उत्तर प्रदेश पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने की आयोग के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने मचाया बवाल

उत्तर प्रदेश PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा और RO/ ARO 2023 की प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने के UPPSC के फैसले को लेकर मचे बवाल के बीच प्रतियोगी छात्रों ने कई सवाल उठाए हैं। प्रतियोगी छात्रों का तर्क है कि जिस आयोग की भर्तियों की जांच CBI कर रही हो और जिसके ऊपर High Court में PCS-J जैसी प्रारंभिक परीक्षा की कॉपी बदलने और हेरफेर के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके मानकीकरण (Normalization) पर भरोसा क्यों और कैसे करें।



PCS 2024 के विज्ञापन में दो पालियों में पेपर आयोजित करने तथा मानकीकरण का कोई उल्लेख नहीं है। यह तब है जबकि Supreme Court की संवैधानिक पीठ का निर्णय है कि खेल का नियम बीच में नहीं बदला जा सकता है, यहां तो पूरा खेल ही बदल जा रहा है। पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक सी-सैट का पेपर होता है, जो क्वालीफाइंग प्रकृति का होता है। इस पेपर में नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) कैसे होगा, इस पर आयोग मौन है। प्रारम्भिक परीक्षा में अभ्यर्थियों को न तो उनका स्कोरकार्ड दिया जाता है और न ही आयोग की तरफ से फाइनल उत्तरकुंजी जारी की जाती है।

ऐसे में अभ्यर्थियों को न तो उनका अनुमानित अंक (रॉ स्कोर) पता होगा, न ही विवादित या हटाए गए प्रश्नों की संख्या। लोक सेवा आयोग को पहले से ही रिकॉर्ड न रखने, गलत प्रश्न बनाने, उत्तर कुंजी जारी न करने, समय पर अंकपत्र जारी न करने इत्यादि को लेकर अनेक मामलों में उच्च न्यायालय फटकार लगा चुका है। आयोग की सत्यनिष्ठा खुद ही कठघरे में है। ऐसे में आयोग नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से कैसे लागू करेगा, इसको लेकर अभ्यर्थी चिंतित हैं। छात्रों का तर्क है कि संघ लोकसेवा आयोग या अन्य कोई राज्य लोक सेवा आयोग जब इतने बड़े स्तर पर प्रक्रिया में बदलाव करते हैं तो उसकी सूचना एकाध वर्ष पहले ही दे देते हैं। यहां न किसी विशेषज्ञ से राय ली गई और न ही अभ्यर्थियों को इसकी पूर्व सूचना थी।

UPPSC अपना स्तर UPSC के बराबर करें

अभ्यर्थियों का तर्क है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को अपना स्तर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के बराबर करना चाहिए न कि खुद को Bank, SSC, Railway, Police जैसी परीक्षा की नकल करनी चाहिए। दो शिफ्ट में परीक्षा कराना सरकार की नीतियों के खिलाफ है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी आदेश में पीसीएस जैसी विशिष्ट श्रेणी की परीक्षा को एक ही शिफ्ट में कराने पर सैद्धांतिक सहमति लिखित रूप में व्यक्त की गई थी। सरकार ने 19 जून 2024 के शासनादेश से पीसीएस की परीक्षा को मुक्त रखा है जिसमें परीक्षा केंद्रों के लिए कुछ मानक (जैसे परीक्षा केंद्रों की दूरी कलेक्ट्रेट से 10 किमी के भीतर हो) तय किए गए हैं। आखिर प्रदेश के केवल 41 जिलों में ही प्रारंभिक परीक्षा क्यों कराई जा रही है सभी जिलों में क्यों नहीं। लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, प्रयागराज, मेरठ, झांसी जैसे शहर दूर तक फैले हुए हैं, यहां परीक्षा केंद्रों के लिए दस किलोमीटर की सीमा बेमानी है।

