क्या सच में अगला विश्वयुद्ध जल के मुद्दे पर होंगे?

हाल ही, में संयुक्त राष्ट्र ने 'विश्व जल विकास रिपोर्ट, 2024' जारी की है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि, "इस बात का कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि अगला युद्ध जल के मुद्दे पर होंगे।"

इस वर्ष की रिपोर्ट 'समृद्धि और शांति के लिए जल' विषय पर केंद्रित है।


रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

जल संसाधनों की वर्तमान स्थिति

  • कृषि क्षेत्रक लगभग 70% ताजे जल की खपत के लिए जिम्मेदार है। पिछले 60 वर्षों में चाड झील 90% तक सिकुड़ गई है। हालांकि, साझा सतही जल पर सहयोग बढ़ रहा है, लेकिन भूजल संसाधन संरक्षण की अभी भी गंभीर उपेक्षा की जा रही है।


2030 तक "सभी के लिए जल" से संबंधित सतत विकास लक्ष्य (SDG)-6 हासिल करना चुनौतीपूर्ण है। दुनिया की 50% आबादी साल के किसी न किसी समय गंभीर जल संकट का सामना करती है। उत्तर-पश्चिम भारत और उत्तरी चीन खाद्य उत्पादन के लिए पानी की उपलब्धता से संबंधित जोखिमों के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन हॉटस्पॉट्स में शामिल हैं।

जल और समृद्धि के बीच विरोधाभास के मौजूद होने से सभी के लिए जल उपलब्ध करा पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। हम सभी जानते हैं कि विकसित जल संसाधन अवसंरचना से संवृद्धि और समृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, ऐसी अवसंरचना केवल सबसे अमीर देश ही वहन कर सकते हैं।

रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशेंः 

जल संसाधनों का संधारणीय प्रबंधन निम्नलिखित उपायों द्वारा सुनिश्चित किया जा सकता है:

  • सीमा-पार जल समझौते किए जाने चाहिए।
  • जल अवसंरचना में निजी निवेश बढ़ाया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार जल तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए 2030 तक लगभग 114 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक निवेश की आवश्यकता होगी।
  • उद्योगों में वस्तु उत्पादन को जल संसाधन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, टाटा केमिकल्स ने पुनर्चक्रण और बेहतर जल प्रबंधन के माध्यम से एक वर्ष के भीतर भूजल के उपयोग में 99.4% की कटौती की।

जल का "शांति और समृद्धि" से संबंध

जल और शांतिः 

जल संकट के निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं-

  • स्थानीय विवादों में वृद्धि जैसा कि अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में देखा जा रहा है।
  • अधिक प्रवासन से बसाहट वाले क्षेत्रों में तनाव बढ़ सकता है।
  • खाद्य असुरक्षा बढ़ सकती है।

जल और समृद्धिः

  • जल पर्यावरण को प्राकृतिक रूप में बनाए रखने में मदद करता है।
  • निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों में लगभग 70-80% रोजगार जल पर निर्भर हैं।
  • पानी समावेशी विकास के लिए महत्वपूर्ण है। लड़कियां और महिलाएं जल संकट का सामना सबसे पहले करती हैं, क्योंकि यह उनकी शिक्षा, आर्थिक भागीदारी और सुरक्षा को प्रभावित करता है।

UPSC सफलता की कहानी: चीनी मिल से सफलता तक, IAS अंकिता चौधरी की प्रेरक यात्रा, UPSC में AIR-14

'सफलता की कहानी' सीरीज के अंतर्गत आज मैं आप लोगों के लिए एक ऐसी लड़की की कहानी सुनाने जा रही हूँ जो हार और निराशा के बीच अदम्य साहस के साथ IAS बनी। उनका नाम है अंकिता चौधरी। वह एक चीनी मिल मजदूर की बेटी है। उन्होंने ने अपने दूसरे प्रयास में UPSC में AIR-14 हासिल की।

अपने पिता के अटूट समर्थन से, अंकिता ने यूपीएससी के लिए लगन से तैयारी की और 2017 में अपने पहले प्रयास में उपस्थित हुईं। हालांकि, वह असफल रहीं, जिससे उनके पास दो विकल्प बचे- या तो पढ़ाई छोड़ दें या अपनी गलती से सीखें और वापस आएं।

अंकिता चौधरी का एक चीनी मिल मजदूर की बेटी के रूप में साधारण शुरुआत से लेकर आईएएस अधिकारी के रूप में रैंक हासिल करने तक का सफर प्रेरणा की किरण के रूप में खड़ा है, जो कई महत्वाकांक्षी आत्माओं के लिए मार्ग को रोशन करता है। उनकी कहानी सिर्फ़ जीत की कहानी नहीं है, बल्कि मानवीय भावना के लचीलेपन का प्रमाण है, जो दिखाती है कि कैसे धैर्य और दृढ़ता से विपरीत परिस्थितियों में भी महानता का मार्ग बनाया जा सकता है।

हरियाणा के रोहतक के मेहम जिले में एक साधारण, निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंकिता का प्रारंभिक जीवन शैक्षणिक प्रतिभा से भरा हुआ था। एक दर्दनाक कार दुर्घटना में अपनी माँ की असामयिक मृत्यु के बाद त्रासदी के साये के बावजूद, अंकिता का हौसला अडिग रहा, जिसे उसके पिता के अटूट समर्थन से बल मिला। एक चीनी मिल में अकाउंटेंट के रूप में काम करते हुए, उन्होंने अंकिता में शिक्षा, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के मूल्यों को स्थापित किया, और सबसे बुरे दिनों में भी उसके सपनों को संजोया।

अंकिता की शैक्षणिक यात्रा उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के गलियारों से होते हुए ले गई, जहाँ उन्होंने रसायन विज्ञान में डिग्री हासिल की, इस दौरान उनके मन में भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रतिष्ठित रैंक में शामिल होने की उत्कट महत्वाकांक्षा थी। हालाँकि उन्होंने IIT दिल्ली में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू की, लेकिन उनका दिल IAS बनने के सपने को पूरा करने में दृढ़ रहा, और चुनौतियों के बीच भी उनकी एक लौ जलती रही।

अपनी माँ के निधन के बाद, अंकिता ने अपनी आकांक्षाओं के माध्यम से उनकी याद को सम्मान देने में सांत्वना और दृढ़ संकल्प पाया। अपने पिता के मार्गदर्शन और अपनी क्षमता में अटूट विश्वास के साथ, उन्होंने यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी की कठोर यात्रा शुरू की। यह रास्ता बिना किसी बाधा के नहीं था, क्योंकि 2017 में उनका पहला प्रयास निराशा में समाप्त हो गया था। फिर भी, प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए, अंकिता ने हार मानने के बजाय लचीलापन चुना, अपनी असफलताओं से ज्ञान प्राप्त करने और मजबूत बनने का संकल्प लिया।

शुरुआती असफलताओं से विचलित हुए बिना, अंकिता ने अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया, अपने संकल्प को उत्कृष्टता की निरंतर खोज में लगा दिया। उनकी सावधानीपूर्वक तैयारी और अटूट समर्पण ने उनके दूसरे प्रयास में फल दिया, क्योंकि उन्होंने 2018 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में एक प्रभावशाली अखिल भारतीय रैंक (AIR-14) प्राप्त करते हुए नई ऊंचाइयों को छुआ। उनकी जीत न केवल एक व्यक्तिगत जीत के रूप में है, बल्कि अदम्य मानवीय भावना के एक वसीयतनामे के रूप में है, जो अनगिनत अन्य लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने और सितारों तक पहुँचने के लिए प्रेरित करती है।

मुख्यमंत्री राहत कोष (CMRF) पर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का फैसला सही है या गलत

सुखियां

हाल ही में, भारत चुनाव आयोग (ECI) ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री रहस्य कोष (CMRF) से संबंधित एक अहम फैसला लिया है।



भारत के निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री राहत कोष से किए जाने वाले कुछ आपातकालीन कार्यों को आदर्श आचार संहिता के दायरे से मुक्त कर दिया है।

इस कोष का उद्देश्य बड़ी प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं आदि से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना है।


मुख्यमंत्री राहत कोष (CMRF)

प्रधान मंत्री राहत कोष के समान ही, यह कोष भी मुख्य रूप से सार्वजनिक और निजी संस्थानों, स्वैच्छिक संगठनों आदि से प्राप्त दान से संचालित होता है।

CMRF को दिए गए दान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80G के तहत आयकर से 100% छूट प्राप्त है।


आदर्श आचार संहिता 

यह भारत के चुनाव आयोग द्वारा सरकार और राजनीतिक दलों के लिए बनाया गया नियम है, जिसे सभी राजनीतिक दलों को मानना अनिवार्य है।

यह नियम चुनाव घोषणा की तिथि से लेकर मतदान के अंतिम परिणाम आने तक लागू रहता है।

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए यह 16 मार्च से लागू हो गया है।

आदर्श आचार संहिता के तहत निम्नलिखित नियम शामिल है:

  • सरकार के द्वारा लोक लुभावन घोषणाएँ नहीं करना।
  • चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करना।
  • राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के द्वारा जाति, धर्म व क्षेत्र से संबंधित मुद्दे न उठाना।
  • चुनाव के दौरान धन-बल और बाहु-बल का प्रयोग न करना।
  • आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी व्यक्ति को धन का लोभ न देना।
  • आचार संहिता लागू हो जाने के बाद किसी भी योजनाओ को लागू नहीं कर सकते।

बड़ी दिलचस्प है लोकसभा चुनाव के नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया

लोक सभा चुनाव 2024 के पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है।



उम्मीदवार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 के तहत नामांकन दाखिल करते हैं।

नामांकन दाखिल करने की तिथि भारत का निर्वाचन आयोग तय करता है।

उम्मीदवार या उसके किसी प्रस्तावक द्वारा नामांकन-पत्र रिटर्निंग ऑफिसर (RO) या सहायक रिटर्निंग ऑफिसर को सौंपना होता है।

किसी मान्यता प्राप्त दल का कोई उम्मीदवार जिस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ता है, प्रस्तावक के रूप में उस निर्वाचन क्षेत्र के केवल एक मतदाता की आवश्यकता होती है।

वहीं, निर्दलीय या पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के मामले में 10 प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है।

कोई उम्मीदवार एक निर्वाचन क्षेत्र से अधिकतम 4 नामांकन दाखिल कर सकता है।

अवकाश के दिन नामांकन-पत्र दाखिल नहीं किए जा सकते हैं।

नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड (National Creators Awards)

नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड का लक्ष्य निम्नलिखित योगदान से जुड़े विविध व्यक्तित्वों और प्रतिभाओं को सम्मानित करना है:

  • भारतकी संवृद्धि और उसकी संस्कृति को बढ़ावा देने वाले;स
  • कारात्मक सामाजिक बदलाव लाने वाले; तथा
  • डीजीटल क्षेत्र में नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाले।


यह पुरस्कार MyGov India ने शुरू किया है। इसमें डिजिटल वर्ल्ड के अलग-अलग क्षेत्रों और श्रेणियों में उत्कृष्टता व प्रभाव पैदा करने वाले क्रिएटर्स को पुरस्कार दिया जाएगा।

इन श्रेणियों में स्टोरी टेलिंग, सामाजिक बदलाव का समर्थन, शिक्षा, पर्यावरणीय संधारणीयता इत्यादि शामिल हैं। ये सभी क्रिएटर इकॉनमी का हिस्सा हैं।

क्रिएटर इकोनॉमी उन व्यवसायों, प्लेटफॉर्म्स और व्यक्तियों से मिलकर बने इकोसिस्टम को कहते हैं, जो ऑनलाइन कंटेंट बनाते हैं, वितरण करते हैं और फिर इनका मुद्रीकरण करके राजस्व अर्जित करते हैं।

डिजिटल इंडिया अभियान जैसी पहलों की वजह से कई नए कंटेंट क्रिएटर्स उभरकर आए हैं।

भारत की क्रिएटर इकोनॉमी की स्थिति

एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 80 मिलियन क्रिएटर्स और नॉलेज प्रोफेशनल्स हैं।

भारत में लगभग 1.5 लाख प्रोफेशनल कंटेंट क्रिएटर्स हैं। ये अपने कंटेंट से अच्छी-खासी आय अर्जित कर रहे हैं।

भारत की क्रिएटर इकोनॉमी का आकार वर्तमान में 250 बिलियन डॉलर है। 2027 तक इसके दोगुना होकर 480 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

भारत में क्रिएटर इकोनॉमी के विकास को प्रभावित करने वाले कारक

  • कम खर्चे में अधिक डाउनलोड/ अपलोड डेटा उपलब्ध है। इसलिए, अब अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं।
  • इंटरनेट के प्रसार से विश्व भर में कंटेंट देखे जा रहे हैं।
  • अब लोग ऑफिस से या वर्क फ्रॉम होम या यात्रा करते समय भी काम रहे हैं। इस तरह काम का हाइब्रिड कल्चर विकसित हो गया है।
  • यह सब इंटरनेट की वजह से संभव हुआ है।
  • शॉर्ट वीडियो कंटेंट की लोकप्रियता बढ़ गई है आदि।


क्रिएटर इकोनॉमी का महत्त्व

रचनात्मक स्टोरी टेलिंग के माध्यम से भारत के सांस्कृतिक लोकाचार (Ethos) का विश्व भर में प्रसार होता है।

