टीना डाबी की बहन IAS Riya Dabi ने की शादी, इस IPS अफसर को बनाया अपना जीवनसाथी

IAS sister टीना डाबी की बहन IAS Riya Dabi ने की शादी, इस IPS अफसर को बनाया अपना जीवनसाथी


Riya Dabi married IPS Manish Kumar:


राजस्थान के जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी की छोटी बहन IAS रिया डाबी विवाह बंधन में बंध चुकी हैं। राजस्थान कैडर की आईएएस रिया ने IPS अफसर मनीष कुमार से शादी रचाई है। इस जोड़े ने बीते अप्रैल माह में ही गुपचुप तरीके से कोर्ट मैरिज कर ली थी।



राजस्थान के जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी की छोटी बहन IAS रिया डाबी विवाह बंधन में बंध चुकी हैं। राजस्थान कैडर की आईएएस रिया ने IPS अफसर मनीष कुमार से शादी रचाई है। सूत्रों के मुताबिक, इस जोड़े ने बीते अप्रैल माह में ही गुपचुप तरीके से कोर्ट मैरिज कर ली थी।

गृह मंत्रालय के एक नोटिफिकेशन से आईएएस रिया डाबी और आईपीएस मनीष कुमार के विवाह की पुष्टि हुई है। इसके तहत महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस मनीष कुमार को अब राजस्थान कैडर में भेज दिया गया है। इसकी वजह राजस्थान में पदस्थ आईएएस अधिकारी रिया डाबी से हुई मैरिज को बताया गया है।

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रिया और मनीष ने अपनी व्यस्तता और समयाभाव के चलते कोर्ट मैरिज कर ली थी। अब आने वाले दिनों में दोनों के परिवार एक बड़ा मैरिज रिसेप्शन दे सकते हैं। इस समारोह में शादीशुदा जोड़े के परिजन, दोस्त, रिश्तेदारों समेत ब्यूरोक्रेट्स शामिल हो सकते हैं। यह कार्यक्रम दिल्ली या फिर राजस्थान की किसी फेमस जगह पर आयोजित किया जा सकता है।



रिया और मनीष 2021 बैच के सिविल सर्वेंट हैं।

2021 के संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के परीक्षा परिणाम में रिया ने ऑल इंडिया में 15वीं रैंक हासिल की थी, जबकि बड़ी बहन टीना डाबी ने यूपीएससी परीक्षा (2016) में देशभर में नंबर एक रैंक हासिल की थी। दोनों आईएएस बहनों को राजस्थान कैडर मिला है। मौजूदा समय में टीना जहां जैसलमेर जिले की जिलाधिकारी हैं। जबकि रिया अलवर में एसीएम के रूप में तैनात हैं।

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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका में क्या पुतिन हो जाएंगे गिरफ्तार

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना को देखते हुए मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। 

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने पुतिन को युद्ध अपराध का दोषी माना है और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया हुआ है।

दक्षिण अफ्रीका ICC का सदस्य है। ऐसे में उसकी जमीन पर रूसी राष्ट्रपति के उपस्थित होने पर उसे सैद्धांतिक रूप से उन्हें गिरफ्तार करना होगा।

रोम संविधि (Rome Statute) के पक्षकार देशों के लिए ICC के साथ सहयोग करना कानूनी बाध्यता है।

भारत रोम संधि पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किया है।


ICC के बारे में

इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में स्थित है।

यह नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध और आक्रामकता जैसे गंभीर अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के आरोपी व्यक्तियों की जांच करने तथा उन पर अभियोजन चलाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय है।

इसे 1998 में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की रोम संविधि द्वारा स्थापित किया गया था। यह केवल 1 जुलाई, 2002 के बाद किए गए अपराधों पर ही अभियोजन चला सकता है, क्योंकि रोम संविधि इसी दिन से लागू हुई थी।

ICC के पास अपना पुलिस बल नहीं है। ऐसे में अभियुक्तों की गिरफ्तारी और उनके आत्मसमर्पण के लिए अलग-अलग देशों का सहयोग आवश्यक हो जाता है।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) में इस देश के शामिल होने से भारत की बढ़ी चिंता

तालिबान CPEC को अफगानिस्तान में विस्तारित करने के लिए चीन और पाकिस्तान के साथ सहमत हो गया है।



CPEC के बारे में

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक हिस्सा है। - BRI का उद्देश्य एशिया को भूमि और समुद्री नेटवर्क के माध्यम से अफ्रीका व यूरोप से जोड़ना है।

CPEC एक बुनियादी ढांचा परियोजना है। यह गलियारा चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र और पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर बंदरगाह को जोड़ता है। इसकी लम्बाई 3,000 किलोमीटर है। 

भारत ने इस गलियारे के निर्माण पर आपत्ति प्रकट की है। उसके अनुसार इसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भीतर से बनाया जा रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि वह अनुच्छेद 142 के तहत किसी दम्पति के तलाक को सीधे मंजूरी दे सकता है

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि यदि पति-पत्नी का रिश्ता इतना खराब हो चुका है कि अब सुलह होने की संभावना बची ही नहीं है, तब वह हिंदू विवाह अधिनियम (HMA), 1955 के तहत निर्धारित अवधि की प्रतीक्षा किए बिना सीधे तलाक की मंजूरी दे सकता है।



HMA की धारा 13 -B (2) के अनुसार, जिला न्यायालय को दम्पति द्वारा तलाक की मांग करने वाली अर्जी दाखिल करने की तारीख से छह माह के बाद और उसी तारीख से 18 महीने पहले कारणों से संतुष्ट होने पर तलाक का आदेश पारित करना होगा।

हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि पति - पत्नी के बीच सुलह होने की गुंजाइश नहीं बचे रहने के आधार पर तलाक देना "अधिकार" का नहीं बल्कि "विवेक" का विषय है।

संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को उन मामलों में पक्षकारों के बीच "पूर्ण न्याय" करने का अधिकार देता है, जहां कानून या संविधि कई बार कोई उपचार (समाधान) प्रदान नहीं करता है।

अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियां अपनी प्रकृति में व्यापक हैं । इस कारण सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अलग अलग निर्णयों के तहत इसके दायरे और सीमा को परिभाषित किया है।

इन निर्णयों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

प्रेम चंद गर्ग वाद (1962): 

इस निर्णय में अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों के प्रयोग के लिए कुछ सीमाएं निर्धारित की गई थी।

यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन बनाम भारत संघ (1991): 

सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अनुच्छेद 142 के व्यापक दायरे का उल्लेख करते हुए पीड़ितों के लिए मुआवजे का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ वाद (1998): 

इस निर्णय के अनुसार, अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियां पूरक के रूप में हैं। इन शक्तियों को मूल कानून को बदलने या उस पर प्रभावी होने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है।

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने तलाक मामले में पूर्ण न्याय उपलब्ध कराने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया

उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि वह हर संभव प्रयासों के बावजूद विवाह टूटने के मामलों में तलाक मंजूर करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी पूर्ण शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है। 



न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और अन्य की संविधान पीठ ने व्यवस्था दी कि हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित छह महीने की अवधि छोड़ी जा सकती है।

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12बी के अंतर्गत निर्धारित कानूनी बाध्यकारी अवधि की प्रतीक्षा के लिए पारिवारिक न्यायालय में मामला भेजे बिना विवाह विच्छेद के लिए शीर्ष न्यायालय की पूर्ण शक्तियों के उपयोग संबंधी याचिकाओं पर यह फैसला दिया गया। अनुच्छेद 142 शीर्ष न्यायालय को किसी भी मामले में पूरा न्याय उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक आदेश देने के लिए अधिकृत करता है।

यह मामला एक खंडपीठ द्वारा लगभग पांच वर्ष पूर्व 29 जून, 2016 को पांच न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा गया था। दलीलें सुनने के बाद संविधानपीठ ने 29 सितम्बर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

लुधियाना गैस कांड : सीवर से निकली हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) ने ली 11 लोगों की जान

पंजाब के लुधियाना जिले में रविवार सुबह ग्यासपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के पास सुआ रोड पर सीवर से निकली हाइड्रोजन सल्फाइड गैस से 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें पांच महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल हैं। गैस के कारण बेहोश हुए चार लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है।



हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) के बारे में

यह एक अत्यधिक विषाक्त, रंगहीन और ज्वलनशील गैस है। इसमें सड़े हुए अंडों जैसी तेज गंध होती है। चूंकि, यह हवा से भारी होती है, इसलिए यह कम हवा वाले स्थानों के तल पर जमा हो जाती है।