प्रणाली में पारदर्शिता और स्पष्टता का अभाव

प्रतियोगी छात्रों का तर्क है कि आयोग की ओर से प्रस्तुत प्रणाली में पारदर्शिता और स्पष्टता का अभाव है। मानकीकरण का फॉर्मूला यूपीपीएससी ने किसी दूसरी परीक्षा से कॉपी किया है, स्वयं तैयार नहीं किया है। यूपीपीएससी की परीक्षा तीन चरणों में होती है। अक्सर मानकीकरण की प्रक्रिया वहां अपनाई जाती है जहां परीक्षा में प्राप्त अंकों से अंतिम मेरिट सूची तैयार की जाती है, जबकि यूपीपीएससी की यह परीक्षा एक स्क्रीनिंग परीक्षा है। यदि मानकीकरण कारगर होता तो संघ लोक सेवा आयोग बहुत पहले इसे लागू कर चुका होता। पीसीएस/आरओ/एआरओ में 150-600 के बीच पद होते हैं। मानकीकरण के कारण अनेक योग्य अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे।

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बुककीपिंग: अपने वित्तीय रिकॉर्ड को व्यवस्थित रखें और नियमित रूप से अपडेट करें।


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फीडबैक: ग्राहकों से फीडबैक लें और उसके अनुसार अपने उत्पादों और सेवाओं में सुधार करें।

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इन सभी चरणों का पालन करके, आप अपने ऑनलाइन कपड़ों के बिजनेस को सफलतापूर्वक स्थापित और प्रबंधित कर सकते हैं।

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत

हाल ही में, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उनके विदेश मंत्री की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई है। इस दुर्घटना में राष्ट्रपति समेत कुल 9 लोगों की मौत हुई है।



यह घटना तब घटी जब रविवार को अज़रबैजान में किज कलासी और खोदाफरिन बांध का उद्घाटन करके तबरेज (पूर्वी अज़रबैजान प्रांत की राजधानी) लौट रहे थे। हालांकि उनके मौत की पुष्टि सोमवार को मलबा मिलने के बाद हुई।

बताया जाता है कि जहां पर हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था वहां मौसम काफी खराब था।


साजिश की आशंका

हालाँकि ईरानी सोशल मीडिया पर हेलीकॉप्टर क्रैश के पीछे साजिश होने की आशंका जताई जा रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह कैसे संभव है कि काफिले के दो हेलीकॉप्टर सुरक्षित पहुंच गए जबकि केवल रईसी का हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ है। 

अमेरिका के एक सीनेटर का कहना है कि मेरी अमेरिकी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से बातचीत हुई है, लेकिन उनके अनुसार साजिश के किसी सबूत की जानकारी नहीं है।


ईरान का खराब एविएशन सुरक्षा

अभी तक हेलीकॉप्टर क्रैश होने की वजह के बारे में पता नहीं चला है। लेकिन ईरान का एयर ट्रांसपोर्ट की सुरक्षा का रिकॉर्ड काफी खराब है। इसकी एक वजह कई दशकों से लगाए जा रहे अमेरिकी प्रतिबंधों को माना जा रहा है। इन प्रतिबंधों के कारण ईरान का एविएशन सेक्टर कमजोर हुआ है।

आपको बता दें कि रईसी 'बेल 212' हेलीकॉप्टर पर सवार थे जो अमेरिका में बना था।

अतीत में ईरान के कई बड़े मंत्रियों और अधिकारियों की मौत प्लेन या हेलीकाप्टर दुर्घटना से हुई है। इसमें शामिल है- रक्षा और यातायात मंत्री, थल और वायु सेना के कमांडर।


क्या सच में अगला विश्वयुद्ध जल के मुद्दे पर होंगे?

हाल ही, में संयुक्त राष्ट्र ने 'विश्व जल विकास रिपोर्ट, 2024' जारी की है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि, "इस बात का कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि अगला युद्ध जल के मुद्दे पर होंगे।"

इस वर्ष की रिपोर्ट 'समृद्धि और शांति के लिए जल' विषय पर केंद्रित है।


रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

जल संसाधनों की वर्तमान स्थिति

  • कृषि क्षेत्रक लगभग 70% ताजे जल की खपत के लिए जिम्मेदार है। पिछले 60 वर्षों में चाड झील 90% तक सिकुड़ गई है। हालांकि, साझा सतही जल पर सहयोग बढ़ रहा है, लेकिन भूजल संसाधन संरक्षण की अभी भी गंभीर उपेक्षा की जा रही है।


