हाल ही में Elon Musk की सोशल मीडिया कंपनी X ने आई.टी. अधिनियम के उल्लंघन को लेकर केंद्र सरकार पर मुकदमा दायर किया है। कंपनी ने सोशल मीडिया पर कंटेंट को विनियमित करने और हटाने का आदेश देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आई.टी. अधिनियम की धारा 79 (3) (b) के उपयोग को चुनौती दी है। कंपनी ने तर्क दिया है कि सरकार द्वारा इस प्रावधान का "दुरुपयोग" आई.टी. अधिनियम के अन्य प्रावधानों जैसे धारा 69A के तहत उपलब्ध सुरक्षा उपायों को दरकिनार कर देता है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आई.टी. अधिनियम) की धाराओं 79, 79(3) (b) व 69A के बारे में
- धारा 79: यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स एवं ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं जैसे मध्यवर्तियों को "सेफ हार्बर (safe harbour)" संरक्षण प्रदान करती है। यह धारा उन्हें उनके प्लेटफॉर्म्स पर होस्ट की गई उपयोगकर्ता-जनित कंटेंट के लिए उत्तरदायित्व से बचाती है।
- धारा 79 (3) (b): यदि कोई मध्यवर्ती सरकारी अधिसूचना पर गैर-कानूनी कंटेंट को ब्लॉक करने / हटाने में विफल रहता है तो "सेफ हार्बर" संरक्षण को हटा दिया जाता है।
- धारा 69A: यह सरकार को केवल संविधान के अनुच्छेद 19 (2) में दिए गए आधार पर ही कंटेंट को ब्लॉक करने के आदेश जारी करने की अनुमति देती है। यह अनुच्छेद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर 'उचित प्रतिबंध' लगाता है।
- श्रेया सिंघल मामले, 2015 में दिया गया निर्णयः कंटेंट को केवल धारा 69A के तहत प्रदान की गई प्रक्रियाओं या अदालत के आदेश के माध्यम से ही सेंसर किया जा सकता है।
2023 में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा जारी निर्देशः
- इसने सभी मंत्रालयों, राज्य सरकारों और पुलिस को निर्देश जारी किया था कि धारा 79 (3) (b) के तहत सूचनाओं को ब्लॉक करने संबंधी आदेश जारी किए जा सकते हैं। 2024 में, MeitY ने एक 'सहयोग' पोर्टल लॉन्च किया था। इस पर उपर्युक्त प्राधिकारी सूचनाओं को ब्लॉक करने संबंधी आदेश जारी और अपलोड कर सकते हैं।
X द्वारा उठाए गए मुद्दे
- धारा 79 (3) (b) का दुरुपयोगः यह सरकार को प्रत्यक्ष रूप से सूचनाओं को ब्लॉक करने की शक्तियां नहीं देती है, बल्कि केवल उन परिस्थितियों का उल्लेख करती है, जिनके तहत मध्यवर्ती अपने "सेफ हार्बर" संरक्षण से वंचित हो सकता है।
- श्रेया सिंघल निर्णय का उल्लंघनः MeitY के निर्देश धारा 69A का पालन करने की बजाय कंटेंट को ब्लॉक करने के लिए धारा 79 (3) (b) को उपकरण मानकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करते हैं।
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