पहलगाम आतंकी हमला और भारत के प्रधानमंत्री मोदी की बिहार की रैली में दिए गए चेतावनी से उपजे सवालों का अभी तक जवाब नहीं मिला

हाल ही में, भारत के केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में एक बहस के दौरान बताया कि भारतीय सेना के एक संयुक्त अभियान (ऑपरेशन महादेव) में तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया है।  ये आतंकवादी पहलगाम  आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने इसे भारत की "सख्त आतंकवाद नीति" का उदाहरण बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुरक्षा बलों को बधाई दी और कहा कि इस आपरेशन से आतंकवादियों को उनके अपराध की "सही सजा" मिली है। 



ऑपरेशन महादेव के बारे में

यह ऑपरेशन भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने चलाया था। यह ऑपरेशन 27-28 जुलाई, 2025 को चलाया गया था। इसका उद्देश्य पहलगाम हत्याकांड के जिम्मेदार आतंकवादियों को पकड़ना या मार गिराना था। 

अमित शाह ने संसद को बताया कि मारे गए तीनों आतंकवादियों में से एक हाशिम मूसा (उर्फ सुलेमान शाह) पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था। यह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था। उन्होंने दो अन्य आतंकवादियों के कोडनेम भी बताएं- "अफगान" और "जिब्रान"

मारे गए यह आतंकी श्रीनगर जिले के हरवन-हिदवास क्षेत्र में छिपे हुए थे। यह क्षेत्र श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में पड़ता है। यह एक घना और दुर्गम जंगल वाला इलाका है, जो आतंकवादियों को छिपने और बचने के लिए आदर्श माना जाता है। सुरक्षा बलों को सुराग मिला था कि पहलगाम हमले के आरोपी आतंकी इसी इलाके में छिपे हुए हैं।

आतंकियों की पहचान

अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में मारे गए इन आतंकियों का संबंध पहलगाम हमले से था जैसा कि सरकार ने  दावा किया है। इस सवाल को विपक्ष ने भी उठाया है। सरकार ने इन आतंकवादियों का संबंध पहलगाम हत्याकांड से होने का निम्नलिखित सबूत संसद में पेश किया है:

  • स्थानीय लोगों और गिरफ्तार किए गए संदिग्धों ने इन आतंकवादियों की पहचान की है।
  • पाकिस्तानी वोटर आईडी कार्ड 
  • पाकिस्तानी चॉकलेट और सामान 
  • हथियार, जिनकी फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई है कि यही हथियार पहलगाम हत्याकांड में इस्तेमाल हुए थे।
सरकार के यह सबूत कितने सही हैं और कितने गलत है, यह कह पाना बहुत मुश्किल है। चुकी सरकार ने यह सबूत संसद में पेश किए हैं इसलिए इसे सत्य मानकर चलना ही उचित होगा।


पहलगम आतंकी हमला 

यह हमला 22 अप्रैल, 2025 को किया गया था। इस हमले में 5 आतंकवादियों ने 26 लोगों को मार दिया था। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित और Lashkar-e-Taiba से संबंधित आतंकवादी समूह The Resistance Front (TRF) ने ली थी। हालांकि बाद में उसने अपना दावा वापस ले लिया था। 

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की अपनी एक रैली में कहा था कि "जिन्होंने यह हमला किया है उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।" तो सवाल यह है कि क्या उनको यह सजा मिली? इस सवाल का उत्तर जानने से पहले हम यह जानते है कि आखिरकार ये साजिशकर्ता है कौन?

पहलगाम हमले के मुख्य साजिशकर्ता कौन?

प्रधानमंत्री ने बिहार की रैली में दो तरह के लोगों की तरफ पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया- पहला, इस हमले को अंजाम देने वाले लोग; और दूसरा, इसके साजिशकर्ता।
  • पहला, पहलगम हमले को अंजाम देने वाले लोग: इस हमले को पाँच आतंकियों ने अंजाम दिया था। इसमें से एक आतंकवादी को जिसे पहलगाम हत्याकांड का मास्टरमाइंड कहा जा रहा था, को मार गिराया गया। 
  • दूसरा, साजिशकर्ता: पहलगाम हमले के साजिशकर्ताओं की जानकारी पकड़े गए संदिग्धों के बयानों, ड्रोन फूटेजों, आतंकवादियों से प्राप्त सबूतों और बयानों,  विशेषज्ञों की रिपोर्टों, और आम लोगों की राय से पता चलता है। ये सभी संकेत पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों, ISI और पाकिस्तानी आर्मी चीफ की तरफ जाते है। कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और मीडिया ने भी इशारा किया कि ISI और पाकिस्तानी सेना की सहमति या चुपचाप समर्थन के बिना इतनी बड़ी घुसपैठ और हमला संभव नहीं था। भारत ने इस हमले को राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद (State-sponsored cross-border terrorism) कहा। 

क्या पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकवादियों और साजिशकर्ताओं को कड़ी सजा मिली?