2030 तक "सभी के लिए जल" से संबंधित सतत विकास लक्ष्य (SDG)-6 हासिल करना चुनौतीपूर्ण है। दुनिया की 50% आबादी साल के किसी न किसी समय गंभीर जल संकट का सामना करती है। उत्तर-पश्चिम भारत और उत्तरी चीन खाद्य उत्पादन के लिए पानी की उपलब्धता से संबंधित जोखिमों के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन हॉटस्पॉट्स में शामिल हैं।

जल और समृद्धि के बीच विरोधाभास के मौजूद होने से सभी के लिए जल उपलब्ध करा पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। हम सभी जानते हैं कि विकसित जल संसाधन अवसंरचना से संवृद्धि और समृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, ऐसी अवसंरचना केवल सबसे अमीर देश ही वहन कर सकते हैं।

रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशेंः 

जल संसाधनों का संधारणीय प्रबंधन निम्नलिखित उपायों द्वारा सुनिश्चित किया जा सकता है:

  • सीमा-पार जल समझौते किए जाने चाहिए।
  • जल अवसंरचना में निजी निवेश बढ़ाया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार जल तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए 2030 तक लगभग 114 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक निवेश की आवश्यकता होगी।
  • उद्योगों में वस्तु उत्पादन को जल संसाधन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, टाटा केमिकल्स ने पुनर्चक्रण और बेहतर जल प्रबंधन के माध्यम से एक वर्ष के भीतर भूजल के उपयोग में 99.4% की कटौती की।

जल का "शांति और समृद्धि" से संबंध

जल और शांतिः 

जल संकट के निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं-

  • स्थानीय विवादों में वृद्धि जैसा कि अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में देखा जा रहा है।
  • अधिक प्रवासन से बसाहट वाले क्षेत्रों में तनाव बढ़ सकता है।
  • खाद्य असुरक्षा बढ़ सकती है।

जल और समृद्धिः

  • जल पर्यावरण को प्राकृतिक रूप में बनाए रखने में मदद करता है।
  • निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों में लगभग 70-80% रोजगार जल पर निर्भर हैं।
  • पानी समावेशी विकास के लिए महत्वपूर्ण है। लड़कियां और महिलाएं जल संकट का सामना सबसे पहले करती हैं, क्योंकि यह उनकी शिक्षा, आर्थिक भागीदारी और सुरक्षा को प्रभावित करता है।

UPSC सफलता की कहानी: चीनी मिल से सफलता तक, IAS अंकिता चौधरी की प्रेरक यात्रा, UPSC में AIR-14

'सफलता की कहानी' सीरीज के अंतर्गत आज मैं आप लोगों के लिए एक ऐसी लड़की की कहानी सुनाने जा रही हूँ जो हार और निराशा के बीच अदम्य साहस के साथ IAS बनी। उनका नाम है अंकिता चौधरी। वह एक चीनी मिल मजदूर की बेटी है। उन्होंने ने अपने दूसरे प्रयास में UPSC में AIR-14 हासिल की।

अपने पिता के अटूट समर्थन से, अंकिता ने यूपीएससी के लिए लगन से तैयारी की और 2017 में अपने पहले प्रयास में उपस्थित हुईं। हालांकि, वह असफल रहीं, जिससे उनके पास दो विकल्प बचे- या तो पढ़ाई छोड़ दें या अपनी गलती से सीखें और वापस आएं।

अंकिता चौधरी का एक चीनी मिल मजदूर की बेटी के रूप में साधारण शुरुआत से लेकर आईएएस अधिकारी के रूप में रैंक हासिल करने तक का सफर प्रेरणा की किरण के रूप में खड़ा है, जो कई महत्वाकांक्षी आत्माओं के लिए मार्ग को रोशन करता है। उनकी कहानी सिर्फ़ जीत की कहानी नहीं है, बल्कि मानवीय भावना के लचीलेपन का प्रमाण है, जो दिखाती है कि कैसे धैर्य और दृढ़ता से विपरीत परिस्थितियों में भी महानता का मार्ग बनाया जा सकता है।

