केंद्रीय बजट 2020-21
◆ चर्चा में क्यों?
● वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पेश हुआ आम बजट
● केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश किया।
● गवर्नेंस, इज ऑफ लिविंग और वित्तीय क्षेत्र पर केंद्रित रहा बजट।
● 2020-21 वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5% का लक्ष्य।
● एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया गया बैंक में जमा राशि का बीमा कवर।
● 2014-19 के दौरान 190 बिलियन डॉलर के मुकाबले 284 बिलियन डॉलर हुआ भारत में एफडीआई।
◆ नई पहलें
● जल्दी खराब होने वाले सामानों के तेज परिवहन के लिए रेलवे पीपीपी मॉडल के तहत 'किसान रेल' की करेगा शुरुआत।
● कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 'कृषि उड़ान योजना' होगी लांच।
● 'राष्ट्रीय टेक्सटाइल मिशन' होगा लांच; इसके लिए 1480 करोड़ रुपए का आवंटन।
● 2025 तक 100 नए एयरपोर्ट निर्माण की घोषणा।
● राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐलान; फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय भी किया जाएगा स्थापित।
● गरीब विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन एजुकेशन कार्यक्रम की घोषणा।
● 5 आर्कियोलॉजिकल साइट्स की स्थापना की घोषणा ; धौलावीरा (गुजरात), सिवासागर (असम), अदिचनल्लेर (तमिलनाडु), हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश) और राखीगढ़ी (हरियाणा) में होगी स्थापित।
● अहमदाबाद में समुद्री संग्रहालय, जबकि रांची (झारखंड) में आदिवासी संग्रहालय की स्थापना की घोषणा।
◆ नए कर प्रस्ताव
● निगम कर की दरें घटाई गई; विनिर्माण क्षेत्र की नई कंपनियों के लिए ये दरें 15% और मौजूदा कंपनियों के लिए 22%
● अवसंरचना सॉवरेन वेल्थ फंड (sovereign wealth fund) के लिए 100% छूट प्रस्तावित।
नवीन आयकर स्लैब
1. 5 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं।
2. 5-7.5 लाख की आय पर 10%
3. 7.5-10 लाख की आय पर 15%
4. 10-12.5 लाख तक की आय पर 20%
5. 12.5 -15 लाख की आय पर 25%
6. 15 लाख से ज्यादा की आय पर 30%
● नई कर व्यवस्था करदाताओं के लिए होगी वैकल्पिक।
● वहन योग्य घरों के लोन के ब्याज पर मार्च 2021 तक मिलेगा 1.5 लाख रूपय का कर का लाभ?
● अफोर्डेबल हाउसिंग डेवलपर्स के लिए प्रस्तावित किया गया 'टैक्स हॉलीडे'
● ऐसे प्रत्यक्ष करदाता जिनकी अपीलें विभिन्न फोरम पर पेंडिंग है; उनके लिए लांच की गई 'विवाद से विश्वास स्कीम'
● इस स्कीम के तहत करदाताओं को सिर्फ विवादित राशि का ही करना होगा भुगतान; ब्याज और जुर्माने पर मिलेगी पूरी छूट।
● 15वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों से 1% घटाई राज्यों की हिस्सेदारी, अब यह होगी 41%
● 2019 में केंद्रीय सरकार की देयताएं घटकर जीडीपी का 48.7% हुई; पहले थी 52.2%
सरकार की प्रतियों में विभिन्न मदों की हिस्सेदारी है
1. उधार और अन्य देयताएं- 20%
2. निगम कर- 18%
3. माल और सेवा कर- 18%
4. आय कर- 17%
5. कर भिन्न राजस्व- 10%
6. केंद्रीय उत्पाद शुल्क- 7%
7. सीमा शुल्क- 4%
8. ऋण भिन्न पूँजी प्राप्तियां- 6%
सरकार के खर्चे
1. करों और शुल्कों में राज्य का हिस्सा- 20%
2. ब्याज भुगतान- 18%
3. केंद्रीय क्षेत्र की स्कीम- 13%
4. वित्त आयोग और अन्य अंतरण- 10%
5. केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों- 9%
6. रक्षा- 8%
7. पेंशन- 6%
8. सब्सिडी- 6%
9. अन्य विषय- 10%
◆ महत्वपूर्ण आवंटन।
● वायु प्रदूषण निवारण के लिए ₹4400 करोड़
● शिक्षा के लिए ₹99300 करोड़ का आवंटन।
● स्वास्थ्य के लिए ₹69000 करोड़ को मंजूरी।
● कौशल विकास के लिए ₹3000 करोड़ का आवंटन।
● स्वच्छ भारत मिशन के लिए ₹12300 करोड़
● नल से जल योजना के लिए ₹3.6 लाख करोड़ का ऐलान।
● आर्थिक गलियारे के लिए ₹9000 करोड़ की घोषणा।
● भारत नेट योजना के लिए ₹6000 करोड़ का आवंटन
● औद्योगिक विकास के लिए ₹27300 करोड़ की घोषणाएं।
● नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए ₹20000 करोड़ का आवंटन
● पोषण कार्यक्रमों के लिए ₹35600 करोड़ की व्यवस्था।
● अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए ₹85000 करोड़ का ऐलान; अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए ₹35700 करोड़ का आवंटन।
● महिला कल्याण से जुड़े योजनाओं के लिए ₹28600 करोड़ की मंजूरी।
● वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए ₹9500 करोड़ की मंजूरी
◆ अन्य जानकारियां
व्यय
सरकार ने 2020-21 में 30,42,230 करोड रुपए खर्च करने का प्रस्ताव किया, जो 2019-20 के संशोधित अनुमान से 12.7% अधिक है।
प्रतियां
विनिवेश से उच्च अनुमानित राजस्व के कारण प्रतियां (शुद्ध उधार के अलावा) 16.3% बढ़कर 22,45,893 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
जीडीपी वृद्धि
सरकार ने 2020-21 में 10% (यानी वास्तविक विकास और मुद्रास्फीति) की मामूली जीडीपी विकास दर मान ली है। 2019-20 के लिए नाममात्र वृद्धि का अनुमान 12% था।
घाटा
राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 2.7% पर लक्षित है जो 2019-20 में 2.4% के संशोधित अनुमान से अधिक है।
राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5% पर लक्षित है, जो 2019-20 में संशोधित अनुमान 3.8% से कम है। ध्यान दें कि सरकार का अनुमान है कि 2019-20 में राजकोषीय घाटे (3.3%) के लिए अपने बजटीय लक्ष्य और 2020-21 में मध्यम अवधि के राजकोषीय लक्ष्य 3% का उल्लंघन होगा। इसमें ऑफ-बज़ट उधार (2020-21) में जीडीपी का 0.9% शामिल नहीं है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें