चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) में इस देश के शामिल होने से भारत की बढ़ी चिंता

तालिबान CPEC को अफगानिस्तान में विस्तारित करने के लिए चीन और पाकिस्तान के साथ सहमत हो गया है।



CPEC के बारे में

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक हिस्सा है। - BRI का उद्देश्य एशिया को भूमि और समुद्री नेटवर्क के माध्यम से अफ्रीका व यूरोप से जोड़ना है।

CPEC एक बुनियादी ढांचा परियोजना है। यह गलियारा चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र और पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर बंदरगाह को जोड़ता है। इसकी लम्बाई 3,000 किलोमीटर है। 

भारत ने इस गलियारे के निर्माण पर आपत्ति प्रकट की है। उसके अनुसार इसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भीतर से बनाया जा रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि वह अनुच्छेद 142 के तहत किसी दम्पति के तलाक को सीधे मंजूरी दे सकता है

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि यदि पति-पत्नी का रिश्ता इतना खराब हो चुका है कि अब सुलह होने की संभावना बची ही नहीं है, तब वह हिंदू विवाह अधिनियम (HMA), 1955 के तहत निर्धारित अवधि की प्रतीक्षा किए बिना सीधे तलाक की मंजूरी दे सकता है।



HMA की धारा 13 -B (2) के अनुसार, जिला न्यायालय को दम्पति द्वारा तलाक की मांग करने वाली अर्जी दाखिल करने की तारीख से छह माह के बाद और उसी तारीख से 18 महीने पहले कारणों से संतुष्ट होने पर तलाक का आदेश पारित करना होगा।

हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि पति - पत्नी के बीच सुलह होने की गुंजाइश नहीं बचे रहने के आधार पर तलाक देना "अधिकार" का नहीं बल्कि "विवेक" का विषय है।

संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को उन मामलों में पक्षकारों के बीच "पूर्ण न्याय" करने का अधिकार देता है, जहां कानून या संविधि कई बार कोई उपचार (समाधान) प्रदान नहीं करता है।

अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियां अपनी प्रकृति में व्यापक हैं । इस कारण सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अलग अलग निर्णयों के तहत इसके दायरे और सीमा को परिभाषित किया है।

इन निर्णयों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

प्रेम चंद गर्ग वाद (1962): 

इस निर्णय में अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों के प्रयोग के लिए कुछ सीमाएं निर्धारित की गई थी।

यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन बनाम भारत संघ (1991): 

सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अनुच्छेद 142 के व्यापक दायरे का उल्लेख करते हुए पीड़ितों के लिए मुआवजे का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ वाद (1998): 

इस निर्णय के अनुसार, अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियां पूरक के रूप में हैं। इन शक्तियों को मूल कानून को बदलने या उस पर प्रभावी होने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है।

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने तलाक मामले में पूर्ण न्याय उपलब्ध कराने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया

उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि वह हर संभव प्रयासों के बावजूद विवाह टूटने के मामलों में तलाक मंजूर करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी पूर्ण शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है। 



न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और अन्य की संविधान पीठ ने व्यवस्था दी कि हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित छह महीने की अवधि छोड़ी जा सकती है।

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12बी के अंतर्गत निर्धारित कानूनी बाध्यकारी अवधि की प्रतीक्षा के लिए पारिवारिक न्यायालय में मामला भेजे बिना विवाह विच्छेद के लिए शीर्ष न्यायालय की पूर्ण शक्तियों के उपयोग संबंधी याचिकाओं पर यह फैसला दिया गया। अनुच्छेद 142 शीर्ष न्यायालय को किसी भी मामले में पूरा न्याय उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक आदेश देने के लिए अधिकृत करता है।

यह मामला एक खंडपीठ द्वारा लगभग पांच वर्ष पूर्व 29 जून, 2016 को पांच न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा गया था। दलीलें सुनने के बाद संविधानपीठ ने 29 सितम्बर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

लुधियाना गैस कांड : सीवर से निकली हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) ने ली 11 लोगों की जान

पंजाब के लुधियाना जिले में रविवार सुबह ग्यासपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के पास सुआ रोड पर सीवर से निकली हाइड्रोजन सल्फाइड गैस से 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें पांच महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल हैं। गैस के कारण बेहोश हुए चार लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है।



हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) के बारे में

यह एक अत्यधिक विषाक्त, रंगहीन और ज्वलनशील गैस है। इसमें सड़े हुए अंडों जैसी तेज गंध होती है। चूंकि, यह हवा से भारी होती है, इसलिए यह कम हवा वाले स्थानों के तल पर जमा हो जाती है।

यह सल्फर चक्र में एक प्रमुख भागीदार है। यह चक्र पृथ्वी पर सल्फर का जैव-भूरासायनिक चक्र है।

यह प्राकृतिक रूप से कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और गर्म जल सोतों (hot springs) में पाई जाती है।

हाइड्रोजन सल्फाइड के संपर्क में आने से आंखों और श्वसन प्रणाली में जलन हो सकती है। यह एपनिया, कोमा, आना, सिरदर्द, अनिद्रा आदि का कारण भी बन सकता है।

पांच अरब देशों और ईरान सहित 19 देश ब्रिक्स (BRICS) समूह में शामिल हो सकते हैं

सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अल्जीरिया, मिस्र, बहरीन और ईरान सहित 19 देशों ने उभरते बाजार समूह 'ब्रिक्स (BRICS)' में शामिल होने में अभिरुचि व्यक्त की है। 

वर्तमान में ब्रिक्स में शामिल देश हैं - ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ।

वर्ष 2028 तक, ब्रिक्स समूह द्वारा 35 प्रतिशत वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद

इसके अतिरिक्त, ब्रिक्स देश अपनी स्वयं की "नई मुद्रा" प्रणाली शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यह वि-डॉलरीकरण (De-dollarization) की दिशा में एक बड़ा कदम है।

वि-डॉलरीकरण से आशय उस प्रक्रिया से है, जिसमें एक देश आरक्षित मुद्रा विनिमय के माध्यम और यूनिट ऑफ अकाउंट के रूप में अमेरिकी डॉलर (USD) पर अपनी निर्भरता को कम करता है।

इसमें आर्थिक लेन-देन में स्थानीय मुद्रा के उपयोग को बढ़ाने के लिए मैक्रो - इकोनॉमिक और माइक्रो-इकोनॉमिक नीतियों के मिश्रण शामिल हैं।



भारत के लिए ब्रिक्स का महत्त्व

ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ व्यापार चीन सहित प्रमुख बाजारों में भारत के लिए अवसर सृजित करेगा।

ब्रिक्स जैसे गैर-पश्चिमी समूह में भागीदारी पश्चिम के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी को संतुलित करती है।


BRICS के बारे में

स्थापनाः

इस समूह को 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) सम्मेलन के दौरान ब्रिक (BRIC ) (ब्राजील, रूस, भारत और चीन ) के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में औपचारिक रूप दिया गया था। दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2010 में इसमें शामिल हुआ था।

यह तीन प्रमुख स्तंभों के तहत महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है। ये तीन स्तंभ हैं: राजनीति और सुरक्षा, आर्थिक एवं वित्तीय तथा सांस्कृतिक व लोगों के बीच आदान-प्रदान।

उद्देश्यः 

शांति, सुरक्षा, विकास और सहयोग को बढ़ावा देना तथा एक अधिक न्यायसंगत एवं निष्पक्ष विश्व की स्थापना करना ।

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

ब्रिक्स देश विश्व की आबादी के 41%, सकल घरेलू उत्पाद के 24% और विश्व व्यापार के 16% से अधिक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ब्रिक्स देशों ने न्यू डेवलपमेंट बैंक की भी स्थापना की है।

उत्तर प्रदेश पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने की आयोग के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने मचाया बवाल

उत्तर प्रदेश PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा और RO/ ARO 2023 की प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने के UPPSC के फैसले को लेकर मचे बव...