भारत ने पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकवादियों और सजिशकर्ताओं को कड़ी सजा देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर और महादेव चलाया। इसके अलावा अंतर्रास्ट्रीय प्रयास भी किए। कई देशों ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की। अमेरिका ने TRF को आतंकवादी संगठन घोषित किया। UN Secrity Council ने भी अपनी रिपोर्ट में TRF का नाम शामिल किया। भारत के प्रयासों के बावजूद भी FATF ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की कड़ी निंदा तो की लेकिन उसे ग्रे या ब्लैक लिस्ट में शामिल नहीं किया। FATF ने कहा  "This, and other recent attacks, could not occur without money and the means to move funds between terrorist supporters." यानी, ऐसे हमले आतंकवादी फंडिंग और वित्तीय लेन-देन की मौजूदगी के बिना संभव ही नहीं होते हैं। यही नहीं, IMF ने भी पाकिस्तान को करीब $1 अरब का तत्काल भुगतान जारी कर दिया और नए $1.4 अरब RSF फंड को मंजूरी दे दी

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)

यह भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के जवाब में पाकिस्तान और PoK में किए गए सटीक सैन अभियान का नाम है। यह मिशन 7 मई 2025 की रात 1:05 बजे से 1:30 बजे तक चला, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर 9 आतंकवादी ठिकानों पर सटीक वार किए। इन ठिकानों में Jaish-e-Mohammed, Lashkar-e-Taiba और Hizbul Mujahideen के रिक्रूटमेंट, प्रशिक्षण और कमांड सेंटर शामिल थे। भारत ने स्पष्ट किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य आधार या नागरिक इलाके को निशाना नहीं बनाया गया। केवल आतंकवादी संरचना को निशाना बनाया गया था। भारतीय सूत्रों के अनुसार, लगभग 70 आतंकवादी मारे गए और 60 घायल हुए; जबकि पाकिस्तान ने 8–9 नागरिकों की मौत होने की जानकारी दी। इस ऑपरेशन में पाक सेना की संचार प्रणाली और साइबर कमांड को ध्वस्त कर दिया गया। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सिक्योरिटी और आतंकी ठिकानों को भारी नुकसान पहुँचाया। 

ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev)

ऊपर हम पढ़ चुके है कि ऑपरेशन महादेव के तहत तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया। इसमें से एक को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड बताया गया। 

क्या भारत पहलगाम हमले का बदल ले लिया है?

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत ने पाकिस्तान को और उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को मुहतोड़ जवाब दिया है। लेकिन अभी तक भारत ने पहलगाम हमले के जिम्मेदार 1-3 आतंकियों को ही मार है। अभी भी कम-से-कम दो आतंकी बाकी है। साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर में कितने आतंकी और साजिशकर्ता मारे गए, इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं है। 

वास्तव में, अगर देखा जाय तो पहलगाम हमले का असली साजिशकर्ता हमले को अंजाम देने वाले आतंकी नहीं, बल्कि पाकिस्तानी आर्मी और ISI है, जिन्होंने आतंकियों को सहायता, सुविधा, प्रशिक्षण और हथियार दिए है। भारत के प्रधानमंत्री ने बिहार की रैली में कहा था कि साजिशकर्ताओं को भी उनकी कल्पना से कड़ी सजा मिलेगी। तो अब सवाल यह है कि क्या उन्हें यह सजा मिली? इसका उत्तर है- नहीं; क्योंकि न तो अभी तक ISI प्रमुख मारा गया और न ही पाकिस्तान आर्मी चीफ (General Asim Munir)। पाकिस्तान ने सेना और लोगों का मनोबल ऊंचा बनाए रखने के लिए आसिम मुनिर को पाकिस्तानी आर्मी का सर्वोच्च पद "Field Marshal" के रूप में प्रमोशन दे दिया। यही नहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आशिफ मुनीर को व्हाइट हाउस में बुलाकर न सिर्फ उसके साथ लंच किया बल्कि ऑपरेशन सिंदूर को रुकवाने में उसकी भूमिका की प्रशंसा भी की। इसके अलावा अमेरिका ने पाकिस्तान के तेल भंडारों की खोज और विकास में निवेश करने की घोषणा की है। अमेरिका ने भारत पर कुल 35% का टैरिफ लगाया है, वहीं पाकिस्तान पर 20% का टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका की भारत के साथ दोहरे व्यवहार को दर्शाता है। यानी अमेरिका चीन और रूस को साधने के लिए भारत का इस्तेमाल करता है, जबकि भारत को साधने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करता है। वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ बोलता है लेकिन पाकिस्तान के जरिए अप्रत्यक्ष और चुपके से आतंकवाद को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है। चीन पर भी यही बात लागू होता है। चीन ने तो इस तनाव में भारत के खिलाफ पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया है।

निष्कर्ष 

उपर्युक्त बातों से एक बात तो समझ में आ गई है कि भारत को कम-से-कम तीन मोर्चों पर युद्ध के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। पहला पाकिस्तान, दूसरा चीन और तीसरा संभावित अन्य देश। हमने 1971 के युद्ध में तीसरे देश के रूप में भारत के खिलाफ अमेरिका की भूमिका को देख चुके है। यह भी हो सकता है कि भविष्य में तीसरे देश के रूप में हमारा कोई पड़ोसी देश हो। इसके अलावा भारत को अपनी खुफिया एजेंसियों को और मजबूत बनाने, भविष्य की नई रक्षा तकनीकों को अपनाने, पर्याप्त रक्षा सामग्रियों और ढ़ाचों का विकास करने और सैनिकों के भविषोंमुख प्रशिक्षण आदि पर ध्यान देना चाहिए। आर्थिक स्थिति भी युद्ध में बड़ी भूमिका निभाती है, तो इस पर भी ध्यान देना चाहिए। भारत को युद्ध या तनाव के हालातों में अपनी अंतर्रास्ट्रीय  कूटनीति को और मजबूत बनाने की जरूरत हैं ताकि अन्य देश उसके साथ खड़े रहे। 

मणिपुर के इंफाल में एक बार फिर विरोध प्रदर्शन क्यों शुरू हो गया है

मणिपुर सरकार ने शनिवार रात 11.45 बजे से पांच दिनों के लिए घाटी के पांच जिलों (इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग) में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं, जिसमें वीसैट (VSAT) और वीपीएन (VPN) भी शामिल है, को निलंबित करने का आदेश दिया है।

सरकार ने यह आदेश मैतेई समुदाय के अरम्बाई टेंगोल (AT) स्वयंसेवी संगठन के नेता कानन सिंह की गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद दिया है।

सरकार को इस बात की आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए तस्वीरें, अभद्र भाषा और नफरत भरे वीडियो संदेश प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसका राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है। 

सरकार ने कहा है कि आदेश का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 


क्या है पूरा मामला?

दरअसल इस विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि 2023 की भीषण जाति हिंसा ने तैयार किया है। 2023 में मैतेई और कुकी जनजातियों के बीच भीषण जाति हिंसा हुए। इस हिंसा में शामिल अपराधियों को प्रशासन गिरफ्तार कर रही है। 

हाल ही में, कुकी जनजाति के एक संदिग्ध को प्रशासन ने सीमावर्ती शहर मोरेह से गिरफ्तार किया था। इस पर अक्टूबर 2023 में एक पुलिस अधिकारी की स्नाइपर राइफल से हत्या करने का आरोप था। इसकी गिरफ्तारी के विरोध में कुकी जनजातीय ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। 

कुकी समुदाय ने मणिपुर पुलिस अधिकारी संगठन चिंगथम की हत्या के मामले में आरोपी 'कामगिनथांग गंगटे' की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी का आरोप लगाया और मोरेह स्थित टैंगोपाल जिले में बंद का आह्वाहन किया।

इसी बीच प्रशासन ने मैतेई संगठन (AT) के नेता कानन सिंह को गिरफ्तार कर लिया, जिसके विरोध में AT के युवा सदस्यों ने मणिपुर की राजधानी इम्फाल में प्रदर्शन कर रहे हैं।

इन प्रदर्शनों के देखते हुए किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन ने मोबाइल सेवाओं को निलंबित करने का फैसला लिया।


मणिपुर में जाति हिंसा का इतिहास

मणिपुर में जातीय हिंसा का इतिहास जटिल, गहरा और लंबे समय से चला आ रहा है। यह मुख्यतः मैतेई, नागा और कुकी समुदायों के बीच पहचान, भूमि अधिकार, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सांस्कृतिक वर्चस्व को लेकर टकराव का परिणाम है।


 मणिपुर में जातीय हिंसा का इतिहास (विस्तार से)

1. प्रमुख समुदाय कौन हैं?

समुदाय धर्म क्षेत्र विशेषताएँ
मैतेई हिंदू/सनातन इंफाल घाटी      बहुसंख्यक (राजनीतिक व प्रशासनिक दबदबा)
कुकी ईसाई                पहाड़ी क्षेत्र      आदिवासी पहचान, ST दर्जा प्राप्त
नागा ईसाई पहाड़ों में      अलग नागालिम की माँग, NSCN आंदोलन

2. प्रारंभिक टकराव और पृष्ठभूमि

  • 1980–90 का दशक: उग्रवादी संगठन जैसे UNLF, PLA, NSCN (IM) ने अलग मणिपुर/नागालैंड की माँग की। इस समय तक मणिपुर में अफस्पा लागू हो चुका था।

  • मैतेई बनाम नागा और कुकी: घाटी में रहने वाले मैतेई लोगों को लगता रहा कि राज्य की राजनीतिक ताकत उन्हीं के हाथ में होनी चाहिए, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों के कुकी व नागा समुदायों ने स्वायत्तता की माँग तेज की।


3. 1990 के दशक में मैतेई-कुकी टकराव

  • 1993 में भीषण दंगे हुए थे:

    • कुकी और नागा उग्रवादियों के बीच हिंसा हुई।

    • हजारों लोग मारे गए और हज़ारों विस्थापित हुए।

    • इससे कुकी-नागा संबंध भी लंबे समय के लिए खराब हो गए।


4. 2023 की सबसे बड़ी जातीय हिंसा

    पृष्ठभूमि:

  • मैतेई समुदाय ने ST (अनुसूचित जनजाति) दर्जा माँगा, जिससे कुकी और नागा समुदायों में आक्रोश हुआ।

  • 3 मई 2023 को, “ट्राइबल यूनिटी मार्च” के दौरान कुकी समुदाय ने इसका विरोध किया।

  • इसके बाद घाटी और पहाड़ों में सांप्रदायिक दंगे फैल गए।

  हिंसा का असर:

  • 200+ लोग मारे गए, 50,000+ लोग विस्थापित हुए।

  • हजारों घर, चर्च, मंदिर जलाए गए।

  • महिलाओं के साथ अत्याचार (जैसे कि वायरल हुआ नग्न परेड कांड) ने पूरे देश को झकझोर दिया।


5. राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

  • राज्य में भाजपा सरकार (मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह – मैतेई समुदाय से) है।

  • आरोप लगे कि सरकार ने मैतेई पक्ष को बचाव दिया, जिससे कुकी समुदाय में गहरी असंतोष की भावना उत्पन्न हुई।


6. वर्तमान स्थिति (2024-2025 तक)

  • मणिपुर दो भागों में बँट गया है – घाटी (मैतेई बहुल) और पहाड़ (कुकी बहुल)।

  • बीच का विश्वास टूट गया है। कई लोग अपने घर नहीं लौट पाए हैं।

  • अक्सर हिंसा के बाद इंटरनेट बंद, कर्फ्यू, और आर्मी फ्लैग मार्च आम बात हो गई है।


क्यों यह हिंसा बार-बार भड़कती है?

