख संत स्वामी महाराज के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर का उद्घाटन करेंगे।



गौरतलब हो,  रेगिस्तान में मंदिर निर्माण की कल्पना 27 वर्ष पूर्व बीएपीएस संस्था के प्रमुख संत स्वामी महाराज ने की थी। नई दिल्ली के अक्षरधाम स्थित बीएपीएस रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहायक निदेशक साधु ज्ञानानंद स्वामी ने बताया कि वैसे तो संस्था ने विश्व के कई देशों में 1100 से अधिक मंदिर बनवाए हैं लेकिन अरब मुस्लिम देश में हिंदू मंदिर का निर्माण अपने में ऐतिहासिक है। 

यूएई में कहां स्थित है मंदिर ? 

अबू मुरीखाह जिले में स्थित 'अल वाकबा' में यह मंदिर भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच दोस्ती, सांस्कृतिक सद्भाव और सहयोग की भावना का प्रतीक है। यहां मंदिर का निर्माण यूएई सरकार और उसके शासकों की उदारता से ही संभव हो सका है। 

दो देशों की संस्कृतियों का प्रतीक

साधु ज्ञानानंद स्वामी ने बताया कि अबूधाबी में दो देशों की संस्कृतियों के प्रतीक के रूप में मंदिर निर्माण के लिए बीएपीएस संस्था के लगातार प्रयास के बाद क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने वर्ष 2015 में मंदिर के लिए जमीन देने की घोषणा की थी। 



2018 में पीएम मोदी ने मंदिर प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की थी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 फरवरी 2018 को यूएई में भारतीय समुदाय को संबोधन के दौरान इस मंदिर के प्रोजेक्ट को शुरू करने की घोषणा की थी। बीस अप्रैल 2019 को इस मंदिर का शिलान्यास किया गया था। मंदिर के निर्माण के लिए भारत से सैकड़ों टन नक्काशीदार पत्थर 09 अगस्त 2021 को भेजे गए थे।

27 एकड़ भूमि पर मंदिर परिसर का हुआ निर्माण

उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में पहले शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने मंदिर निर्माण के लिए 13.5 एकड़ जमीन दी थी लेकिन वर्ष 2019 में अबू धाबी के 'सहिष्णुता वर्ष' मनाने के अवसर पर मंदिर के लिए 13.5 एकड़ भूमि और आवंटित कर दी। इस प्रकार 27 एकड़ भूमि पर मंदिर परिसर का निर्माण हुआ है। 



यह पश्चिम एशिया के पत्थरों से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा

उन्होंने बताया कि यह मंदिर पश्चिम एशिया के पत्थरों से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा। इस मंदिर के सात शिखर अरब के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर में लगे पत्थर राजस्थान से भेजे गए हैं और भीषण गर्मी में भी शीतलता प्रदान करेंगे। इस मंदिर की लंबाई 262 फीट, चौड़ाई 180 फीट और ऊंचाई 108 फीट है। मंदिर में 410 स्तंभ, 12 पिरामिडल शिखर, दो गुंबद होंगे। इस पर 7 तीव्रता तक के भूकंप का कोई असर नहीं होगा।

14 फरवरी को सरस्वती पूजन के दिन पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

उन्होंने बताया कि 14 फरवरी को सरस्वती पूजन के दिन बीएपीएस के प्रमुख संत स्वामी महाराज के साथ प्रधानमंत्री मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महंत स्वामी महाराज भी मंगलवार को अबू धाबी पहुंचे। 

कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख लोग कार्यक्रम में होंगे शामिल

यूएई सरकार ने उनको राज्य अतिथि का दर्जा दिया है और एयरपोर्ट पर स्वामी का शेख नाहयान मुबारक अल नाहयान ने स्वागत किया था। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। उद्घाटन के बाद मंदिर में 15 से 21 फरवरी एक सप्ताह तक कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


कैटालोनिया (Catalonia) ने अपने इतिहास के अब तक के भीषण सूखे के चलते आपातकाल की घोषणा की है

कैटालोनिया (Catalonia) स्पेन का एक स्वास्थ्य क्षेत्र है। इसकी राजधानी बार्सिलोना (Barcelona) है।



यह आइबेरिया प्रायद्वी के उत्तर-पूर्व में अवस्थित है। इसकी सीमा उत्तर में फ्रांस और एंडोरा तथा पूर्व में भूमध्य सागर के साथ लगती है।

पिरेनीज पर्वत श्रृंखला कैटालोनिया को फ्रांस से अलग करती है। कैटालोनिया में भूमध्यसागरी प्रकार की जलवायु पाई जाती है। इस प्रकार के जलवायु में गर्मियां उष्ण और शुष्क होती है, जबकि वर्षा शीत ऋतु में होती है।

इसकी प्रमुख नदी एब्रो नदी है।


लॉ ग्रेजुएट आईएएस पल्लवी मिश्रा ने AIR-73 के साथ बिना कोचिंग के यूपीएससी क्रैक किया

