मणिपुर के इंफाल में एक बार फिर विरोध प्रदर्शन क्यों शुरू हो गया है

मणिपुर सरकार ने शनिवार रात 11.45 बजे से पांच दिनों के लिए घाटी के पांच जिलों (इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग) में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं, जिसमें वीसैट (VSAT) और वीपीएन (VPN) भी शामिल है, को निलंबित करने का आदेश दिया है।

सरकार ने यह आदेश मैतेई समुदाय के अरम्बाई टेंगोल (AT) स्वयंसेवी संगठन के नेता कानन सिंह की गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद दिया है।

सरकार को इस बात की आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए तस्वीरें, अभद्र भाषा और नफरत भरे वीडियो संदेश प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसका राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है। 

सरकार ने कहा है कि आदेश का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 


क्या है पूरा मामला?

दरअसल इस विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि 2023 की भीषण जाति हिंसा ने तैयार किया है। 2023 में मैतेई और कुकी जनजातियों के बीच भीषण जाति हिंसा हुए। इस हिंसा में शामिल अपराधियों को प्रशासन गिरफ्तार कर रही है। 

हाल ही में, कुकी जनजाति के एक संदिग्ध को प्रशासन ने सीमावर्ती शहर मोरेह से गिरफ्तार किया था। इस पर अक्टूबर 2023 में एक पुलिस अधिकारी की स्नाइपर राइफल से हत्या करने का आरोप था। इसकी गिरफ्तारी के विरोध में कुकी जनजातीय ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। 

कुकी समुदाय ने मणिपुर पुलिस अधिकारी संगठन चिंगथम की हत्या के मामले में आरोपी 'कामगिनथांग गंगटे' की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी का आरोप लगाया और मोरेह स्थित टैंगोपाल जिले में बंद का आह्वाहन किया।

इसी बीच प्रशासन ने मैतेई संगठन (AT) के नेता कानन सिंह को गिरफ्तार कर लिया, जिसके विरोध में AT के युवा सदस्यों ने मणिपुर की राजधानी इम्फाल में प्रदर्शन कर रहे हैं।

इन प्रदर्शनों के देखते हुए किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन ने मोबाइल सेवाओं को निलंबित करने का फैसला लिया।


मणिपुर में जाति हिंसा का इतिहास

मणिपुर में जातीय हिंसा का इतिहास जटिल, गहरा और लंबे समय से चला आ रहा है। यह मुख्यतः मैतेई, नागा और कुकी समुदायों के बीच पहचान, भूमि अधिकार, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सांस्कृतिक वर्चस्व को लेकर टकराव का परिणाम है।


 मणिपुर में जातीय हिंसा का इतिहास (विस्तार से)

1. प्रमुख समुदाय कौन हैं?

समुदाय धर्म क्षेत्र विशेषताएँ
मैतेई हिंदू/सनातन इंफाल घाटी      बहुसंख्यक (राजनीतिक व प्रशासनिक दबदबा)
कुकी ईसाई                पहाड़ी क्षेत्र      आदिवासी पहचान, ST दर्जा प्राप्त
नागा ईसाई पहाड़ों में      अलग नागालिम की माँग, NSCN आंदोलन

2. प्रारंभिक टकराव और पृष्ठभूमि

  • 1980–90 का दशक: उग्रवादी संगठन जैसे UNLF, PLA, NSCN (IM) ने अलग मणिपुर/नागालैंड की माँग की। इस समय तक मणिपुर में अफस्पा लागू हो चुका था।

  • मैतेई बनाम नागा और कुकी: घाटी में रहने वाले मैतेई लोगों को लगता रहा कि राज्य की राजनीतिक ताकत उन्हीं के हाथ में होनी चाहिए, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों के कुकी व नागा समुदायों ने स्वायत्तता की माँग तेज की।


3. 1990 के दशक में मैतेई-कुकी टकराव

  • 1993 में भीषण दंगे हुए थे:

    • कुकी और नागा उग्रवादियों के बीच हिंसा हुई।

    • हजारों लोग मारे गए और हज़ारों विस्थापित हुए।

    • इससे कुकी-नागा संबंध भी लंबे समय के लिए खराब हो गए।


4. 2023 की सबसे बड़ी जातीय हिंसा

    पृष्ठभूमि:

  • मैतेई समुदाय ने ST (अनुसूचित जनजाति) दर्जा माँगा, जिससे कुकी और नागा समुदायों में आक्रोश हुआ।

  • 3 मई 2023 को, “ट्राइबल यूनिटी मार्च” के दौरान कुकी समुदाय ने इसका विरोध किया।

  • इसके बाद घाटी और पहाड़ों में सांप्रदायिक दंगे फैल गए।

  हिंसा का असर:

  • 200+ लोग मारे गए, 50,000+ लोग विस्थापित हुए।

  • हजारों घर, चर्च, मंदिर जलाए गए।

  • महिलाओं के साथ अत्याचार (जैसे कि वायरल हुआ नग्न परेड कांड) ने पूरे देश को झकझोर दिया।


5. राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

  • राज्य में भाजपा सरकार (मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह – मैतेई समुदाय से) है।

  • आरोप लगे कि सरकार ने मैतेई पक्ष को बचाव दिया, जिससे कुकी समुदाय में गहरी असंतोष की भावना उत्पन्न हुई।


6. वर्तमान स्थिति (2024-2025 तक)

  • मणिपुर दो भागों में बँट गया है – घाटी (मैतेई बहुल) और पहाड़ (कुकी बहुल)।

  • बीच का विश्वास टूट गया है। कई लोग अपने घर नहीं लौट पाए हैं।

  • अक्सर हिंसा के बाद इंटरनेट बंद, कर्फ्यू, और आर्मी फ्लैग मार्च आम बात हो गई है।


क्यों यह हिंसा बार-बार भड़कती है?

कारण विवरण
🌐 भूमि अधिकार                   मैतेई पहाड़ी क्षेत्र में ज़मीन नहीं ले सकते, कुकी-नागा घाटी में नहीं
🧾 ST दर्जा विवाद मैतेई चाहते हैं आरक्षण, कुकी-नागा इसका विरोध करते हैं
⛳ पहचान की लड़ाई   हर समूह अपनी भाषा, संस्कृति, और क्षेत्रीय पहचान को प्राथमिकता देता है
🏛️ प्रशासनिक पक्षपात कुकी समुदाय का आरोप है कि राज्य सरकार मैतेई पक्षपाती है
🔫 उग्रवादी संगठन अब भी कई हथियारबंद गुट सक्रिय हैं, जो शांति प्रक्रिया में बाधा हैं

निष्कर्ष:

मणिपुर की जातीय हिंसा सिर्फ वर्तमान राजनीति या घटनाओं का नतीजा नहीं है। यह दशकों पुराने पहचान, भूमि, आरक्षण और प्रशासनिक असमानता की लड़ाई का विस्तार है। समाधान तभी संभव है जब सभी समुदायों के बीच विश्वास बहाल हो, और निष्पक्ष शासन व संवाद को बढ़ावा मिले।


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