इंडोनेशिया ने सोमवार से पाम ऑयल के निर्यात पर लगी रोक हटाने की घोषणा की है। पाम ऑयल दुनिया के सबसे अहम कच्चे माल में से एक है और इंडोनेशिया इसका सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
इंडोनेशिया ने पिछले महीने घरेलू क़ीमतें कम करने और अपना स्टॉक बढ़ाने के लिए पाम ऑयल के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
प्रतिबंध के हटने इंडोनेशिया के क़रीब एक करोड़ 70 लाख कर्मचारियों को राहत मिलेगी।
भारत को मिली राहत
रूस-यूक्रेन युद्ध के पश्चात भारत में खाद्य तेल की चिंताएं बढ़ी हुई है। इस समय भारत में खाद्य तेल के दाम आसमान छू रहे हैं।
भारत में हर साल 2.5 करोड़ टन खाने का तेल इस्तेमाल होता है, लेकिन घरेलू उत्पादन सिर्फ 1.11 करोड़ टन ही है। मांग और आपूर्ति का फ़ासला क़रीब 56 फ़ीसदी का है। इस कमी को आयात के ज़रिए पाटा जाता है।
पिछले पाँच साल में तो देश में खाद्य तेल की खपत में और तेज़ी आई है। 2012 में भारत में प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की खपत 14.2 लीटर थी लेकिन अब ये बढ़ कर 19-19.5 लीटर तक पहुंच चुकी है।
विदेशी मुद्रा भण्डार पर असर
भारत कच्चा तेल (पेट्रोल) , गोल्ड के बाद सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भी खाद्य तेल के आयात पर खर्च करता है। 2019-20 में भारत में 1.34 करोड़ टन खाद्य तेल बाहर से मंगाया गया और इसकी कीमत 61,559 करोड़ रुपए थी।
अब यह बिल एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुँच चुका है। इसका बड़ा हिस्सा पाम तेल मंगाने में खर्च किया गया था।
पॉम तेल
पाम तेल दुनिया में सबसे सस्ता तेल है और यही एक कारण है कि भारत जैसे बड़े खाद्य तेल उपभोक्ता देश इसका अधिक आयात करते हैं।
इंडोनेशिया के बैन लगाने के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वनस्पति तेल उत्पादक और कारोबार संगठन सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉक्टर बी वी मेहता ने कहा कि ''अभी भारत में हर महीने छह लाख टन पाम तेल आता है। इसमें 50 फ़ीसदी यानी तीन लाख टन इंडोनेशिया से आता है। इंडोनेशिया के पास पहले से पचास लाख टन का स्टॉक है और हर महीने चालीस लाख टन का उत्पादन हो रहा है। स्थानीय खपत महज 15 लाख टन है। सवाल है कि इतने अधिक स्टॉक के लिए जगह कहाँ बचेगी। पाम इंडोनेशिया की विदेशी मुद्रा कमाई का बहुत बड़ा स्रोत है। इसलिए बैन बहुत दिनों तक नहीं टिकेगा।'
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