जनसंख्या के मामले में अगले साल तक चीन को पीछे छोड़ देगा भारत : यूएन

अगले साल तक चीन को पीछे छोड़ देगा भारत

विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, अगले साल भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है। नवंबर 2022 में दुनिया की आबादी आठ अरब हो जाएगी।



यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, 1950 के बाद वैश्विक आबादी सबसे धीमी गति से बढ़ रही है। 2020 में एक फ़ीसदी की गिरावट आई थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक़ 2030 तक दुनिया की आबादी 8.5 अरब हो जाएगी और 2050 में 9.7 अरब।

अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर के एक अध्ययन में पता चला है कि भारत में सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में काफ़ी कमी आई है। नतीजा, साल 1951 से लेकर अब तक देश की धार्मिक आबादी और ढाँचे में मामूली अंतर ही आया है।

भारत में सबसे ज़्यादा संख्या वाले हिंदू और मुसलमान देश की कुल आबादी का 94% हिस्सा हैं यानी दोनों धर्मों के लोगों की जनसंख्या क़रीब 120 करोड़ है।

ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्मों के अनुयायी भारतीय जनसंख्या का 6% हिस्सा हैं।

प्यू रिसर्च सेंटर ने यह अध्ययन हर 10 साल में होने वाली जनगणना और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आँकड़ों के आधार पर किया है। इस अध्ययन में यह समझने की कोशिश की गई है कि भारत की धार्मिक आबादी में किस तरह के बदलाव आए हैं और इसके पीछे प्रमुख कारण क्या हैं।


मुसलमानों की प्रजनन दर सबसे अधिक

भारत में अब भी मुसलमानों की प्रजनन दर सभी धार्मिक समूहों से ज़्यादा है। साल 2015 में हर मुसलमान महिला के औसतन 2.6 बच्चे थे। वहीं, हिंदू महिलाओं के बच्चों की संख्या औसतन 2.1 थी। सबके कम प्रजनन दर जैन समूह की पाई गई। जैन महिलाओं के बच्चों की औसत संख्या 1.2 थी।

अध्ययन के अनुसार यह ट्रेंड मोटे तौर पर वैसा ही है, जैसा साल 1992 में था। उस समय भी मुसलमानों की प्रजनन दर सबसे ज़्यादा (4.4) थी। दूसरे नंबर पर हिंदू (3.3) थे।

अध्ययन के अनुसार, "प्रजनन दर का ट्रेंड भले ही एक जैसा हो लेकिन सभी धार्मिक समूहों में जन्म लेने वालों की बच्चों की संख्या पहले की तुलना में कम हुई है।" जनसंख्या दर में कमी ख़ासकर उन अल्पसंख्यक समुदाय में आई है, जो पिछले कुछ दशकों तक हिंदुओं से कहीं ज़्यादा हुआ करती थी।

प्यू रिसर्च सेंटर में वरिष्ठ शोधकर्ता और धर्म से जुड़े मामलों की जानकार स्टेफ़नी क्रेमर एक दिलचस्प पहलू की ओर ध्यान दिलाती हैं। उनके मुताबिक़, "पिछले 25 वर्षों में यह पहली बार हुआ है जब मुसलमान महिलाओं की प्रजनन दर कम होकर प्रति महिला दो बच्चों के क़रीब पहुँची है।"

1990 की शुरुआत में भारतीय महिलाओं की प्रजनन दर औसतन 3.4 थी, जो साल 2015 में 2.2 हो गई। इस अवधि में मुसलमान औरतों की प्रजनन दर में और ज़्यादा गिरावट देखी गई जो 4.4 से घटकर 2.6 हो गई। पिछले 60 वर्षों में भारतीय मुसलमानों की संख्या में 4% की बढ़त हुई है जबकि हिंदुओं की जनसंख्या क़रीब 4% घटी है। बाक़ी धार्मिक समूहों की आबादी की दर लगभग उतनी ही बनी हुई है।


उत्तर प्रदेश का हाल

उत्तर प्रदेश लॉ कमिशन ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) बिल 2021 का एक ड्राफ्ट सौंपा है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रस्तावित बिल में दो बच्चे के नियम की बात कही गई है। कुछ आलोचकों का कहना है कि योगी सरकार मुसलमानों को निशाने पर लेने के लिए ऐसा कर रही है। हालांकि बीजेपी सरकार ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है।

उत्तर प्रदेश भारत में सबसे ज़्यादा आबादी वाला राज्य है। योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विश्व जनसंख्या दिवस के मौक़े पर लखनऊ में एक कार्यक्रम में कहा कि आने वाले सालों में उत्तर प्रदेश की आबादी 25 करोड़ पार कर जाएगी।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है परिवार नियोजन के ज़रिए जनसंख्या नियंत्रण की बात करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इससे जनसंख्या असंतुलन की स्थिति पैदा ना हो पाए।

2011 के जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 19 करोड़ 19,98,12,347 है जो देश का 16.51% है।

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