कारण विवरण
🌐 भूमि अधिकार                   मैतेई पहाड़ी क्षेत्र में ज़मीन नहीं ले सकते, कुकी-नागा घाटी में नहीं
🧾 ST दर्जा विवाद मैतेई चाहते हैं आरक्षण, कुकी-नागा इसका विरोध करते हैं
⛳ पहचान की लड़ाई   हर समूह अपनी भाषा, संस्कृति, और क्षेत्रीय पहचान को प्राथमिकता देता है
🏛️ प्रशासनिक पक्षपात कुकी समुदाय का आरोप है कि राज्य सरकार मैतेई पक्षपाती है
🔫 उग्रवादी संगठन अब भी कई हथियारबंद गुट सक्रिय हैं, जो शांति प्रक्रिया में बाधा हैं

निष्कर्ष:

मणिपुर की जातीय हिंसा सिर्फ वर्तमान राजनीति या घटनाओं का नतीजा नहीं है। यह दशकों पुराने पहचान, भूमि, आरक्षण और प्रशासनिक असमानता की लड़ाई का विस्तार है। समाधान तभी संभव है जब सभी समुदायों के बीच विश्वास बहाल हो, और निष्पक्ष शासन व संवाद को बढ़ावा मिले।


यूक्रेन ने रूस के भीतर अब तक का सबसे साहसी और सुनियोजित ड्रोन हमला कर 'ऑपरेशन स्पाइडर वेब' को अंजाम दिया

 यूक्रेन ने 1 जून 2025 को रूस के अंदर एक अभूतपूर्व और साहसी सैन्य अभियान "ऑपरेशन स्पाइडर वेब" (Operation Spider Web) को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में यूक्रेनी सुरक्षा सेवा (SBU) ने रूस के पांच रणनीतिक वायुसेना अड्डों पर एक साथ ड्रोन हमले किए, जिससे रूस की लंबी दूरी की बमवर्षक क्षमताओं को गंभीर क्षति पहुँची।


ऑपरेशन स्पाइडर वेब: कैसे हुआ अंजाम?

इस ऑपरेशन की योजना 18 महीने से अधिक समय तक बनाई गई थी और इसे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की की निगरानी में SBU प्रमुख वासिल मलयुक ने संचालित किया। 117 फर्स्ट-पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन को रूस के अंदर लकड़ी के कंटेनरों में छिपाकर ट्रकों के माध्यम से तैनात किया गया। इन कंटेनरों की छतें रिमोट से खोली गईं और ड्रोन को सीधे लक्ष्यों की ओर उड़ाया गया। हमले से पहले सभी यूक्रेनी एजेंटों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाल लिया गया था।


किन ठिकानों पर हुए हमले?

हमले के लक्ष्य रूस के पाँच प्रमुख वायुसेना अड्डे थे:

  • बेलाया एयरबेस (इर्कुत्स्क के पास, साइबेरिया)

  • ड्यागिलेवो एयरबेस (रियाज़ान क्षेत्र)

  • इवानोवो-सेवर्नी एयरबेस (इवानोवो क्षेत्र)

  • ओलेन्या एयरबेस (मुरमांस्क क्षेत्र)

  • यूक्रेनका एयरबेस (अमूर क्षेत्र, सुदूर पूर्वी रूस)

इन हमलों में रूस के Tu-95, Tu-160, Tu-22M3 जैसे रणनीतिक बमवर्षकों और A-50 जैसे प्रारंभिक चेतावनी विमानों को निशाना बनाया गया। यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, 41 विमान नष्ट या क्षतिग्रस्त हुए, जबकि ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) विश्लेषकों ने कम से कम 13 विमानों के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि की है।


रूस को कितना नुकसान हुआ?

  • यूक्रेन का दावा है कि रूस के क्रूज़ मिसाइल ले जाने वाले विमानों के 34% को निष्क्रिय कर दिया गया।

  • हमलों से रूस को लगभग 7 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।

  • रूस की लंबी दूरी से मिसाइल हमले करने की क्षमता पर तत्काल प्रभाव पड़ा है।

  • कुछ विमान जैसे Tu-95 और Tu-22M3 पुराने हैं और उनका उत्पादन बंद हो चुका है, जिससे उनकी भरपाई मुश्किल होगी।


रूस की प्रतिक्रिया और संभावित कदम

  • रूस ने इन हमलों को "आतंकवादी हमला" करार दिया है और दावा किया है कि तीन क्षेत्रों में हमलों को विफल कर दिया गया।

  • रूसी मीडिया और सैन्य विश्लेषकों ने सुरक्षा विफलताओं पर तीखी आलोचना की है।

  • कुछ रूसी प्रचारकों ने अब "रणनीतिक परमाणु प्रतिक्रिया" की मांग की है।

  • रूस ने जवाबी कार्रवाई में यूक्रेन पर ड्रोन और मिसाइल हमले तेज कर दिए हैं।


शांति वार्ता और कूटनीतिक स्थिति

हमलों के तुरंत बाद इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता हुई, लेकिन यह वार्ता केवल एक घंटे में समाप्त हो गई। यूक्रेन ने रूस से कोई क्षेत्रीय रियायत देने से इनकार किया और ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि "पुतिन को कुछ नहीं मिलेगा"। हालांकि, दोनों पक्षों ने मानवीय मुद्दों पर जैसे कैदियों और सैनिकों के शवों की अदला-बदली पर सहमति जताई।


निष्कर्ष

"ऑपरेशन स्पाइडर वेब" यूक्रेन की सैन्य रणनीति में एक मील का पत्थर है, जिसने रूस की वायु शक्ति को गहरा आघात पहुँचाया है। यह ऑपरेशन न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। रूस की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति पर दुनिया की नजरें टिकी हैं।

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 'छद्म युद्ध' (Proxy War) को लेकर पाकिस्तान पर लगाया 'गम्भीर' आरोप

हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भुज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को एक 'छद्म युद्ध' (Proxy War) के रूप में नहीं बल्कि एक 'सुनियोजित युद्धनीति' के रूप में अपनाया गया है।

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अशांति उत्पन्न करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों को वित्त पोषण, प्रशिक्षण और हथियार देकर भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर का उपयोग करता है।

हालांकि, उन्होंने इसे लेकर पाकिस्तान को कड़े शब्दों में सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत अब इसे उसी तरह से जवाब देगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार और सेना आतंकवाद को अपनी रोजी-रोटी बना चुकी है। उन्होंने पाकिस्तान के नागरिकों से अपील की कि वह शांति का रास्ता चुने अन्यथा भारत की 'गोली' तैयार है। 

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत अब आतंकवाद पर चुप नहीं बैठेगा और ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों को जन आंदोलन में बदलने की प्रतिबद्धता जताई।



प्रॉक्सी वॉर क्या है?