हरियाणा के रोहतक के मेहम जिले में एक साधारण, निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंकिता का प्रारंभिक जीवन शैक्षणिक प्रतिभा से भरा हुआ था। एक दर्दनाक कार दुर्घटना में अपनी माँ की असामयिक मृत्यु के बाद त्रासदी के साये के बावजूद, अंकिता का हौसला अडिग रहा, जिसे उसके पिता के अटूट समर्थन से बल मिला। एक चीनी मिल में अकाउंटेंट के रूप में काम करते हुए, उन्होंने अंकिता में शिक्षा, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के मूल्यों को स्थापित किया, और सबसे बुरे दिनों में भी उसके सपनों को संजोया।

अंकिता की शैक्षणिक यात्रा उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के गलियारों से होते हुए ले गई, जहाँ उन्होंने रसायन विज्ञान में डिग्री हासिल की, इस दौरान उनके मन में भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रतिष्ठित रैंक में शामिल होने की उत्कट महत्वाकांक्षा थी। हालाँकि उन्होंने IIT दिल्ली में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू की, लेकिन उनका दिल IAS बनने के सपने को पूरा करने में दृढ़ रहा, और चुनौतियों के बीच भी उनकी एक लौ जलती रही।

अपनी माँ के निधन के बाद, अंकिता ने अपनी आकांक्षाओं के माध्यम से उनकी याद को सम्मान देने में सांत्वना और दृढ़ संकल्प पाया। अपने पिता के मार्गदर्शन और अपनी क्षमता में अटूट विश्वास के साथ, उन्होंने यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी की कठोर यात्रा शुरू की। यह रास्ता बिना किसी बाधा के नहीं था, क्योंकि 2017 में उनका पहला प्रयास निराशा में समाप्त हो गया था। फिर भी, प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए, अंकिता ने हार मानने के बजाय लचीलापन चुना, अपनी असफलताओं से ज्ञान प्राप्त करने और मजबूत बनने का संकल्प लिया।

शुरुआती असफलताओं से विचलित हुए बिना, अंकिता ने अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया, अपने संकल्प को उत्कृष्टता की निरंतर खोज में लगा दिया। उनकी सावधानीपूर्वक तैयारी और अटूट समर्पण ने उनके दूसरे प्रयास में फल दिया, क्योंकि उन्होंने 2018 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में एक प्रभावशाली अखिल भारतीय रैंक (AIR-14) प्राप्त करते हुए नई ऊंचाइयों को छुआ। उनकी जीत न केवल एक व्यक्तिगत जीत के रूप में है, बल्कि अदम्य मानवीय भावना के एक वसीयतनामे के रूप में है, जो अनगिनत अन्य लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने और सितारों तक पहुँचने के लिए प्रेरित करती है।

मुख्यमंत्री राहत कोष (CMRF) पर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का फैसला सही है या गलत

सुखियां

हाल ही में, भारत चुनाव आयोग (ECI) ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री रहस्य कोष (CMRF) से संबंधित एक अहम फैसला लिया है।



भारत के निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री राहत कोष से किए जाने वाले कुछ आपातकालीन कार्यों को आदर्श आचार संहिता के दायरे से मुक्त कर दिया है।

इस कोष का उद्देश्य बड़ी प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं आदि से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना है।


मुख्यमंत्री राहत कोष (CMRF)

प्रधान मंत्री राहत कोष के समान ही, यह कोष भी मुख्य रूप से सार्वजनिक और निजी संस्थानों, स्वैच्छिक संगठनों आदि से प्राप्त दान से संचालित होता है।

CMRF को दिए गए दान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80G के तहत आयकर से 100% छूट प्राप्त है।


आदर्श आचार संहिता 

यह भारत के चुनाव आयोग द्वारा सरकार और राजनीतिक दलों के लिए बनाया गया नियम है, जिसे सभी राजनीतिक दलों को मानना अनिवार्य है।

यह नियम चुनाव घोषणा की तिथि से लेकर मतदान के अंतिम परिणाम आने तक लागू रहता है।

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए यह 16 मार्च से लागू हो गया है।