पल्लवी अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां प्रोफेसर डॉ. रेनू मिश्रा, एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, पिता अजय मिश्रा, एक वरिष्ठ वकील और अपने भाई आदित्य मिश्रा, एक आईपीएस अधिकारी और इंदौर में डीसीपी को देती हैं।



हर साल कानून, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और कला सहित विभिन्न क्षेत्रों के लाखों महत्वाकांक्षी उम्मीदवार अपने आईएएस सपने को पूरा करने के लिए प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा में शामिल होते हैं।  कई लोग तो आईएएस या आईपीएस अधिकारी बनने के लिए अपनी अच्छी नौकरी भी छोड़ देते हैं।

चाहे आप किसी भी क्षेत्र से आते हों, परिणाम आपके प्रयास और मेहनत पर निर्भर करता है।  इसे साबित किया है आईएएस पल्लवी मिश्रा ने, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के प्रभावशाली AIR-73 हासिल की।  कानून में स्नातक होने के बावजूद, उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का फैसला किया।



मध्य प्रदेश की रहने वाली, स्कूल के दिनों में अधिकांश बच्चों की तरह उनका सपना भी आईएएस अधिकारी बनने का था।  अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की।

न्यायिक परीक्षाओं में शामिल होने के बजाय, पल्लवी ने यूपीएससी देने का फैसला किया।  अपने पहले प्रयास में उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा।  हालाँकि, उसने हार नहीं मानी।  शिक्षित लोगों के परिवार से आने वाली पल्लवी ने अपनी रणनीति बदली और कड़ी मेहनत की, जिससे अपने दूसरे प्रयास में AIR-73 हासिल किया।

पल्लवी अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां प्रोफेसर डॉ. रेनू मिश्रा, एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, पिता अजय मिश्रा, एक वरिष्ठ वकील और अपने भाई आदित्य मिश्रा, एक आईपीएस अधिकारी और इंदौर में डीसीपी को देती हैं।

जब पल्लवी से उनके जैसे युवा उम्मीदवारों के लिए सुझाव मांगे गए, तो उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना चाहिए और उन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

 LCB ने उम्मीदवारों के लिए उनके सुझावों को उद्धृत करते हुए कहा, "अपनी योजना के साथ शुरुआत करें और अपना खोया हुआ आत्मविश्वास वापस पाएं।"

क्या है 'एक जिला एक उत्पाद' (ODOP) जो काफी चर्चा में है

चर्चा में रहा 'एक जिला एक उत्पाद' (ODOP) के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने ODOP संपर्क पहल के तहत अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

DPIIT वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का विभाग है।

ओडीओपी का उद्देश्य देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है। 

इसका लक्ष्य देश के सभी जिलों से कम-से-कम एक उत्पाद (एक जिला एक उत्पाद) का चयन करते हुए इसकी ब्रांडिंग और उसका प्रचार करना है।

उत्पाद की पहचान करने की जिम्मेदारी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की है।

पांच देश आधिकारिक तौर पर ब्रिक्स (BRICS) में शामिल हुए

हाल ही में, मिश्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ब्रिक्स में आधिकारिक तौर पर शामिल कर लिए गए हैं।

हालांकि अर्जेंटीना को ब्रिक्स में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि अर्जेंटीना ब्रिक्स में शामिल होने के अपने निर्णय से पीछे हट गया था।

इससे पहले ब्रिक्स (BRICS) का विस्तार 2010 में किया गया था जब दक्षिण अफ्रीका इसमें शामिल हुआ था।

भारतीय रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक (PPB) पर कई तरह के व्यावसायिक प्रतिबंध लगाए हैं

हाल ही में, आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट बैंक (PPB) पर व्यवसाय से जुड़े कई प्रतिबंध लगाए हैं। पेटीएम पेमेंट बैंक 29 फरवरी 2024 के बाद किसी भी ग्राहक खाते, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट, वॉलेट, फास्टैग आदि में नई जमा राशि स्वीकार करने से रोक दिया गया है।



RBI ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35A के तहत यह प्रतिबंध लगाया है। आरबीआई ने यह कदम पेटीएम पेमेंट बैंक के बारे में कंप्रिहेंसिव सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट और बाहरी लेखा परीक्षकों की रिपोर्ट सामने आने के बाद उठाया है। 

इन रिपोर्ट्स में पेमेंट बैंक द्वारा नियमों का पालन नहीं करने और मटेरियल सुपरवाइजरी से जुड़ी चिंताएं व्यक्त की गई थी।

आरबीआई के पास 1949 के अधिनियम के तहत लोक हित में या बैंकिंग नीति के हित में निर्देश जारी करने की व्यापक शक्तियां है।

उत्तर प्रदेश पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने की आयोग के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने मचाया बवाल

उत्तर प्रदेश PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा और RO/ ARO 2023 की प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने के UPPSC के फैसले को लेकर मचे बव...