यह ऐसा संघर्ष होता है, जिसमें कोई देश स्वयं सीधे तौर पर शामिल नहीं होता, लेकिन गैर-राज्य अभिकर्ताओं (जैसे आतंकी संगठन, जासूस आदि) को समर्थन देकर दूसरे देश को नुकसान पहुंचाता है।

यह हाइब्रिड वॉरफेयर का एक उप-समूह है, जिसमें पारंपरिक सैन्य रणनीति और अपरंपरागत तरीकों का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अक्सर साइबर वॉरफेयर, आतंकवाद (प्रॉक्सी वॉर) आदि शामिल होते हैं।

प्रॉक्सी वॉर के साधन

इसमें गैर-राज्य अभिकर्ताओं को प्रशिक्षण और सैन्य सहायता देना; आर्थिक सहायता प्रदान करना; खुफिया जानकारी साझा करना; सोशल मीडिया का उपयोग करना (जैसे, गलत सूचना प्रसार); साइबर टूल्स आदि शामिल हैं।


प्रॉक्सी वार (Proxy War) का भारत पर प्रभाव

1. संप्रभुता को चुनौती

उदाहरण के लिए- पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन और सहायता देकर इस पर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की निर्रथक कोशिश करता रहता है।

2. हिंसा और जान-माल की हानि

उदाहरण के लिए- पाकिस्तान की तरह चीन भी पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवादी समूहों को अप्रत्यक्ष समर्थन देता हैं, जिसके कारण बड़ी संख्या में आम नागरिक और सैन्य कर्मी हताहत हुए हैं।

3. आर्थिक बोझ

Proxy War के चलते भारत को सुरक्षा पर अधिक व्यय करना पड़ता है, जिससे सामाजिक अवसंरचना पर व्यय हेतु धन की उपलब्धता कम हो जाती है।


प्रॉक्सी वॉर (Proxy War) के पीछे के कारण

पाकिस्तान भारत के खिलाफ क्यों लड़ता रहता है?

पाकिस्तान का भारत के खिलाफ लड़ने के पीछे कई कारण है:
  • 1971, 1999 जैसे कई युद्धों में पाकिस्तान की हार
  • ब्लूचिस्तानी अगववादियों को भारत पर समर्थन देना का आरोप
  • भारत का आर्थिक, सैन्य, और तकनीकी विकास
  • अमेरिका और चीन जैसे देशों का पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष समर्थन
  • जम्मू कश्मीर का विकास और शांति तथा पाकिस्तान का हिस्सा न बनना, आदि।

पाकिस्तान proxy war पर ही जोर क्यों देता है?

  • अपनी भागीदारी का खंडन करना: इसमें प्रत्यक्ष दोषारोपण और अंतर्राष्ट्रीय परिणामों से बचना शामिल है।
  • छद्म रणनीतियांः खुफिया जानकारी एकत्र करना और प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना दूर से ही किसी देश में घटनाओं को अंजाम देना। उदाहरण के लिए- स्लीपर सेल (OGW) और हाल ही में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर (जैसे ज्योति मल्होत्रा आदि) का इस्तेमाल करने जैसे मामले सामने आए हैं। 
  • कम लागत व ज्यादा नुकसानः इसमें अपने सैनिकों की जान का कम नुकसान और आतंकियों पर कम खर्च करके दुश्मन देश को ज्यादा नुकसान पहुंचाना और उसकी युद्ध लागत को बढ़ाना शामिल है। उदाहरण के लिए- भारत के खिलाफ पाकिस्तान की "थाउसेंड कट्स" की रणनीति। यह रणनीति, भारत को हजार गांव से लहूलुहान करना पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत के विरुद्ध अपनाया जाने वाला एक सैन्य सिद्धांत है।


Proxy War के खिलाफ़ भारत द्वारा उठाए गए कदम

नया 3 स्तंभ सुरक्षा सिद्धांत

इसे हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री द्वारा घोषित किया गया है। इसमें प्रॉक्सी वॉर को भारत के खिलाफ प्रत्यक्ष युद्ध माना गया है।

सीमा प्रबंधन का आधुनिकीकरण

उदाहरण के लिए व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS), जिसमें नियंत्रण रेखा पर स्मार्ट फेंस (बाड़) लगाना, थर्मल इमेजिंग और मोशन सेंसर शामिल हैं।

साइबर सुरक्षा को मजबूत करना

जैसे Cert-in और NTRO की स्थापना।

अंतर्राष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल

उदाहरण के लिए- पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति का उपयोग करना।

अल्जीरिया आधिकारिक तौर पर न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) का 9वां सदस्य देश बना

हाल ही में, अल्जीरिया आधिकारिक तौर पर न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) का एक नया सदस्य देश बन गया है।

19 मई, 2025 को अल्जीरिया ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के समझौता अनुच्छेदों के प्रावधानों के अनुरूप अपना प्रवेश दस्तावेज (Instrument of Accession) जमा कर दिया।