आदर्श आचार संहिता के तहत निम्नलिखित नियम शामिल है:

  • सरकार के द्वारा लोक लुभावन घोषणाएँ नहीं करना।
  • चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करना।
  • राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के द्वारा जाति, धर्म व क्षेत्र से संबंधित मुद्दे न उठाना।
  • चुनाव के दौरान धन-बल और बाहु-बल का प्रयोग न करना।
  • आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी व्यक्ति को धन का लोभ न देना।
  • आचार संहिता लागू हो जाने के बाद किसी भी योजनाओ को लागू नहीं कर सकते।

बड़ी दिलचस्प है लोकसभा चुनाव के नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया

लोक सभा चुनाव 2024 के पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है।



उम्मीदवार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 के तहत नामांकन दाखिल करते हैं।

नामांकन दाखिल करने की तिथि भारत का निर्वाचन आयोग तय करता है।

उम्मीदवार या उसके किसी प्रस्तावक द्वारा नामांकन-पत्र रिटर्निंग ऑफिसर (RO) या सहायक रिटर्निंग ऑफिसर को सौंपना होता है।

किसी मान्यता प्राप्त दल का कोई उम्मीदवार जिस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ता है, प्रस्तावक के रूप में उस निर्वाचन क्षेत्र के केवल एक मतदाता की आवश्यकता होती है।

वहीं, निर्दलीय या पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के मामले में 10 प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है।

कोई उम्मीदवार एक निर्वाचन क्षेत्र से अधिकतम 4 नामांकन दाखिल कर सकता है।

अवकाश के दिन नामांकन-पत्र दाखिल नहीं किए जा सकते हैं।

नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड (National Creators Awards)

नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड का लक्ष्य निम्नलिखित योगदान से जुड़े विविध व्यक्तित्वों और प्रतिभाओं को सम्मानित करना है:

  • भारतकी संवृद्धि और उसकी संस्कृति को बढ़ावा देने वाले;स
  • कारात्मक सामाजिक बदलाव लाने वाले; तथा
  • डीजीटल क्षेत्र में नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाले।


यह पुरस्कार MyGov India ने शुरू किया है। इसमें डिजिटल वर्ल्ड के अलग-अलग क्षेत्रों और श्रेणियों में उत्कृष्टता व प्रभाव पैदा करने वाले क्रिएटर्स को पुरस्कार दिया जाएगा।

इन श्रेणियों में स्टोरी टेलिंग, सामाजिक बदलाव का समर्थन, शिक्षा, पर्यावरणीय संधारणीयता इत्यादि शामिल हैं। ये सभी क्रिएटर इकॉनमी का हिस्सा हैं।

क्रिएटर इकोनॉमी उन व्यवसायों, प्लेटफॉर्म्स और व्यक्तियों से मिलकर बने इकोसिस्टम को कहते हैं, जो ऑनलाइन कंटेंट बनाते हैं, वितरण करते हैं और फिर इनका मुद्रीकरण करके राजस्व अर्जित करते हैं।

डिजिटल इंडिया अभियान जैसी पहलों की वजह से कई नए कंटेंट क्रिएटर्स उभरकर आए हैं।

भारत की क्रिएटर इकोनॉमी की स्थिति

एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 80 मिलियन क्रिएटर्स और नॉलेज प्रोफेशनल्स हैं।

भारत में लगभग 1.5 लाख प्रोफेशनल कंटेंट क्रिएटर्स हैं। ये अपने कंटेंट से अच्छी-खासी आय अर्जित कर रहे हैं।

भारत की क्रिएटर इकोनॉमी का आकार वर्तमान में 250 बिलियन डॉलर है। 2027 तक इसके दोगुना होकर 480 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

भारत में क्रिएटर इकोनॉमी के विकास को प्रभावित करने वाले कारक

  • कम खर्चे में अधिक डाउनलोड/ अपलोड डेटा उपलब्ध है। इसलिए, अब अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं।
  • इंटरनेट के प्रसार से विश्व भर में कंटेंट देखे जा रहे हैं।
  • अब लोग ऑफिस से या वर्क फ्रॉम होम या यात्रा करते समय भी काम रहे हैं। इस तरह काम का हाइब्रिड कल्चर विकसित हो गया है।
  • यह सब इंटरनेट की वजह से संभव हुआ है।
  • शॉर्ट वीडियो कंटेंट की लोकप्रियता बढ़ गई है आदि।