यह मनोरंजन और सामाजिक संदेश से संबंधित असाधारण कंटेंट उपलब्ध कराती है।

वीडियो एडिटर्स, वर्चुअल असिस्टेंट, ग्राफिक डिजाइनर जैसे रोजगार के अवसर को बढ़ाती है।

किनमेन द्वीप समूह (क्यूमोय द्वीप समूह)

ताइवान ने चीन से आग्रह किया है कि वह किनमेन द्वीप समूह के निकट जल क्षेत्र में यथास्थिति में कोई बदलाव न करे ।



किनमेन द्वीप समूह में 12 द्वीप हैं। इनमें किनमेन प्रमुख द्वीप है।

यह ताइवान के अधिकार क्षेत्र में है। यह चीनी मुख्य भूमि के मुहाने पर ताइवान जलसंधि में स्थित है।

यह पहाड़ी द्वीप है। इसमें पठारी और चट्टानी दोनों क्षेत्र हैं। यहां मानसूनी उपोष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है।

जब 1949 में नेशनलिस्ट पार्टी चीन की मुख्य भूमि से हट गई थी तब यह कम्युनिस्ट और नेशनलिस्ट पार्टियों के बीच संघर्ष का स्थल रहा था।

अमिट स्याही या मतदाता स्याही (Indelible ink or Election ink)

भारतीय निर्वाचन आयोग ने अमिट स्याही (Indelible Ink) के एकमात्र निर्माता मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL) को 26.55 लाख शीशियां बनाने का ऑर्डर दिया है। यह अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है।


अमिट स्याही (Indelible Ink) का उपयोग

अमित स्याही का उपयोग व्यक्ति को चुनाव में दोबारा मतदान करने से रोकने के लिए तथा पल्स पोलियो प्रोग्राम में टीका लगे बच्चों की पहचान के लिए लगाया जाता है।

अमिट स्याही का निर्माण

अमित स्याही का निर्माण भारत में दो जगह पर किया जाता है। पहला रायुडू लैबोरेट्री, तेलंगाना और दूसरा मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी, मैसूर।

इसमें 10 से 18 प्रतिशत सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो नाखून के साथ अभिक्रिया करने और प्रकाश के संपर्क में आने पर गहरा हो जाता है। इसके अलावा इसमें अन्य रसायनों का भी उपयोग किया जाता है। 

भारत में निर्मित स्याही का उपयोग न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में भी किया जाता है। भारतीय चुनाव आयोग मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी द्वारा निर्मित स्याही का उपयोग करती है जबकि रायडू लैबोरेट्री दुनिया के दूसरे देशों के लिए स्याही का निर्माण करता है।

वर्तमान में 90 से अधिक देश इस तरह की स्याही का इस्तेमाल करते हैं। इसमें से 30 देश की स्याही भारत द्वारा निर्मित से स्याही होती है।

ECI के नियम

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49K में प्रावधान किया गया है कि पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी प्रत्येक मतदाता की बायीं तर्जनी अंगुली का निरीक्षण कर सकता है और उस पर एक अमिट स्याही का निशान लगा सकता है।

इसे अमिट स्याही इसलिए कहा जाता है, क्योंकि एक बार लगाने के बाद इसे कई महीनों तक किसी रसायन, डिटर्जेंट, साबुन या तेल से नहीं हटाया जा सकता। इसका रंग पर्पल होता है।

भारतीय चुनाव आयोग 1960 से इस स्याही का उपयोग कर रहा है।




इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व अध्यक्षा सुधा मूर्ति को राज्य सभा के लिए मनोनीत किया गया है

हाल ही में, इंफोसिसफाउंडेशन की पूर्व अध्यक्षा सुधा मूर्ति को राज्य सभा के लिए मनोनीत किया गया है।



राज्य सभा में मनोनयन

कार्य आवंटन नियम, 1961 के तहत “राज्य सभा के लिए नामांकन” विषय गृह मंत्रालय को आवंटित किया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 80(3) के तहत राष्ट्रपति साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले 12 सदस्यों को राज्य सभा में मनोनीत करेगा।

राम गोपाल सिंह सिसोदिया बनाम अपने सचिव एवं अन्य के जरिए भारत संघ वाद, 2012 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 80(3) के तहत सचिन तेंदुलकर के मनोनयन को बरकरार रखा था।

उज्जैन में दुनिया की पहली वैदिक घड़ी ‘विक्रमादित्य वैदिक घड़ी' का उद्घाटन किया गया

