प्रधानमंत्री ने अटल भूजल योजना आरम्भ की
रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक सुरंग का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया
अटल भूजल योजना (अटल जल)
अटल जल की रूपरेखा सहभागी भूजल प्रबंधन के लिए संस्थागत संरचना को सुदृढ़ करने तथा सात राज्यों अर्थात गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में टिकाऊ भूजल संसाधन प्रबंधन के लिए समुदाय स्तर पर व्यवहारगत बदलाव लाने के मुख्य उद्देश्य के साथ बनाई गई है। इस योजना के कार्यान्वयन से इन राज्यों के 78 जिलों में लगभग 8350 ग्राम पंचायतों को लाभ पहुंचने की उम्मीद है। अटल जल मांग पक्ष प्रबंधन पर मुख्य जोर के साथ पंचायत केन्द्रित भूजल प्रबंधन और व्यवहारगत बदलाव को बढ़ावा देगी।
5 वर्षों (2020-21 से 2024-25) की अवधि में क्रियान्वित किए जाने वाले 6,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय में से, 50 प्रतिशत विश्व बैंक ऋण के रूप में होगा और उनका पुनर्भुगतान केन्द्र सरकार द्वारा किया जाएगा। शेष 50 प्रतिशत का भुगतान नियमित बजटीय समर्थन से केन्द्रीय सहायता द्वारा किया जाएगा। विश्व बैंक ऋण का समस्त घटक और केन्द्रीय सहायता राज्यों को अनुदान के रूप में दी जाएगी।
रोहतांग दर्रे के नीचे सुरंग
रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक सुरंग बनाने का ऐतिहासिक निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिया गया था। 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर विश्व की सबसे लंबी सुरंग है। यह मनाली और लेह के बीच की दूरी में 46 किलोमीटर की कमी करेगी और परिवहन लागतों में करोड़ों रुपये की बचत करेगी। यह 10.5 मीटर चौड़ी सिंगल ट्यूब बाइ-लेन सुरंग है, जिसमें एक अग्निरोधी आपातकालीन सुरंग मुख्य सुरंग में ही निर्मित है। दोनों सिराओं पर सफलता 15 अक्टूबर, 2017 को ही अर्जित कर ली गई थी। यह सुरंग पूरी होने वाली है और हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों को सदैव कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की दिशा में एक कदम है, जो अन्यथा शीत ऋतु के दौरान लगभग 6 महीने तक लगातार शेष देश से कटे रहते थे।
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