सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अल्जीरिया, मिस्र, बहरीन और ईरान सहित 19 देशों ने उभरते बाजार समूह 'ब्रिक्स (BRICS)' में शामिल होने में अभिरुचि व्यक्त की है।
वर्तमान में ब्रिक्स में शामिल देश हैं - ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ।
वर्ष 2028 तक, ब्रिक्स समूह द्वारा 35 प्रतिशत वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद
इसके अतिरिक्त, ब्रिक्स देश अपनी स्वयं की "नई मुद्रा" प्रणाली शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यह वि-डॉलरीकरण (De-dollarization) की दिशा में एक बड़ा कदम है।
वि-डॉलरीकरण से आशय उस प्रक्रिया से है, जिसमें एक देश आरक्षित मुद्रा विनिमय के माध्यम और यूनिट ऑफ अकाउंट के रूप में अमेरिकी डॉलर (USD) पर अपनी निर्भरता को कम करता है।
इसमें आर्थिक लेन-देन में स्थानीय मुद्रा के उपयोग को बढ़ाने के लिए मैक्रो - इकोनॉमिक और माइक्रो-इकोनॉमिक नीतियों के मिश्रण शामिल हैं।
भारत के लिए ब्रिक्स का महत्त्व
ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ व्यापार चीन सहित प्रमुख बाजारों में भारत के लिए अवसर सृजित करेगा।
ब्रिक्स जैसे गैर-पश्चिमी समूह में भागीदारी पश्चिम के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी को संतुलित करती है।
BRICS के बारे में
स्थापनाः
इस समूह को 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) सम्मेलन के दौरान ब्रिक (BRIC ) (ब्राजील, रूस, भारत और चीन ) के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में औपचारिक रूप दिया गया था। दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2010 में इसमें शामिल हुआ था।
यह तीन प्रमुख स्तंभों के तहत महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है। ये तीन स्तंभ हैं: राजनीति और सुरक्षा, आर्थिक एवं वित्तीय तथा सांस्कृतिक व लोगों के बीच आदान-प्रदान।
उद्देश्यः
शांति, सुरक्षा, विकास और सहयोग को बढ़ावा देना तथा एक अधिक न्यायसंगत एवं निष्पक्ष विश्व की स्थापना करना ।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:
ब्रिक्स देश विश्व की आबादी के 41%, सकल घरेलू उत्पाद के 24% और विश्व व्यापार के 16% से अधिक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ब्रिक्स देशों ने न्यू डेवलपमेंट बैंक की भी स्थापना की है।