उज्जैन में दुनिया की पहली वैदिक घड़ी ‘विक्रमादित्य वैदिक घड़ी' का उद्घाटन किया गया। यह भारतीय 'पंचांग' गणना पर आधारित है।



यह घड़ी उज्जैन (मध्य प्रदेश) में जंतर-मंतर परिसर में स्थित है। जंतर-मंतर एक वेधशाला है। इसका निर्माण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में जयपुर के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने कराया था ।

उन्होंने भारत के पांच शहरों में जंतर-मंतर का निर्माण कराया था। ये हैं: उज्जैन, दिल्ली, मथुरा, वाराणसी और जयपुर ।

जयपुर स्थित जंतर-मंतर यूनेस्को-विश्व धरोहर स्थल है।

उज्जैन जीरो मेरिडियन लाइन और कर्क रेखा (Tropic of Cancer) के सटीक मिलन बिंदु पर अवस्थित है।

हिंदू ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, उज्जैन को कभी भारत का सेंट्रल मेरिडियन माना जाता था । यह शहर भारत के टाइम जोन और समय में अंतर का निर्धारण करता था।

दुनिया भर में मोटापे (Obesity) की समस्या में बढ़ोतरी - लैंसेट रिपोर्ट

लैंसेट के एक नए अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में मोटापे की समस्या में बढ़ोतरी हुई है।



शरीर में वसा के अत्यधिक जमाव को मोटापे के रूप में परिभाषित किया गया है। अत्यधिक मोटापा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।

30 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को मोटापा माना जाता है।

लैंसेट अध्ययन के मुख्य बिन्दुओं पर एक नजर:

दुनिया भर में बच्चों और वयस्कों में मोटापे की दर 1990 से 2022 के बीच लगभग चार गुना (एक बिलियन से अधिक) बढ़ी है।

भारत में 20 वर्ष से अधिक उम्र की लगभग 44 मिलियन महिलाएं और 26 मिलियन पुरुष मोटापे की समस्या से जूझ रही/ रहे हैं।

मोटापे का प्रभावः 

हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज, सांस लेने में समस्या आदि।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खोजे गए सी स्लग को मेलानोक्लामिस द्रौपदी (एम. द्रौपदी) नाम दिया है

हाल ही में, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खोजे गए सी स्लग को मेलानोक्लामिस द्रौपदी (एम. द्रौपदी) नाम दिया है।



हेड-शील्ड, सी स्लग की एक नई समुद्री प्रजाति है जिसकी खोज पश्चिम बंगाल व ओडिशा के तटों पर की गई है। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसका नाम देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के नाम पर “मेलानोक्लामिस द्रौपदी (एम. द्रौपदी)" रखा है।

यह प्रजाति अपना पर्यावास मेलानोक्लैमिस बेंगालेंसिस के साथ साझा करती है। मेलानोक्लैमिस बेंगालेंसिस की खोज 2022 में की गई थी। हालांकि, यह आकृति विज्ञान की दृष्टि से एम. द्रौपदी से अलग है।

एम.द्रौपदी बेंगालेंसिस से आकार में छोटी है। इसका रंग धब्बेदार भूरा व काला है। इसके पश्च कवच (posterior shield) पर रुबि लाल रंग का धब्बा है।

सी स्लग तेज शिकारी होते हैं। वे अन्य विचरण करने वाले जीवों को अपना शिकार बनाते हैं। इन जीवों में खोलयुक्त व बिना खोल वाले स्लग, गोलकृमि (Roundworms), समुद्री कृमि, छोटी मछलियां आदि शामिल हैं।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने "भारत में तेंदुओं की स्थिति रिपोर्ट 2022” जारी की

हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने "भारत में तेंदुओं की स्थिति रिपोर्ट 2022” जारी की है।

यह तेंदुओं की आबादी की गणना का पांचवां चक्र था। इसका आयोजन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने राज्य वन विभागों के सहयोग से किया था।



यह गणना प्रत्येक चार वर्ष पर "बाघ, सह-शिकारी, शिकार और उनके पर्यावास की निगरानी" (Monitoring of Tiger, Co-predators, prey and their Habitat) कार्यक्रम के तहत की जाती है।

इस गणना में बाघों के पर्यावास वाले 18 राज्यों में तेंदुओं के वन-पर्यावासों को शामिल किया गया था। इनमें चार बड़े बाघ संरक्षण भू-क्षेत्र (landscapes) शामिल हैं।

तेंदुओं की गणना के लिए वन विहीन पर्यावास तथा शुष्क और 2000 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाले उच्च हिमालय से सैंपल नहीं लिए गए हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