यह सल्फर चक्र में एक प्रमुख भागीदार है। यह चक्र पृथ्वी पर सल्फर का जैव-भूरासायनिक चक्र है।

यह प्राकृतिक रूप से कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और गर्म जल सोतों (hot springs) में पाई जाती है।

हाइड्रोजन सल्फाइड के संपर्क में आने से आंखों और श्वसन प्रणाली में जलन हो सकती है। यह एपनिया, कोमा, आना, सिरदर्द, अनिद्रा आदि का कारण भी बन सकता है।

पांच अरब देशों और ईरान सहित 19 देश ब्रिक्स (BRICS) समूह में शामिल हो सकते हैं

सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अल्जीरिया, मिस्र, बहरीन और ईरान सहित 19 देशों ने उभरते बाजार समूह 'ब्रिक्स (BRICS)' में शामिल होने में अभिरुचि व्यक्त की है। 

वर्तमान में ब्रिक्स में शामिल देश हैं - ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ।

वर्ष 2028 तक, ब्रिक्स समूह द्वारा 35 प्रतिशत वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद

इसके अतिरिक्त, ब्रिक्स देश अपनी स्वयं की "नई मुद्रा" प्रणाली शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यह वि-डॉलरीकरण (De-dollarization) की दिशा में एक बड़ा कदम है।

वि-डॉलरीकरण से आशय उस प्रक्रिया से है, जिसमें एक देश आरक्षित मुद्रा विनिमय के माध्यम और यूनिट ऑफ अकाउंट के रूप में अमेरिकी डॉलर (USD) पर अपनी निर्भरता को कम करता है।

इसमें आर्थिक लेन-देन में स्थानीय मुद्रा के उपयोग को बढ़ाने के लिए मैक्रो - इकोनॉमिक और माइक्रो-इकोनॉमिक नीतियों के मिश्रण शामिल हैं।



भारत के लिए ब्रिक्स का महत्त्व

ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ व्यापार चीन सहित प्रमुख बाजारों में भारत के लिए अवसर सृजित करेगा।

ब्रिक्स जैसे गैर-पश्चिमी समूह में भागीदारी पश्चिम के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी को संतुलित करती है।


BRICS के बारे में

स्थापनाः

इस समूह को 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) सम्मेलन के दौरान ब्रिक (BRIC ) (ब्राजील, रूस, भारत और चीन ) के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में औपचारिक रूप दिया गया था। दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2010 में इसमें शामिल हुआ था।

यह तीन प्रमुख स्तंभों के तहत महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है। ये तीन स्तंभ हैं: राजनीति और सुरक्षा, आर्थिक एवं वित्तीय तथा सांस्कृतिक व लोगों के बीच आदान-प्रदान।

उद्देश्यः 

शांति, सुरक्षा, विकास और सहयोग को बढ़ावा देना तथा एक अधिक न्यायसंगत एवं निष्पक्ष विश्व की स्थापना करना ।

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

ब्रिक्स देश विश्व की आबादी के 41%, सकल घरेलू उत्पाद के 24% और विश्व व्यापार के 16% से अधिक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ब्रिक्स देशों ने न्यू डेवलपमेंट बैंक की भी स्थापना की है।

श्रीलंका चीन को 1 लाख टॉक मकैक (Toque Macaque) निर्यात करेगा।

श्रीलंका चीन को 1 लाख टॉक मकैक (Toque Macaque) निर्यात करने की योजना बना रहा है।



टॉक मकैक के बारे में

  • यह एक लाल-भूरे रंग का ओल्ड वर्ल्ड से संबंधित बंदर है। 
  • यह श्रीलंका की स्थानिक प्रजाति है।
  • ओल्ड वर्ल्ड: एशिया, अफ्रीका व यूरोप की स्थानिक प्रजाति है।
  • इस प्राइमेट की सबसे विशिष्ट विशेषता इसके सिर के शीर्ष पर बालों का टॉक (टोपी) के रूप में होना है।
  • इसकी एक बहुत ही लंबी व पतली पूंछ होती है।
  • यह अत्यधिक सामाजिक प्राणी है। एक झुंड में 40 तक बंदर होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) दर्जाः एंडेंजर्ड ।