क्रिएटर इकोनॉमी का महत्त्व

रचनात्मक स्टोरी टेलिंग के माध्यम से भारत के सांस्कृतिक लोकाचार (Ethos) का विश्व भर में प्रसार होता है।

यह मनोरंजन और सामाजिक संदेश से संबंधित असाधारण कंटेंट उपलब्ध कराती है।

वीडियो एडिटर्स, वर्चुअल असिस्टेंट, ग्राफिक डिजाइनर जैसे रोजगार के अवसर को बढ़ाती है।

किनमेन द्वीप समूह (क्यूमोय द्वीप समूह)

ताइवान ने चीन से आग्रह किया है कि वह किनमेन द्वीप समूह के निकट जल क्षेत्र में यथास्थिति में कोई बदलाव न करे ।



किनमेन द्वीप समूह में 12 द्वीप हैं। इनमें किनमेन प्रमुख द्वीप है।

यह ताइवान के अधिकार क्षेत्र में है। यह चीनी मुख्य भूमि के मुहाने पर ताइवान जलसंधि में स्थित है।

यह पहाड़ी द्वीप है। इसमें पठारी और चट्टानी दोनों क्षेत्र हैं। यहां मानसूनी उपोष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है।

जब 1949 में नेशनलिस्ट पार्टी चीन की मुख्य भूमि से हट गई थी तब यह कम्युनिस्ट और नेशनलिस्ट पार्टियों के बीच संघर्ष का स्थल रहा था।

अमिट स्याही या मतदाता स्याही (Indelible ink or Election ink)

भारतीय निर्वाचन आयोग ने अमिट स्याही (Indelible Ink) के एकमात्र निर्माता मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL) को 26.55 लाख शीशियां बनाने का ऑर्डर दिया है। यह अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है।


अमिट स्याही (Indelible Ink) का उपयोग

अमित स्याही का उपयोग व्यक्ति को चुनाव में दोबारा मतदान करने से रोकने के लिए तथा पल्स पोलियो प्रोग्राम में टीका लगे बच्चों की पहचान के लिए लगाया जाता है।

अमिट स्याही का निर्माण

अमित स्याही का निर्माण भारत में दो जगह पर किया जाता है। पहला रायुडू लैबोरेट्री, तेलंगाना और दूसरा मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी, मैसूर।

इसमें 10 से 18 प्रतिशत सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो नाखून के साथ अभिक्रिया करने और प्रकाश के संपर्क में आने पर गहरा हो जाता है। इसके अलावा इसमें अन्य रसायनों का भी उपयोग किया जाता है। 

भारत में निर्मित स्याही का उपयोग न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में भी किया जाता है। भारतीय चुनाव आयोग मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी द्वारा निर्मित स्याही का उपयोग करती है जबकि रायडू लैबोरेट्री दुनिया के दूसरे देशों के लिए स्याही का निर्माण करता है।

वर्तमान में 90 से अधिक देश इस तरह की स्याही का इस्तेमाल करते हैं। इसमें से 30 देश की स्याही भारत द्वारा निर्मित से स्याही होती है।

ECI के नियम

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49K में प्रावधान किया गया है कि पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी प्रत्येक मतदाता की बायीं तर्जनी अंगुली का निरीक्षण कर सकता है और उस पर एक अमिट स्याही का निशान लगा सकता है।

इसे अमिट स्याही इसलिए कहा जाता है, क्योंकि एक बार लगाने के बाद इसे कई महीनों तक किसी रसायन, डिटर्जेंट, साबुन या तेल से नहीं हटाया जा सकता। इसका रंग पर्पल होता है।

भारतीय चुनाव आयोग 1960 से इस स्याही का उपयोग कर रहा है।




उत्तर प्रदेश पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने की आयोग के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने मचाया बवाल

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