भारत में तेंदुओं की अनुमानित संख्या 2022 में बढ़कर 13,874 हो गई थी, जो 2018 में 12,852 थी। यह 1.08% की वृद्धि है। यह संख्या सैंपल में शामिल क्षेत्रों पर आधारित है।

मध्य भारत और पूर्वी घाट में तेंदुओं की आबादी में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई। वहीं शिवालिक और गंगा के मैदानी इलाकों में इनकी संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।

तेंदुओं की सबसे अधिक आबादी मध्य प्रदेश में है। उसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु का स्थान है।

तेंदुओं की सबसे अधिक आबादी वाला टाइगर रिज़र्व नागार्जुनसागर है। इसके बाद श्रीशैलम, पन्ना और सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व हैं।

भारतीय तेंदुए (पैंथेरा पार्डस फुस्का) के बारे में

संरक्षण स्थितिः
  • IUCN रेड लिस्टः वल्नरेबल ।
  • CITES: परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध।
  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972: अनुसूची 1 में सूचीबद्ध ।
  • पर्यावासः ये भारत, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। ये मैंग्रोव वनों और मरुस्थलों में नहीं पाए जाते हैं।

विशेषताएं:

यह एकान्तप्रिय और निशाचर जीव हैं।

ये आसानी से पेड़ों पर चढ़ जाते हैं और पेड़ों की शाखाओं पर आराम करते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर्स तथा डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास' के तहत तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी प्रदान की

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर्स तथा डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के तहत तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी प्रदान की है।



अनुमोदित सेमीकंडक्टर इकाइयां निम्नलिखित हैं:

  1. सेमीकंडक्टर फैबः इसे धोलेरा (गुजरात) में ताइवान की कंपनियों के साथ साझेदारी में स्थापित किया जाएगा।
  2. सेमीकंडक्टर ATMP (असेंबली, परीक्षण, मार्किंग और पैकेजिंग): इसे मोरीगांव (असम) में स्थापित किया जाएगा।
  3. विशेष चिप्स के लिए सेमीकंडक्टर ATMP इकाई: इसे साणंद, (गुजरात) में जापान और थाईलैंड की कंपनियों की साझेदारी में स्थापित किया जाएगा।

सेमीकंडक्टर और सेमीकंडक्टर्स उद्योग के बारे में

सेमीकंडक्टर एक "सुचालक" (Conductor) और "कुचालक" (Insulator) के बीच की विशेषता रखने वाली सामग्री है। सेमीकंडक्टर को इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) भी कहा जाता है। 

सुचालक के माध्यम से विद्युत आसानी से प्रवाहित हो जाती है। चांदी, एलुमिनियम, लोहा, तांबा आदि विद्युत के सुचालक हैं। कुचालक के माध्यम से विद्युत आसानी से प्रवाहित नहीं होती है। लकड़ी, प्लास्टिक, रबड़ आदि विद्युत के कुचालक हैं।

एक सेमीकंडक्टर फैब या फैब्रिकेशन प्लांट, मूल रूप से एक फैक्ट्री होती है। इनमें इंटीग्रेटेड चिप सर्किट्स और सिलिकॉन वेफर्स का विनिर्माण किया जाता है।

सेमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल डायोड, ट्रांजिस्टर, इंटीग्रेटेड सर्किट और दूरसंचार सहित इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण बनाने में किया जाता है।

सेमीकंडक्टर्स का उपयोग लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों में किया जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), 5G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

संयुक्त राज्य अमेरिका, ताइवान और चीन को 'सेमीकंडक्टर पावरहाउस' माना जाता है।

मैकिन्से के अनुसार, वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर का उद्योग बनने का अनुमान है।

डेलॉयट ने भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार के 2026 तक 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का होने की संभावना प्रकट की है।

भारत द्वारा सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए शुरू की गई पहलें

भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का विकासः यह पहल सेमीकॉनइंडिया प्रोग्राम के रूप में शुरू की गई है। इसके तहत सेमीकंडक्टर्स, डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन इकोसिस्टम में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): यह डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन के भीतर एक विशेष व्यवसाय डिवीजन है। इसका लक्ष्य एक जीवंत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना है।

आई.टी. हार्डवेयर के लिए उत्पादन से संबंद्ध प्रोत्साहन योजना (PLI) 2.0 संचालित की जा रही है। इसके तहत सेमीकंडक्टर डिजाइन, IC विनिर्माण और पैकेजिंग के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।