अमेरिका ने अपनी सीनेट के एक संकल्प में मैकमहोन रेखा को चीन और भारत के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता दी है

अमेरिका ने अपनी सीनेट के एक संकल्प में मैकमहोन रेखा को चीन और भारत के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता दी है।



आप को बता दें कि मैकमहोन रेखा पूर्वी क्षेत्र में चीन और भारत के बीच वास्तविक सीमा के रूप में कार्य करती है।

यह रेखा विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच, पश्चिम में भूटान से लेकर पूर्व में म्यांमार तक की सीमा को दर्शाती है।

यह भूटान के किनारे से बर्मा सीमा पर स्थित इसु रजी दरें तक विस्तारित है।

इस रेखा का निर्धारण 1914 के शिमला सम्मेलन के दौरान किया गया था। यह सम्मेलन ग्रेट ब्रिटेन, चीन और तिब्बत के बीच आयोजित हुआ था।

बृहस्पति, सौरमंडल में सबसे अधिक चंद्रमा वाला ग्रह बना

बृहस्पति, सौर मंडल में सबसे अधिक चंद्रमा वाला ग्रह बन गया है। 12 नये चंद्रमाओं की खोज के साथ इसके वर्तमान में 92 चंद्रमा हो गए हैं। इससे पहले सर्वाधिक चंद्रमा शनि ग्रह (83 चन्द्रमा) के थे।



बृहस्पति सौर मंडल में गैलीलियो द्वारा खोजे गए ऐसे पहले चंद्रमाओं का ग्रह है, जो न तो सूर्य की परिक्रमा कर रहे थे तथा न ही पृथ्वी की। बृहस्पति ग्रह एक लघु सौर मंडल की तरह कार्य करता है।

बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं; आयो, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो को गैलीलियन उपग्रह कहा जाता है। 

  • आयो सौर मंडल में सबसे अधिक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय पिंड है।
  • यूरोपा की अधिकांश सतह पर तरल बर्फ है।
  • गेनीमेड सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह एकमात्र ऐसा ज्ञात चंद्रमा भी है, जिसके पास अपना स्वयं का आंतरिक रूप से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र है।
  • कैलिस्टो की सतह अत्यंत भारी गड्डों वाली ( क्रेटर युक्त) और प्राचीन है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम है- 'वैश्विक खुशहाली के लिए वैश्विक विज्ञान'। इस विषय का चयन वैश्विक संदर्भ में जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से किया गया है।



राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, भारत के भौतिकविज्ञानी सर सी.वी. रमन के रमन प्रभाव की खोज की याद में प्रति वर्ष 28 फरवरी को मनाया जाता है।

बिहार में जाति आधारित जनगणना शुरू

बिहार में आज से जातिगत सर्वेक्षण शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि सर्वेक्षण के पहले चरण में, प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ केवल जाति संबंधी आंकड़े जुटाए जाएंगे और उप-जाति संबंधी आंकड़े नहीं लिए जाएंगे। 



उन्होंने कहा कि जनगणना कर्मी राज्य से बाहर रह रहे बिहार के लोगों से भी बातचीत करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वेक्षण में प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति का विधिवत उल्लेख किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जातिगत सर्वेक्षण से यह समझने में मदद मिलेगी कि वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कौन-से उपाय किए जाने आवश्यक हैं। सर्वेक्षण के पहले चरण में राज्य के सभी परिवारों की गिनती की जायेगी। 

अप्रैल महीने में शुरू होने वाले दूसरे चरण में परिवारों में रह रहे लोगों, उनकी जाति, उप जाति और सामाजिक आर्थिक स्थिति संबंधी आंकडे जुटाए जाएंगे। जातिगत सर्वेक्षण इस वर्ष 31 मई को समाप्त होगा। 

सर्वेक्षण के लिए लगभग पांच लाख कर्मियों की सेवाएं ली जा रही हैं। सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपये का व्यय अपने आकस्मिक कोष से करेगी।

आपको बता दें कि भारत में अंतिम बार जाति आधारित जनगणना 1931 में और उसके बाद 2011 किया गया।

उत्तर प्रदेश पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने की आयोग के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने मचाया बवाल

उत्तर प्रदेश PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा और RO/ ARO 2023 की प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने के UPPSC के फैसले को लेकर मचे बव...