इसके अलावा, न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) ने स्वच्छ ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रकों को कवर करने वाली 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर की निवेश परियोजनाओं को मंजूरी दी है। साथ ही, NDB की सदस्य संख्या में वृद्धि का भी निर्णय लिया गया है। इससे अन्य देशों के लिए निवेश के अवसर बढ़ेंगे।



न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के बारे ईमें

  • स्थापना: 2015
  • मुख्यालय: शंघाई (चीन)
  • अध्यक्ष: डिल्मा रूसेफ (Dilma Rousseff)
  • उतपत्ति: NDB की स्थापना के लिए ब्रिक्स (BRICS) के संस्थापक सदस्य देशों ने 15 जुलाई, 2014 को फोर्टलेजा (ब्राजील) में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए थे और बैंक ने 21 जुलाई 2015 को प्रचलन शुरू किया था।
  • उद्देश्य: यह एक बहूपक्षी विकास बैंक है। इसका उद्देश्य उभरते बाजारों और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाना है।
  • सदस्य: ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मिश्र और अल्जीरिया।
    • NDB के अनुच्छेद 2 के अनुसार इसकी सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए खुली है। इसमें ऋण लेने वाले और ऋण न लेने वाले दोनों सदस्य शामिल हैं।
    • उरुग्वे को इसके संभावित सदस्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसे NDB के बोर्ड आफ गवर्नर्स द्वारा मंजूरी दी गई है, लेकिन अपनी इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन जमा करने के बाद इसे आधिकारिक तौर पर सदस्य का दर्जा दिया जाएगा।
  1. पूंजी और शेयरधारिता: इसकी स्थापना 100 बिलियन डॉलर की प्रारंभिक अधिकृत पूंजी से की गई थी। इसके सभी पांच संस्थापक सदस्यों की इसमें कुल 50 बिलियन डॉलर की समान हिस्सेदारी है।
  • मतदान शक्ति: संस्थापक सदस्यों की संयुक्त मतदान शक्ति कम-से-कम 55% होगी।

भारत के लिए NDB का महत्व

2024 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में NDB द्वारा समर्थित 4.87 बिलियन डॉलर मूल्य की लगभग 20 परियोजनाएं चल रही है। इनमें परिवहन, जल संरक्षण आदि शामिल हैं।


अन्य प्रमुख क्षेत्रीय वित्तीय संस्थान

  • एशियाई विकास बैंक (ADB)
    • मुख्यालय: मनिला, फिलिपींस
    • स्थापना: 1966 
    • उद्देश्य: एशियाई और प्रशांत क्षेत्र में सामाजिक एवं आर्थिक विकास। क्षेत्रीय एकीकरण आदि। 
    • सदस्य: 69 (50 एशियाई क्षेत्र से और 19 क्षेत्र के बाहर से)। भारत भी सदस्य हैं।
  • एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB)
    • मुख्यालय: बीजिंग, चीन 
    • स्थापना: 2016 
    • उद्देश्य: मुख्य रूप से एशिया में वैश्विक पहुंच के साथ संधारणीय अवसंरचना और विकास परियोजनाओं को वित्त पोषित करना 
    • सदस्य: 110 अनुमोदित संपूर्ण (100 पूर्ण + 10 संभावित) सदस्य। भारत एक पूर्ण सदस्य है।
  • अफ्रीकी विकास बैंक (AfDB)
    • मुख्यालय: आबिदजान, कोट डी आइवरी
    • स्थापना: 1964 
    • उद्देश्य: पूरे अफ्रीका में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक आर्थिक विकास।
    • सदस्य: 54 अफ्रीकी देश और 27 गैर-अफ्रीकी देश (भारत सहित)।

क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं का समकालीन महत्व

सतत और समावेशी विकास: NDB सदस्य देशों को उनके सतत और समावेशी विकास में योगदान देता है।
अवसंरचना और निवेश संबंधी अंतराल को भरना: अवसंरचना के लिए दीर्घकालिक वित्त जुटाना, निजी निवेश को बढ़ावा देना और वित्त पोषण की कमी को दूर करना।
क्षेत्रीय एकीकरण और स्थिरता को बढ़ावा देना: सीमा पर सहयोग को सुगम बनाना। उदाहरण के लिए भारत ने NDB और AIIB का संस्थापक सदस्य होने के नाते दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत किया है।

ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को मिली अब तक की सबसे बड़ी सफलता

हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत काम कर रही बेंगलुरू की एक शोध टीम ने तेजी से चार्ज होने वाली और लंबे समय तक चलने वाली एक सोडियम-आयन बैटरी (SIB) विकसित की है। यह केवल 6 मिनट में 80% तक चार्ज हो सकती है और 3000 से अधिक चार्ज साइकिल तक चल सकती है।

बाईं तरफ फास्ट चार्जिंग बैटरी है जबकि दाहिने तरफ इससे शोधकर्ता  


यह भारत की सबसे बड़ी सफलता क्यों

पारंपरिक SIB बैटरियों की तुलना में यह अधिक तेज चार्जिंग और लंबे समय तक चलती हैं। ऊर्जा की बढ़ती मांगों के बीच यह किफायती, तेज और सुरक्षित बैटरी हैं। हालांकि लिथियम आयन बैटरी अब तक इस मांग को पूरा करती आ रही हैं, लेकिन इसकी कम उपलब्धता और अधिक लागत इसके उपयोग को महंगी बनाती हैं। 

भारत में सोडियम किफायती और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जबकि लिथियम दुर्लभ है और व्यापक रूप से इसका आयात किया जाता है। लीथियम के बजाय सोडियम के माध्यम से बनी बैटरी देश को ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनने में मदद कर सकती है, जो भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन का एक प्रमुख लक्ष्य है। 

सोडियम आयन बैटरियां सभी को ऊर्जा प्रदान कर सकती है जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ग्रिडों, ड्रोनों और ग्रामीण घरों तक।

सोडियम-आयन बैटरी (SIB) के बारे में

परिभाषाः यह एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी है, जो लिथियम बैटरी की तरह काम करती है। हालांकि, इसमें लिथियम आयनों (Li+) की बजाय सोडियम आयनों (Na+) का उपयोग किया जाता है।

सोडियम-आयन बैटरी (SIB) कैसे काम करती है?