वित्तीय प्रोत्साहन और डिजाइन अवसंरचना के समर्थन के लिए एक डिजाइन से संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना चलाई जा रही है।

क्वाड सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला पहलः इस पहल का उद्देश्य सेमीकंडक्टर उद्योग की क्षमता का मापन करना, उसकी कमजोरियों की पहचान करना तथा सेमीकंडक्टर्स और उनके महत्वपूर्ण घटकों के लिए आपूर्ति-श्रृंखला सुरक्षा को मजबूत बनाना है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA)" की स्थापना को मंजूरी दी

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA)" की स्थापना को मंजूरी दी है। IBCA का मुख्यालय भारत में स्थापित होगा।



IBCA के बारे में

 IBCA को प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अप्रैल 2023 में लॉन्च किया गया था।

IBCA का लक्ष्य सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियों और उनके पर्यावास की सुरक्षा व संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग सुनिश्चित करना है। ये सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियां हैं- बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता ।

प्यूमा और जगुआर को छोड़कर, भारत में सभी 5 बड़ी बिल्ली प्रजातियां पाई जाती हैं।

बहु-देशीय व बहु-एजेंसी गठबंधन:

IBCA को उन 96 देशों के सहयोग से शुरू किया गया है, जहां पर ये बड़ी बिल्ली प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके भागीदारों में निम्नलिखित शामिल हैं-

  • बड़ी बिल्ली प्रजातियों वाले देश;
  • ऐसे देश जहां बड़ी बिल्ली प्रजातियां नहीं पाई जाती हैं, लेकिन वे इनके संरक्षण में रूचि रखते हैं;
  • संरक्षण भागीदार;
  • संरक्षण में रूचि रखने वाले व्यवसायिक व कॉर्पोरेट समूह तथा
  • बड़ी बिल्ली प्रजाति के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक संगठन।


IBCA का वित्त-पोषणः

भारत पांच वर्षों (2023-24 से 2027-28) के लिए 150 करोड़ रुपये की प्रारंभिक सहायता प्रदान कर रहा है। द्विपक्षीय व बहुपक्षीय एजेंसियों और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों सहित अन्यों से भी योगदान प्राप्त किया जाएगा।

गवर्नेस संरचना: 

इसमें शामिल हैं-

  • सदस्यों की सभा,
  • स्थायी समिति, और
  • सचिवालय

बड़ी बिल्ली प्रजातियों और उनके पर्यावासों के संरक्षण का महत्त्व

पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करनाः बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां पारिस्थितिकी तंत्र की शीर्ष परभक्षी हैं। इनकी आबादी कम होने से शिकार प्रजातियों की संख्या काफी बढ़ जाएगी। इससे अति- चराई को बढ़ावा मिलेगा और भूक्षेत्र के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।

जल सुरक्षाः हिम तेंदुओं की अधिक आबादी, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ होने का संकेत है। हिमालय कई नदियों के स्रोत हैं। ऐसे में हिम तेंदुए के संरक्षण से हिमालय और उसके हिमनद भी संरक्षित होते हैं। 

जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करनाः ये बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां कार्बन का भंडारण करने वाले वन क्षेत्रों की रक्षा में सहायक हैं।

सांस्कृतिक प्रतीकः दुनिया भर में कई समुदायों के लिए बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां उनकी आस्था और संस्कृति से जुड़ी हुई हैं और ये उनकी लोक कथाओं में भी शामिल रही हैं। ऐसे में इन प्रजातियों के संरक्षण से देशज प्रजातियों की संस्कृतियों का भी संरक्षण होता है।

अर्थव्यवस्था का समर्थनः इनके पर्यावास आजीविका के अवसर प्रदान करते हैं और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना" को मंजूरी दी

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना" को मंजूरी दी है।

यह योजना का कार्यान्वयन नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय कर रहा है।



उद्देश्यः 

इस योजना का उद्देश्य रूफटॉप सोलर (RTS) स्थापित करना और 1 करोड़ घरों को प्रतिमाह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करना।

सब्सिडी संरचनाः 

आवासीय रूफटॉप सोलर (स्थापना) के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) निम्नलिखित प्रकार से होगी:

  • 30,000/- रुपये प्रति किलोवाट की दर सेः अधिकतम 2 किलोवाट तक;
  • 18,000/- रुपये प्रति किलोवाट की दर से: अधिकतम 3 किलोवाट तक;
  • 78,000 रुपयेः 3 किलोवाट से बड़े सिस्टम के लिए।

