बिहार में आज से जातिगत सर्वेक्षण शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि सर्वेक्षण के पहले चरण में, प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ केवल जाति संबंधी आंकड़े जुटाए जाएंगे और उप-जाति संबंधी आंकड़े नहीं लिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जनगणना कर्मी राज्य से बाहर रह रहे बिहार के लोगों से भी बातचीत करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वेक्षण में प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति का विधिवत उल्लेख किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जातिगत सर्वेक्षण से यह समझने में मदद मिलेगी कि वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कौन-से उपाय किए जाने आवश्यक हैं। सर्वेक्षण के पहले चरण में राज्य के सभी परिवारों की गिनती की जायेगी।
अप्रैल महीने में शुरू होने वाले दूसरे चरण में परिवारों में रह रहे लोगों, उनकी जाति, उप जाति और सामाजिक आर्थिक स्थिति संबंधी आंकडे जुटाए जाएंगे। जातिगत सर्वेक्षण इस वर्ष 31 मई को समाप्त होगा।
सर्वेक्षण के लिए लगभग पांच लाख कर्मियों की सेवाएं ली जा रही हैं। सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपये का व्यय अपने आकस्मिक कोष से करेगी।
आपको बता दें कि भारत में अंतिम बार जाति आधारित जनगणना 1931 में और उसके बाद 2011 किया गया।