डिस्चार्ज के समयः सोडियम आयन एनोड (ऋणात्मक इलेक्ट्रोड) से कैथोड (धनात्मक इलेक्ट्रोड) की ओर जाते हैं, जहां ये आयन जमा होते हैं और रिडक्शन प्रक्रिया संपन्न होती है।

ये आयन इलेक्ट्रोलाइट (एक विद्युत कंडक्टर) के माध्यम से गमन करते हैं। ये इलेक्ट्रोलाइट विभवांतर (Potential difference) उत्पन्न करके विद्युत प्रवाह को संभव बनाते हैं।

रिचार्ज के दौरानः सोडियम आयन एनोड पर वापस लौट आते हैं।


लिथियम-आयन बैटरी (LIBs) की तुलना में सोडियम-आयन बैटरी (SIBs) के लाभः

लागतः SIBs की लागत तुलनात्मक रूप से कम होती है। सोडियम के यौगिक लिथियम से सस्ते होते हैं, जिससे बैटरी की कुल लागत 15% से 20% तक कम हो सकती है।

आपूर्ति श्रृंखला का विकेन्द्रीकरणः सोडियम धरती पर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे इसका उत्पादन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हो सकता है। इससे भू-राजनीतिक जोखिम का असर कम हो जाता है।

उदाहरण के लिए - 2023 तक वैश्विक लिथियम प्रसंस्करण में चीन की लगभग 60% हिस्सेदारी थी। यह स्थिति लिथियम आपूर्ति श्रृंखलाओं में मौजूद केन्द्रीयता को उजागर करती है जिसमें SIBs विविधता लाने में मदद कर सकती है।

प्रौद्योगिकी: SIBs वस्तुतः LIBs की तुलना में ज्यादा और कम, दोनों तापमान पर काम कर सकती है। इसलिए, तापमान में अधिक भिन्नता वाले क्षेत्रों में भी इनका सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है।

सुरक्षाः SIBs का परिवहन शून्य वोल्टेज (पूरी तरह डिस्चार्ज) पर भी किया जा सकता है। इससे LIBs की तुलना में आग लगने का जोखिम कम होता है और सुरक्षा उपायों की लागत भी कम होती है।

ऑपरेशन शिवा

हाल ही में, भारतीय सुरक्षा बलों ने अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए 'ऑपरेशन शिवा' शुरू किया।

यह ऑपरेशन पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए शुरू किया गया है।

श्रीअमरनाथ जी गुफा के बारे में

अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पवित्र अमरनाथ गुफा में हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाले हिम शिवलिंग यानी बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं।

यह भगवान शिव के लिंग स्वरूप यानी शिवलिंग का प्रतीक है।

इस गुफा में बर्फ से बने दो स्टैलेग्माइट देवी पार्वती (भगवान शिव की पत्नी) और भगवान गणेश (उनके पुत्त्र) का प्रतीक माने जाते हैं।

अमरनाथ यात्रा श्रावण माह में शुरू होती है, जब बर्फ का लिंगम पूर्ण आकार में होता है।

इस तीर्थयात्रा की उत्पत्ति का उल्लेख संस्कृत ग्रंथ “बृंगेश संहिता” में मिलता है।




भारत और यूनाइटेड किंगडम ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किए

हाल ही में, भारत और यूनाइटेड किंगडम ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किए।

यह एक व्यापक समझौता है, जो लगभग 3 वर्षों की लंबी वार्ता प्रक्रिया के बाद संपन्न हुआ है।


भारत-यूनाइटेड किंगडम FTA की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर

टैरिफ का उन्मूलनः भारत को लगभग 99 प्रतिशत टैरिफ लाइन्स पर टैरिफ उन्मूलन से लाभ होगा, यह लगभग 100 प्रतिशत व्यापार मूल्य को कवर करेगा।

वर्तमान में, दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार लगभग 60 बिलियन अमरीकी डॉलर है।

पेशेवरों के आवागमन को आसान बनानाः इसमें निवेशक, राइट टू वर्क के साथ किसी एक देश से दूसरे देश में ट्रांसफर होने वाला कंपनी का कर्मचारी और उसके जीवन-साथी एवं आश्रित बच्चे, इंडिपेंडेंट प्रोफेशनल्स आदि शामिल हैं।

दोहरा अंशदान अभिसमयः यूनाइटेड किंगडम में अस्थायी रूप से कार्यरत भारतीय श्रमिकों और उनके नियोक्ताओं को तीन वर्षों तक यूनाइटेड किंगडम में सामाजिक सुरक्षा अंशदान के भुगतान से छूट प्रदान की गई है।

प्रतिभाशाली और कुशल युवाओं के लिए अवसरः इससे यूनाइटेड किंगडम की डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं एवं उन्नत डिजिटल अवसंरचना से लाभ मिलेगा।

निर्यात के अवसरः वस्त्र, समुद्री उत्पाद, चमड़ा, जूते, इंजीनियरिंग गुड्स, ऑटो पार्ट्स, जैविक रसायन जैसे क्षेत्रकों के लिए निर्यात के अवसर बढ़ने से उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी।

सेवाओं का लाभः जैसे IT/ ITeS, वित्तीय सेवाएं आदि नए अवसर और रोजगार प्रदान करेंगे।

अन्यः गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करना, बेहतर विनियामकीय पद्धतियों को बढ़ावा देना आदि।


मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में

अर्थः यह एक ऐसा समझौता है, जो देशों या क्षेत्रीय समूहों के बीच व्यापार बाधाओं को कम या समाप्त करता है और व्यापार को बढ़ावा देता है।

वर्तमान में भारत के जापान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, सिंगापुर, ASEAN, मलेशिया आदि देशों के साथ FTAs हैं।

दायराः यह आमतौर पर वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार को कवर करता है, लेकिन इसमें बौद्धिक संपदा अधिकार (IP), निवेश, सरकारी खरीद और प्रतिस्पर्धा नीति जैसे विषय भी शामिल हो सकते हैं।

इसरो (ISRO) गगनयान मिशन को लॉन्च करने का समय बता दिया

हाल ही में, इसरो (ISRO) के प्रमुख ने कहा कि 2027 की पहली तिमाही में गगनयान मिशन को लॉन्च करेगा।

टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) और पहले मानवरहित टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन की सफल समाप्ति ने आगामी परीक्षण कार्यक्रम के लिए मजबूत आधार तैयार किया है।

दूसरा टेस्ट व्हीकल मिशन (TV-D2) इसके बाद होगा, और फिर मानवरहित ऑर्बिटल उड़ानें होंगी।

पहले मानवरहित मिशन पर महिला रोबोट 'व्योममित्र' (गाइनॉयड) को भेजा जाएगा।


गगनयान मिशन के बारे में

उद्देश्यः गगनयान परियोजना का उद्देश्य मानवयुक्त अंतरिक्ष-उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना है। इस मिशन के तहत 3 सदस्यों के चालक दल को 400 कि.मी. की ऊंचाई पर स्थित निम्न भू-कक्षा में भेजा जाएगा। इस मिशन की अवधि 3 दिन है। उन्हें सुरक्षित रूप से समुद्र में वापस उतारा जाएगा।


गगनयान मिशन के घटक

प्रक्षेपण यान मार्क-3 (LVM-3): पहले इसे भूतुल्यकालिक प्रक्षेपण यान-मार्क III या GSLV-MK3 कहा जाता था। यह तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। ये तीन चरण हैं:

  • पहला चरणः दो ठोस ईंधन बूस्टर कोर रॉकेट से जुड़े होते हैं।
  • दूसरा चरणः इसमें दो विकास-2 तरल ईंधन इंजन होते हैं।
  • तीसरा चरण: इसमें CE-20 क्रायोजेनिक इंजन होता है, जो ईंधन और ऑक्सीडाइज़र के रूप में क्रमशः तरल हाइड्रोजन एवं तरल ऑक्सीजन का उपयोग करता है।

ऑर्बिटल मॉड्यूलः इसका वजन 8.2 टन है और इसे LVM-3 रॉकेट द्वारा निम्न भू-कक्षा में लॉन्च किया जाता है। इसमें दो मुख्य भाग होते हैं:

  1. क्रू मॉड्यूलः

  • इसमें तीन अंतरिक्ष यात्री एक सप्ताह तक रह सकते हैं। 

  • यह पैराशूट सिस्टम से लैस है, जो पृथ्वी पर वापसी के समय सुरक्षित और नियंत्रित लैंडिंग में मदद करता है। 

  • इसमें पर्यावरण नियंत्रण और जीवन रक्षक प्रणाली (ECLSS) होती है। 

  • यह तापमान, हवा की गुणवत्ता, अपशिष्ट और आग पर नियंत्रण रखती है। 

  • इसमें एक क्रू एस्केप सिस्टम होता है, जो रॉकेट लॉन्च के दौरान किसी खराबी की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करता है। 

2. सर्विस मॉड्यूलः 

  • यह ऑर्बिटल मॉड्यूल को आगे बढ़ाने के लिए प्रणोदन प्रदान करता है, जब वह रॉकेट से अलग हो जाता है। 

  • यह मॉड्यूल को पृथ्वी की ओर वापस लाने के लिए गति प्रदान करता है।


संयुक्त राज्य अमेरिका के रष्ट्रपति ने कुख्यात अल्कट्राज जेल का पुनर्निर्माण करने के आदेश दिए

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने कुख्यात अल्कट्राज जेल का पुनर्निर्माण करने और उसे फिर से खोलने का निर्देश दिया है।

इस जेल को अब फिर से खतरनाक और हिंसक अपराधियों को रखने के लिए उपयोग में लाया जाएगा। यह जेल अल्कट्राज द्वीप पर स्थित है।



अल्कट्राज द्वीप के बारे में

अवस्थितिः यह कैलिफोर्निया की सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी में (संयुक्त राज्य अमेरिका) स्थित है।

विशेषताएं: यह एक लघु निर्जन द्वीप है, जिसे आमतौर पर "द रॉक" (The Rock) कहा जाता है। पहले इसे एक किले के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। बाद में इसे मिलिट्री जेल, और फिर उच्च सुरक्षा वाली संघीय जेल के रूप में उपयोग किया गया।

यह द्वीप कोरमोरेंट्स, वेस्टर्न गुल जैसे समुद्री पक्षियों तथा कई अन्य जीव-जंतुओं जैसे कि डियर माउस, स्लेंडर सैलामैंडर जैसी प्रजातियों का प्राकृतिक पर्यावास भी है।

वर्तमान में यह एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है और इसे राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।


पहलगाम आतंकी हमला और भारत के प्रधानमंत्री मोदी की बिहार की रैली में दिए गए चेतावनी से उपजे सवालों का अभी तक जवाब नहीं मिला

हाल ही में, भारत के केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में एक बहस के दौरान बताया कि भारतीय सेना के एक संयुक्त अभियान (ऑपरेशन महादेव) में त...