आवासीय रूफटॉप सोलर की स्थापना के लिए ऋणः 

एक परिवार को 3 किलोवाट तक के आवासीय रूफटॉप सोलर सिस्टम की स्थापना के लिए लगभग 7% की निम्न ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाएगा। इसके लिए उन्हें कोई जमानत रखने की जरुरत नहीं (Collateral-free) पड़ेगी।

एक राष्ट्रीय पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। यह पोर्टल परिवारों को निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करेगाः

  • सब्सिडी के लिए आवेदन करने और रूफटॉप सोलर स्थापित करने के लिए सही वेंडर (विक्रेता) को चुनने में। 
  • सही आकार के रूफटॉप सोलर चुनने, लाभ का अनुमान लगाने, इंस्टॉल करने वाले वेंडर की रेटिंग पता करने जैसे मामलों में सही निर्णय लेने में।


मॉडल सोलर विलेजः 

ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय रूफटॉप सोलर को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक जिले में एक रोल मॉडल गांव विकसित किया जाएगा।

स्थानीय निकायों को प्रोत्साहनः 

शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थानों को अपने क्षेत्रों में आवासीय रूफटॉप सोलर स्थापना को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। 

सौर क्षमता वृद्धिः 

आवासीय क्षेत्र में आवासीय रूफटॉप सोलर की स्थापना से 30 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता की वृद्धि की जाएगी।

सरकार ने 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर (Jel)' को अगले पांच साल के लिए 'गैर-कानूनी संगठन' घोषित किया

सुर्खियां

हाल ही में, सरकार ने 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर (Jel)' को अगले पांच साल के लिए 'गैर-कानूनी संगठन' घोषित किया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने यह अधिसूचना गैर-कानूनी क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 3 के तहत जारी की है।



इससे पहले भी फरवरी 2019 में Jel पर प्रतिबंध लगाया गया था।

सरकार का आरोप

 Jel को गैर-कानूनी संगठन इसलिए घोषित किया गया है, क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवाद को भड़काने और भारत विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने का कार्य किया है। 

संगठन की ये गतिविधियां देश की आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। साथ ही, देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

Jel के सदस्यों पर अक्सर ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के रूप में काम करने का भी आरोप लगाया जाता है।

OGWs: इस समूह में वे लोग शामिल होते हैं, जो आतंकवादियों को जरूरत की चीजें उपलब्ध कराते हैं और उन्हें गुप्त गतिविधियां संचालित करने में सहायता प्रदान करते हैं।


आतंकवादी संगठनों के लिए OGWs द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका

भर्ती: इन लोगों की स्थानीय युवाओं को आतंकवादी समूहों में भर्ती कराने में भूमिका होती है। इसमें जबरन भर्ती भी शामिल है।

वित्त-पोषणः इसके लिए अवैध व्यापार, जाली मुद्रा की तस्करी, कर चोरी, हवाला लेन-देन आदि गतिविधियां की जाती हैं।

अन्य हितधारकों के साथ समन्वयः OGWs अलगाववादी नेताओं, संगठित अपराध नेटवर्क्स आदि के साथ समन्वय स्थापित करने का कार्य करते हैं।

जायज ठहराना (Legitimization): OGWs प्रोपेगेंडा, कट्टरवाद (रेडिकलाइजेशन), स्थानीय लोगों की शिकायतों का सहारा लेने जैसे तरीकों के माध्यम से आतंकी गतिविधियों को जायज ठहराने का प्रयास करते हैं।

 OGWs को निष्प्रभावी बनाने के उपायः

अनाथ बच्चों और महिलाओं का पुनर्वास करके सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा संचालित ऑपरेशन सद्भावना (गुडविल) इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

कट्टरपंथ फ़ैलाने के प्रयासों पर निगरानी रखने के लिए खुफिया अवसंरचना में सुधार किया जाना चाहिए।

आतंकवादियों और OGWs को जल्दी सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट्स का गठन किया जाना चाहिए।

गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967

UAPA व्यक्तियों और संगठनों की कुछ गैर-कानूनी गतिविधियों की रोकथाम तथा आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए एक कानून है।

UAPA (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने सरकार को संगठनों के अलावा व्यक्तियों को भी आतंकवादी के रूप में नामित करने का अधिकार दिया है।

इस कानून में आतंकवादी कृत्यों को परिभाषित करने के लिए परमाणु आतंकवाद के कृत्यों के दमन हेतु अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (2005) को भी शामिल किया गया है।

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उत्तर प्रदेश PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा और RO/ ARO 2023 की प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने के UPPSC के फैसले को लेकर मचे बव...